दिल्ली विस्फोट के बाद अब हरियाणा में किरायेदारों के वेरिफिकेशन पर उठे सवाल, 90% किराएदार पुलिस रिकॉर्ड से बाहर
दिल्ली के लालकिला विस्फोट के बाद हरियाणा में किरायेदारों के सत्यापन पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस के पास किरायेदारों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो रही है। दिल्ली-एनसीआर से सटे जिलों में हजारों बाहरी लोग बिना सत्यापन के रह रहे हैं, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। पुलिस मुख्यालय ने अब सत्यापन में तेजी लाने के आदेश दिए हैं।

किरायेदार से पूछताछ करते हुए पुलिसकर्मी (दाएं)
जागरण टीम, पानीपत। दिल्ली के लालकिला विस्फोट में इस्तेमाल हुई संदिग्ध कार का हरियाणा से जुड़ाव खुलने के बाद प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था और खासतौर पर किराएदारों की पुलिस सत्यापन प्रणाली पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं।
पुलिस के पास अधिकांश जिलों में न तो किराएदारों का समेकित रिकॉर्ड है और न ही मकान मालिकों की ओर से सत्यापन करवाने की प्रवृत्ति दिखती है। हरियाणा पुलिस की वेबसाइट और ‘सरल पोर्टल’ पर किराएदार सत्यापन की सुविधा तो है, लेकिन उपयोग बेहद सीमित है।
दिल्ली-एनसीआर से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद, बहादुरगढ़ और रोहतक जैसे जिलों में हजारों बाहरी लोग रह रहे हैं, पर पंजीकृत वेरिफिकेशन की संख्या सैकड़ों में भी नहीं पहुंचती। निष्कर्ष यही निकल रहा है कि हरियाणा के औद्योगिक व शहरी जिलों में सुरक्षा की सबसे कमजोर कड़ी यही सत्यापन सिस्टम बन चुका है।
जहां कानून तो है, पर अमल नहीं। बिना जांच रह रहे लाखों किराएदार अब न केवल पुलिस की जिम्मेदारी को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन गए हैं। हालांकि राज्य पुलिस मुख्यालय ने अब इसमें तेजी लाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
सुरक्षा पर ढिलाई: दिल्ली से सबक नहीं लिया हरियाणा ने
चंडीगढ़ पुलिस ने वर्ष 2025 के जुलाई माह में ही महज पंद्रह दिन में 18 हजार से अधिक किराएदारों की वेरिफिकेशन की, जबकि हरियाणा के किसी भी जिले में हाल में ऐसा कोई अभियान नहीं चला। कई थानों में फार्म जमा कराए जाते हैं, पर उनका डिजिटलीकरण तक नहीं हुआ। सुरक्षा विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं पर यह लापरवाही किसी बड़े हादसे की भूमिका बन सकती है।
- हिसार: 10 हजार पीजी रहवासी, पुलिस रिकॉर्ड में नाम मात्र हिसार शहर में चार सौ से अधिक पीजी चल रहे हैं, जिनमें 10 हजार से ज्यादा युवा रह रहे हैं। पुलिस के पास वेरिफिकेशन के नाम पर कुछ दर्जन आवेदन ही हैं। सितंबर में किराये के मकान में रह रही एक छात्रा ने 68 वर्षीय महिला पर हमला किया था, बाद में पता चला कि उसकी कोई वेरिफिकेशन नहीं थी।
- बहादुरगढ़: औद्योगिक शहर में दो लाख बाहरी लोग, रिकॉर्ड है नहीं दिल्ली से सटे इस औद्योगिक क्षेत्र में दो लाख से अधिक किराएदार व मजदूर रहते हैं। धमाके के बाद पुलिस ने गांवों में मुनादी कराई है। “पर्चा अजनबी अभियान” भी चलता रहा है, लेकिन अधिकांश रिपोर्टें संबंधित राज्यों से नहीं आतीं। डीसीपी मयंक मिश्रा ने कहा कि अब इस प्रक्रिया को प्राथमिकता से लागू किया जाएगा। टीमें एिरया में जाकर पड़ताल में जुट गई हैं।
- फतेहाबाद: पांच महीने में सिर्फ 3120 किराएदार वेरिफाइड पुलिस ने आदेश तो दिए थे, मगर सिर्फ 3120 लोगों ने वेरिफिकेशन कराई। हाल में जाखल में एक घर में 30 से अधिक कश्मीरी युवक बिना वेरिफिकेशन के रह रहे पाए गए थे। इसके बाद ही पुलिस ने रिकॉर्ड तैयार किया।
- यमुनानगर: रिकॉर्ड में केवल 49 सत्यापन, वारदात अनट्रेस
- झज्जर: आनलाइन 22 हजार सत्यापन, फैक्ट्रियों में निगरानी तंत्र अब भी कमजाेर झज्जर में आनलाइन प्रक्रिया से 22 हजार किराएदारों की वेरिफिकेशन हुई है। लेकिन फैक्ट्रियों, अस्थायी मजदूर कॉलोनियों में रहने वालों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। डीसीपी क्राइम अमित दहिया ने इसे प्राथमिकता में रखा है।
- चरखी दादरी: जांच अभियान शून्य, पांच हजार किराएदारों से प्रशासन अनजान यहां किसी भी किराएदार की औपचारिक वेरिफिकेशन नहीं हुई। पुलिस का कहना है कि मकान मालिक केवल चरित्र प्रमाण पत्र लेकर संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन थानों को कोई सूचना नहीं देते।
- भिवानी: रिकॉर्ड में क्राइम ही बढ़ा भिवानी में स्थिति बेहद चिंताजनक है। पुलिस रिकॉर्ड में सिर्फ 20 वेरिफिकेशन हैं, जबकि हजारों बाहरी लोग रह रहे हैं।
- जींद: 10% ही जांच के दायरे में शहर के रघुनगर, अर्बन एस्टेट और श्याम नगर जैसे इलाकों में किराएदारों की भरमार है, पर वेरिफिकेशन केवल 10 प्रतिशत ही हुई है।
- रोहतक: 62 का ही सत्यापन यहां दो बार सालाना अभियान चलता है, पर सिर्फ 62 मकान मालिकों ने वेरिफिकेशन कराई है। अगस्त में नेपाल की नौकरानी ने परिवार को बंधक बनाकर 45 लाख रुपये की लूट की थी — वह भी बिना वेरिफिकेशन रखी गई थी।
- करनाल, पानीपत, अंबाला: व्यवस्था नाम मात्र की करनाल में न तो कोई जागरूकता कार्यक्रम हुआ, न ही डाटा मौजूद है। पानीपत में पूरे साल में सिर्फ 60 वेरिफिकेशन हुईं। अंबाला में फीस तय है, लेकिन लोग आगे नहीं आते।

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