गाजर से तैयार किए प्राकृतिक रंग और पाउडर, सुधरेगी सेहत, फायदे जान रह जाएंगे हैरान
Benefits of Carrots गाजर सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। गाजर का जूस पीने से कई प्रकार की बीमारियों से निजात मिल जाती है। गाजर से अब प्राकृतिक रंग और पाउडर तैयार किए गए हैं। गाजर से कैरोटेनायड के रूप में प्राकृतिक रंग विकसित किए हैं।
करनाल, जागरण संवाददाता। गाजर का उपयोग अमूमन सब्जी, सलाद, अचार या जूस के रूप में किया जाता है लेकिन अब इसके गूदे का भी बेहतर इस्तेमाल संभव है। करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने अपने प्रयोग के तहत गाजर के गूदे से न केवल खाद्य पदार्थों में मिलने वाले कैरोटेनायड के रूप में समृद्ध प्राकृतिक रंग विकसित किए हैं बल्कि इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए ओमेगा-तीन युक्त समृद्ध टेबल स्प्रेड, पीले रंग का प्राकृतिक कार्यात्मक रंग और ओमेगा-तीन युक्त समृद्ध पाउडर सरीखी तीन प्रौद्योगिकियां भी विकसित कर दिखाईं। अब जल्द ही इनका व्यवसायिक प्रयोग करने की तैयारी है।
एनडीआरआइ के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि डेयरी प्रौद्योगकी विभाग के वैज्ञानिकों की टीम को इस प्रयोग के लिए ईट सस्टेनेबल थीम श्रेणी के तहत हाल में ईट राइट रिसर्च अवार्ड भी प्राप्त हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. मनसुख मंडाविया ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में आयोजित समारोह में 'खाद्य अनुप्रयोगों के लिए गाजर जैव-अपशिष्ट से ग्रीन कैरोटेनायड्स का निष्कर्षण, लक्षण वर्णन और वितरण' विषय पर किए गए कार्य के लिए पांच लाख रुपये के पुरस्कार तथा उत्कृष्टता प्रमाणपत्र से नवाजा। टीम में डा. नीलम उपाध्याय के नेतृत्व में वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य डा. आशीष कुमार सिंह, डा. रविंद्र मल्होत्रा और डा. गंगासहाय मीणा सहित रिसर्च स्कालर स्वाति तिवारी, कुलदीप कांबले, हेमंत ठवकर व शैलेश कुमार मीणा शामिल रहे।
ग्रीन टेक्नालाेजी का प्रयोग
डा. चौहान ने बताया कि गाजर से रस निकालने के बाद बचे गूदे को गाजर पोमेस कहते हैं। इसे आम तौर पर कचरे के रूप में छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार यह पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है। हालांकि कैरोटेनायड का अच्छा स्रोत होने के कारण इसे संभावित रूप से खाद्य श्रृंखला में शामिल किया जा सकता है। यह ध्यान रखकर टीम ने इससे कार्यात्मक रंग निकालने और उसे खाद्य श्रृंखला में बदलने के लिए हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया।
तीन प्रकार की प्रौद्योगिकी विकसित
प्रयोग के तहत टीम ने गाजर खली या पोमेस से पीले रंग का कैरोटेनायड्स निकाला। विकसित पाउडर को दूध आधारित सुगंधित पेय में मिलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप आम तौर पर प्रयुक्त सुगंधित दूध की तुलना में बेहतर कार्यात्मक गुण प्राप्त हुए। इस शोध कार्य से तीन प्रौद्योगिकियां विकसित की गईं। इनमें ओमेगा-तीन समृद्ध टेबल स्प्रेड, पीले रंग का प्राकृतिक कार्यात्मक रंग और ओमेगा-तीन समृद्ध पाउडर बनाना शामिल हैं। इनका सीधे खाद्य उत्पादों में उपयोग किया जा सकता है। अब ये प्रौद्योगिकियां व्यवसायीकरण के लिए तैयार एनडीआरआई प्रौद्योगिकियों की सूची में शामिल कर ली गई हैं। कुछ व्यवसायी इन प्रौद्योगिकियों को खरीदने के लिए संपर्क भी कर रहे हैं।
क्या होते कैरोटेनायड और ओमेगा-तीन
कैरोटेनायड्स टेरपिनोइड्स के समूह से संबंधित हैं। ये 40 कार्बन परमाणुओं से बने होते हैं। परमाणु संयुग्मित श्रृंखला बनाते हैं, जो प्रत्येक छोर पर कार्बन रिंग, प्रतिस्थापित और असंतृप्त हो सकते हैं। इस तरह प्रकाश की तरंग दैर्ध्य निर्धारित होती है, जिसे अणु अवशोषित करता है। प्रकाश के प्रकार के आधार पर उस सब्जी या पौधे को विशिष्ट रंग मिलता है, जिसमें यह पाया जाता है।
फैटी एसिड को ओमेगा तीन कहते हैं
वहीं, फैटी एसिड को आमतौर पर ओमेगा-तीन कहते हैं। यह पाली-अनसैचुरेटेड वसा का रूप है, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है। यह शरीर में मौजूद कोशिकाओं की झिल्ली या बाहरी परत का अभिन्न हिस्सा है, जो शाकाहारी व मांसाहारी दोनों स्रोतों में आसानी से मिल जाता है।