Healthy Ice Cream: सालों के मेहनत बाद तैयार हुई हाई प्रोटीन आइसक्रीम, रखेगी स्वाद के साथ सेहत का ख्याल
करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों के अनुसार आइसक्रीम में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना सरल नहीं था। प्रारंभिक प्रयासों में कई समस्याओं और चुनौतियों से जूझना पड़ा। खासकर न्यूनतम तापमान में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीनयुक्त आइसक्रीम की अनुकूल फ्रिजिंग में काफी दिक्कत आई।

करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों ने तीन साल की मेहनत के बाद ऐसी हाई प्रोटीन आइसक्रीम तैयार की है, जो स्वादिष्ट होने के साथ सेहत का भी ख्याल रखेगी। दावा है कि बाजार में उपलब्ध आइसक्रीम में महज चार प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि इस विशेष आइसक्रीम में ढाई गुना अधिक यानी लगभग दस प्रतिशत दूध या दुग्ध उत्पादों से से तैयार व्हे प्रोटीन शामिल है, जो बेहद फायदेमंद है। आम आइसक्रीम की तुलना में इस उच्च आइसक्रीम को तैयार करने में महज तीन रुपये प्रति मिलीलीटर अधिक खर्च होते हैं। रिसर्च प्रकाशन के बाद अब आइसक्रीम के व्यवसायिक उत्पादन की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
भारतीय भोजन में एमिनो एसिड की कमी रहती है
मंगलवार को संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान की मौजूदगी में डेयरी टेक्नालाजी विभाग के वैज्ञानिक डा. अब्दुल्ला हुसैन शेख व डा. योगेश खेतरा ने पत्रकारों को बताया कि शारीरिक विकास और पोषण में प्रोटीन का महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार स्वस्थ जीवन के लिए एक व्यस्क को प्रति किलोग्राम वजन लगभग एक ग्राम प्रोटीन चाहिए। भारत में 18 वर्ष आयु वर्ग में प्रोटीन की खपत महज 0.6 प्रति किलोग्राम है। प्रोटीन में मात्रा के साथ गुणवत्ता का शारीरिक विकास में अहम योगदान है। भारतीय भोजन में एमिनो एसिड की कमी रहती है। इसलिए शाकाहारी व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है। तीन साल की रिसर्च के बाद उन्होंने ऐसी आइसक्रीम तैयार की है, जिससे यह प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में मिलता है। विभाग की प्रमुख डा. लता सबिखि, डा. एके सिंह व संयुक्त निदेशक डा. आरआरबी सिंह ने भी टीम को सहयोग दिया।
संस्थान के निदेशक डा. चौहान ने युवा विज्ञानियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्पाद स्वाद में बेहतर होने के साथ सेहत का भी ख्याल रखेगा। संस्थान प्रशासन निर्धारित प्रक्रिया के जरिए उत्पाद के व्यवसायिक उपयोग की संभावनाएं तलाशने में पूरी मदद करेगा। इस दौरान डा. एके डांग व डा. मनोज कुमार सिंह भी मौजूद रहे।
क्या होता व्हे प्रोटीन
डा. हुसैन ने बताया कि दूध में पाए जाने वाला व्हे प्रोटीन स्वस्थ, व हष्ट-पुष्ट शरीर के लिए बेहतर गुणवत्तायुक्त माना गया है। यह एंटी-आक्सीडेटिव, एंटी-इन्फ्लैमटरी व रोगप्रतिरोधकता बढ़ाने वाला तथा ह्रदय रोगो से सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रोटीन है। इसे रोजमर्रा के व्यंजनों में शामिल करके उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन की आवश्यकता बेहतर अनुपात में पूरी की जा सकती है।
इसलिए आइसक्रीम में किया शामिल
आइसक्रीम सब पसंद करते हैं। आइसक्रीम का भारतीय व्यापार 2020 में 20140 करोड़ रुपये रहा। 2026 तक इसके 44200 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसके चलते हाई प्रोटीन आइसक्रीम विकसित की। इसमें उच्च गुणवत्तायुक्त एवं पोषक व्हे प्रोटीन का इस्तेमाल किया। बाजार में उपलब्ध आइसक्रीम में कुल चार प्रतिशत प्रोटीन में 0.8 व्हे प्रोटीन होता है। जबकि इस आइसक्रीम में प्रोटीन 10 प्रतिशत और व्हे प्रोटीन 70 प्रतिशत है। आइसक्रीम की सौ ग्राम मात्रा में दस प्रतिशत फैट, दस प्रतिशत प्रोटीन, 15 प्रतिशत चीनी, स्टेबलाइजर और एमएलसी फायर मिश्रण 15 प्रतिशत और शेष पानी शामिल है।
आसान नहीं था प्रोजेक्ट
विज्ञानियों के अनुसार आइसक्रीम में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना सरल नहीं था। प्रारंभिक प्रयासों में कई समस्याओं और चुनौतियों से जूझना पड़ा। खासकर, न्यूनतम तापमान में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीनयुक्त आइसक्रीम की अनुकूल फ्रिजिंग में काफी दिक्कत आई। डा. हुसैन व डा. खेतरा के साथ टीम में शामिल सुचिस्मिता राय व सोनम ने आइसक्रीम के कोलाइडल पहलू का समाधान करके संरचनात्मक दोषों का निवारण किया। इस आइसक्रीम का स्वाद व खुशबू सामान्य आइसक्रीम की ही तरह है। वनीला, बटर स्काच व पिस्ता फ्लेवर में यह उपलब्ध है।
केवल तीन रुपये अधिक लागत
डा. हुसैन ने बताया कि आइसक्रीम की उत्पादन प्रक्रिया में कोई असामान्य बदलाव नहीं किया गया। इसे छोटे, मध्यम एवं बड़े डेरी व्यापारियों द्वारा आसानी से अपनाया जा सकता है। हाई प्रोटीन आइसक्रीम का उत्पादन शुल्क सामान्य आइसक्रीम से केवल तीन रुपये प्रति 100 मिलीलीटर अधिक आता है।
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