हरियाणा उद्यान विभाग की पहल, जल संरक्षण के लिए उपलब्ध कराएगा रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक, जानिए और भी योजनाएं
जल संरक्षण के लिए हरियाणा उद्यान विभाग ने पहल की है। हरियाणा उद्यान विभाग की ओर से बारिश के पानी के संरक्षण करने वाले किसानों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक उपलब्ध कराया जाएगा। जानिए और क्या-क्या योजनाएं हैं उद्यान विभाग की।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। घटती जोत व फसलों पर बढ़ती लागत को देखते हुए फल-सब्जियों की खेती काफी कारगर साबित हो रही है। किसानों का रुझान इस ओर बढ़ रहा है। जिले की बात की जाए तो करीब 30 हजार हेक्टेयर पर विभिन्न किस्म की सब्जियों की खेती की जा रही है। फलों का एरिया भी करीब आठ हजार हेक्टेयर है। फल व सब्जियों की फसलों को बढ़ावा व उत्पादक किसानों को राहत देने के लिए उद्यान विभाग की क्या-क्या योजनाएं हैं। किसान किस तरह इन योजनाओं का फायदा उठाकर आमदन बढ़ा सकते हैं। ऐसे तमाम बिंदुओं पर संवाददाता संजीव कांबोज ने जिला उद्यान अधिकारी डा. कृष्ण कुमार से बातचीत की।
सवाल : फल व सब्जियों की खेती किसानों के लिए कैसे कारगार साबित हो सकती है?
जवाब : फल व सब्जियों की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। कारण यह है कि इसमें अच्छा मुनाफा है। साथ ही उद्यान विभाग की ओर से पूरी तरह सहयोग दिया जाता है। विभाग की ओर संचालित हर योजना किसानों तक पहुंचाई जा रही है। किसानों को बकायदा अनुदान भी दिया जा रहा है।
सवाल : सब्जियों की बेहतर व स्वस्थ पैदावार के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब : देखिए, किसान अब खेती की परपरांगत पद्धतियों को छोड़कर आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। स्वस्थ पैदावार की जहां तक बात है, इसके लिए किसान स्टेकिंग का प्रयोग कर रहे हैं। बांस के डंडों पर जाल बनाकर बेलों वाली सब्जियां उगा रहे हैं। इसमें एक कदम और आगे बढ़ते अब विभाग आयरन स्टेकिंग के लिए प्रोस्ताहित कर रहा है। इस पर एससी श्रेणी के किसान के लिए 90 व सामान्य श्रेणी के किसान को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
सवाल : जल संरक्षण की दिशा में क्या प्रयास है?
जवाब : सब्जियों की फसल उगाकर किसान जल संरक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके लिए किसानों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक भी अनुदान पर मुहैया करवाए जा रहे हैं। इनमें बारिश व ट्यूबवेल के पानी को स्टोर किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर इसका प्रयोग फसल की सिंचाई के लिए किया जा सकता है। इस पर विभाग की ओर से 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। यह योजना काफी कारगर साबित हो रही है।
सवाल : आगामी दिनों में ठंड बढ़ेगी। किसान किस तरह सब्जियों को ठंड से बचाव कर सकते हैं?
जवाब : इसके लिए प्लास्टिक टनल बेहतर विकल्प है। जिले में 25 हेक्टेयर का लक्ष्य विभाग की ओर से रखा गया है। 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाता है। वैसे तो घीया तोरी की बिजाई फरवरी मार्च में होती है लेकिन प्लाटस्टिक टनल का प्रयोग कर दिसंबर-जनवरी में बिजाई कर सकते हैं। ऐसा करने से किसान को फसल के दाम भी अच्छे मिलेंगे। साथ ही फसल स्वस्थ रहेगी। इसके अलावा प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग कर किसान बेहतर तरीके से सब्जियों की फसल उगा सकते हैं। खेत में नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगती।
सवाल : सब्जियों की फसलों पर कीटों का काफी प्रकोप रहता है। बचाव के लिए क्या प्रयास हैं।
जवाब : सब्जियों की फसल को कीटों से बचाव के लिए किसान सोलर संचालित एलइडी लाइट ट्रैप का प्रयोग कर सकते हैं। खेत में लगाने पर यह कीट को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इसका प्रयोग करने पर विभाग की ओर से 75 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाता है। इसके अलावा फीरोमोन ट्रैप भी काफी कारगर साबित हो रहा है। इसके प्रयोग से सब्जियों की फसलों को कीटों से सुरक्षित रखा जा सकता है।
सवाल : जिले में मशरूम उत्पादन की क्या स्थिति है? कितने किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं?
जवाब : मशरूम की करीब 800 टन सालाना पैदावार है। पांच यूनिट एसी हैं जबकि करीब 300 यूनिट सामान्य हैं। 300 से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। इस बार पैदावार 850 टन तक पहुंच सकती है।
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