जागरूकता कैंप में किसानों को बताया, पराली न जलाएं
फसल अवशेष प्रबंधन के तहत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से शिविर का आयोजन किया बया और किसानों को फसलों के अवशेष को न जलाने की आपील की गई और उसके प्रबंधन को लेकर जानकारी दी गई।

संवाद सहयोगी, इसराना-थर्मल : फसल अवशेष प्रबंधन के तहत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किसानों को धान की पराली जलाने की बजाय प्रबंधन करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसी संदर्भ में मंगलवार को इसराना में विभाग की ओर से जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। किसानों को धान की पराली व अवशेष न जलाने की शपथ दिलाई गई। वहीं खंड कृषि विकास अधिकारी डा. सतीश ने कहा कि हमें फसल अवशेषों का सदुपयोग करना चाहिए। किसान धान की पराली के अवशेषों को जलाने की बजाय उसका कंपोस्ट खाद बनाने से लेकर गत्ता बनाने में प्रयोग कर सकते हैं। इससे आमदनी के साथ जलाने पर पर्यावरण प्रदूषित होने वाली समस्या भी दूर होगी। इस मौके पर ओमप्रकाश, संदीप कुमार, सत्यवान मौजूद रहे। फसल अवशेष जलाने से मृदा व पर्यावरण पर पड़ता प्रतिकूल प्रभाव : डा. संजीत मलिक
खंड कृषि विभाग कार्यालय में फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। अध्यक्षता खंड कृषि अधिकारी बजिदर जागलान ने की। उन्होंने कैंप के माध्यम से किसानों को अपनी धान की फसल कटाई उपरांत फसल अवशेष ना जलाने के लिए जागरूक किया। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग किए जाने वाले कृषि यंत्रों के बारे में बताने के साथ उन पर मिलने वाले अनुदान की जानकारी भी दी गई। एडीओ डा. संजीत मलिक ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से मृदा, स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं। जोकि किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है। कार्यक्रम में किसानों ने फसल अवशेष ना जलाने की शपथ भी ली। इस मौके पर डा. मनोज, जगपाल, जगफूल व जितेंद्र नरवाल मौजूद रहे।
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