Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धान में ब्लास्ट रोग का प्रकोप, हरियाणा के किसान रहें सावधान, नहीं तो उत्‍पादन हो जाएगा आधा

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 21 Aug 2021 10:10 AM (IST)

    हरियाणा के किसान को सावधान रहने की जरूरत है। धान में ब्‍लास्‍ट रोग का खतरा बढ़ रहा है। जरा सी लापरवाही धान का उत्‍पादन आधा कर सकता है। समय पर रोकथाम जरूरी है। कृषि विभाग ने ब्‍लास्‍ट रोग के बारे में अलर्ट किया है।

    Hero Image
    धान में ब्‍लास्‍ट रोग का खतरा बढ़ रहा।

    कैथल, [सोनू थुआ]। धान की फसल पर इन दिनों ब्लास्ट रोग का खतरा मंडराने लगा है। इसलिए समय पर रोकथाम के प्रति किसानों को सचेत रहने की जरूरत है। समय पर बीमारी का रोकथाम नहीं हुआ तो उत्पादन आधा रह जाएगा। जब किसान को धान के पौधे पर धब्बे दिखाई देना शुरू हो जाए, तो समझ लें कि रोग की शुरूआत हो चुकी है। उसके बाद धीरे- धीरे रोग पूरी फसल को चपेट में ले लेता है। इस रोग का शुरू में इलाज हो सकता है। ज्यादा फसल में बढ़ने के बाद इसका रोकथाम नहीं हो सकता है। अब किसान रोजाना फसलों की जांच करें और धब्बे दिखाई देने पर तुरंत विशेषज्ञों की सलाह से दवाइयों का छिड़काव करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये है लक्षण

    यह एक खतरनाक बीमारी है। सबसे पहले पत्तियां भूरी हो जाती है। फिर तने पर धब्बे दिखाई देना शुरू आ जाते है। अंत में जहां से बाली निकलती है उस स्थान पर धब्बा बन जाता है। इस बीमारी का बालियां पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। यदि इसका नियंत्रण नहीं किया जाए तो ये 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।

    ये है बीमारी के लिए बचाव

    उर्वरकों का किसान संतुलित प्रयोग करे, पत्ति अवस्था पर लक्षण दिखाई देते ही हेक्साकोनाजोल 5 ईसी अथवा प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी दो मिली प्रति लीटर अथवा ट्राईसाइकलोजोल 75 डब्ल्यूपी एक ग्राम प्रति लीटर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करे। डाक्टरों की सलाह से दवाइयों का प्रयोग करें।

    यह नियंत्रण योग्य बीमारी है। किसान समय रहते दवाओं का उपयोग करे तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। पत्ति अवस्था में पत्ति पर आंख, नाव की तरह के भूरे रंग के धब्बे होते है, जिससे इसे पहचाना जा सकता है। समय पर रोकथाम नहीं हुआ था, फसल को ज्यादा नुकसान हो जाता है। किसान सुबह शाम अवश्व खेत की देखभाल करें। इस रोग के आने के बाद ज्यादा समय धान में पानी न खड़ा करें।

    -रमेश चंद्र, कृषि समन्वयक