Bhim Award: किसान के बेटे-बेटियों को मिला मौका, दुनिया में रोशन किया देश का नाम, संघर्षों से कभी हारे नहीं, मिलेगा भीम अवार्ड
Bhim Award 2022 हरियाणा सरकार ने भीम अवार्ड के लिए चयनित खिलाडि़यों की सूची जारी कर दी है। जींद के छह खिलाड़ियों को इसमें शामिल किया है। मनजीत चहल दीपक लाठर सोनिया लाठर रिंपी विनोद रविंद्र को भीम अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।

जींद, जागरण संवाददाता। जींद के छह खिलाड़ियों को भीम अवार्ड मिलेगा। इनमें उझाना गांव के धावक मनजीत चहल, धरौदी गांव की हैंडबाल खिलाड़ी रिंपी, शाहपुर गांव के कुश्ती खिलाड़ी विनोद, आसन से कनोइंग खिलाड़ी रविंद्र, शादीपुर गांव के वेटलिफ्टर दीपक लाठर और जुलाना की बाक्सर सोनिया लाठर शामिल हैं।
खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग पंचकूला ने पिछले चार साल की खेल उपलब्धियों के आधार पर भीम अवार्ड के लिए खिलाड़ियों का चयन किया है। फरवरी में भीम अवार्ड के लिए जारी हुई सूची में जिले के चार खिलाड़ियों मनजीत चहल, रिंपी, विनोद और रविंद्र का नाम शामिल था। जिसमें अब दीपक लाठर और सोनिया लाठर का नाम शामिल किया गया है।
उझाना के मनजीत चहल ने एशियन गेम्स में जीता था गोल्ड
उझाना गांव निवासी मनजीत सिंह चहल ने एशियन गेम्स 2018 में एथलीट में गोल्ड जीता था। चहल ने एक मिनट 46 सेकेंड 15 प्वाइंट में 800 मीटर दौड़ पूरी कर ये गोल्ड दिलाया था। वे नरवाना उपमंडल के उझाना गांव के साधारण किसान परिवार से आते हैं। उनका परिवार नरवाना में ही रहता है। गोल्ड के साथ मनजीत ने 56 साल पुराना रिकार्ड भी तोड़ा था। 1962 के बाद पहली बार भारत ने एथलेटिक्स की इस स्पर्धा में स्वर्ण और रजत दोनों जीते। 1962 में भारत के ही मिल्खा सिंह और मक्खन सिंह ने देश के लिए एक ही इवेंट में सिल्वर और गोल्ड मेडल जीते थे।
धरौदी की हैंडबाल खिलाड़ी जीत चुकी कई मेडल
धरौदी गांव के किसान की बेटी रिंपी ने हैंडबाल में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है। साल 2014 और 2018 में एशियन गेम्स खेल चुकी हैं। साल 2016 में साउथ एशियन गेम्स में टीम को गोल्ड दिलाने में अहम भूमिका निभाई। साल 2016 में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में प्रतिभागिता की। रिंपी फिलहाल हरियाणा खेल विभाग में जूनियर कोच के पद पर कार्यरत हैं। रिंपी का छोटा भाई मंदीप भी हैंडबाल खिलाड़ी है। भीम अवार्ड के लिए चयन होने पर रिंपी के परिवार में खुशी का माहौल है।
पिछली बार चयन नहीं होने से दीपक ने जताई थी नाराजगी
शादीपुर गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर दीपक लाठर का जब पिछली बार भीम अवार्ड के लिए चयन नहीं हुआ था, तब उन्हें व अभिभावकों को काफी निराशा हुई थी। दीपक ने साल 2016 में पंजाब में आयोजित सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड, 2017 में तमिलनाडु में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर और 2018 में कर्नाटक में आयोजित सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। पुणे में 2016 में आयोजित कामनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। 2017 में सीनियर कामनवेल्थ चैंपियनशिप में और 2017 में कोरिया में आयोजित एशिया कप चैंपियनशिप में कांस्य पदक और 2018 में आस्ट्रेलिया में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता था।
सोनिया लाठर को मिल चुका है अर्जुन अवार्ड
जुलाना की रहने वाली महिला मुक्केबाज सोनिया लाठर को साल 2019 में अर्जुन अवार्ड मिल चुका है। सोनिया ने 12वीं तक की पढ़ाई जुलाना के राजकीय स्कूल से की है। सोनिया ने 2012 में 54 किग्रा भार वर्ग में एशियाई महिला मुक्केबाजी में रजत पदक जीता। उसके बाद लगातार मेहनत के दम पर आगे बढ़ती रही। सोनिया के पिता प्रेम सिंह खेती करते हैं और मां निर्मला गृहणी हैं। सोनिया को बचपन से ही खेलकूद का शौक रहा है। घरवालों ने भी उसे कभी नहीं रोका और बेटी को खेल में अपना करियर बनाने में पूरा सहयोग दिया।
आसन गांव के लक्ष्य हैं जूनियर कोच
खेल विभाग में जूनियर कोच आसन गांव के रहने वाले रविंद्र कनोइंग गेम में देश को मेडल दिलाना चाहते हैं। उनके पिता रामपाल और माता मुन्नी देवी हैं। भीम अवार्ड के लिए चयनित होने से परिवार में खुशी का माहौल है। रविंद्र अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। रविंद्र आठ साल सीआरपीएफ में नौकरी कर चुके हैं। सीआरपीएफ में नौकरी के दौरान उन्होंने अपने खेल पर काफी ध्यान दिया। पिछले साल नवंबर में खेल विभाग में जूनियर कोच के पद पर उनका चयनप हुआ।
आर्मी में सूबेदार हैं शाहपुर के विनोद
शाहपुर गांव के पहलवान विनोद के पिता ओमप्रकाश और माता बिमला देवी खेती करते हैं। विनोद ने खेल स्कूल निडानी में प्रशिक्षण के साथ-साथ 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की। वे सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। वे सोनीपत में नेशनल प्रशिक्षण कैंप में कामनवेल्थ और एशियन गेम की तैयारी कर रहे हैं। विनोद को कुश्ती खेलने की प्रेरणा उनके अंकल भीम सिंह से मिली। वे शुरू से कुश्ती की तैयारी करवाते आ रहे हैं। विनोद वह वर्ल्ड, एशियन और नेशनल चैंपियनशिप में भी मेडल जीत चुके हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।