कोरोना महामारी में जीवन रक्षक बना हरियाणा का सबसे बड़ा हर्बल पार्क, दूसरे प्रदेशों से पौधों की डिमांड
कोरोना काल में हरियाणा के एकमात्र हर्बल पार्क में न सिर्फ हरियाणा बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं। हर्बल पार्क से जड़ी-बूटियों के 30 हजार पौधों की बिक्री हुई।
पानीपत/यमुनानगर, [रविंद्र चौहान]। यमुनानगर के चुहड़पुर कलां स्थित हर्बल पार्क में जड़ी-बूटियों की डिमांड बढ़ रही है। अब से पहले विभिन्न औषधियों के 30 हजार पौधों की बिक्री हो चुकी है। न केवल हरियाणा के विभिन्न जिलों में बल्कि हिमाचल प्रदेश, उप्र व दिल्ली से भी डिमांड आ रही है। इसके अलावा क्षेत्र के किसान काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इससे उत्साहित कलेसर वन रेंज की टीम रात दिन हर्बल पार्क की जड़ी बूटियों की देखरेख में जुटी हुई है। अधिकारियों का मानना है कि कोरोना वायरस के लडऩे के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी जड़ी बुटियां लेकर जा रहे हैं।
184 एकड़ में फैला है हरियाणा का सबसे बड़ा हर्बल पार्क
ताऊ देवी लाल हर्बल नेचर पार्क चुहडपुर कलां 184 एकड़ में जड़ी बूटियां लगी हुई है। इस प्राकृतिक उद्यान में 350 किस्म की दुर्लभ जड़ी बूटियों की कई प्रदेशों में बहुत डिमांड है। आए दिन यहां पर्यटक हर्बल पार्क का दौरा करने आते हैं और भारी तादाद में अपनी साथ प्राकृतिक जड़ी बूटियां ले जाते हैं।
किसानों की हो रही अच्छी आमदन
ताऊ देवी लाल हर्बल नेचर पार्क के गार्ड दीपक ने बताया कि अभी तक विभिन्न दुर्लभ प्रजातियों की लगभग 30 हजार पौधों की बिक्री हो चुकी है। उनका कहना है कि औषधीय खेती की डिमांड बढ़ रही है । लोग पारंपरिक खेती के साथ-साथ औषधीय खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। अपने खेतों में विभिन्न दुर्लभ प्रकार की जड़ी बूटियां लगा रहे हैं और अच्छी आय कमा रहे हैं।
इनकी ज्यादा मांग
ताउ देवी लाल हर्बल नेचर पार्क में आंवला, शिकाकाई, रुद्राक्ष पत्थर चट, अश्वगंधा , तुलसी , मरवा , छुईमुई , शतावरी, बेहड़ा , तेज पत्र , ग्वारपाठा, सर्पगंधा , पुत्तरण जीवा, काला बांसा , गोंद कतीरा, सफेद चंदन , हार सिंगार, बड़ी इलायची, सदाबहार समेत दुर्लभ जड़ी बूटियां पैदा की जा रही हैं।
अबकी बार एक लाख नई पौध लगाई गई : कुलदीप
वन रेंज अधिकारी कुलदीप सिंह का कहना है कि पार्क में एक लाख से अधिक नई जड़ी बूटियों की पौध लगाई जा रही है । इससे आने वाले समय में लोगों को हर्बल खेती करने के लिए प्रेरित किया जा सके और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत पेश न आए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।