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    हनुमान स्वरूप की परंपरा पाकिस्तान में शुरू हुई, अंग्रेजों के समक्ष दी थी परीक्षा

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 10 Sep 2019 06:38 AM (IST)

    आठ अक्टूबर को दशहरा है। इससे पहले घूम-घूमकर हनुमान स्वरूप श्रीराम के जयकारे लगाते हैं।

    हनुमान स्वरूप की परंपरा पाकिस्तान में शुरू हुई, अंग्रेजों के समक्ष दी थी परीक्षा

    जागरण संवाददाता, पानीपत : आठ अक्टूबर को दशहरा पर्व है। दशहरे से पहले घूम-घूम कर हनुमान स्वरूप श्रीराम के जयकारे लगाते हैं। गोला(बम) फोड़कर सिंहनाद करते हैं। यह परपंरा पाकिस्तान में शुरू हुई थी। विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए लैय्या समाज के लोग यह परंपरा अपने साथ पानीपत में लेकर आए। शुरुआत में तीन हनुमान स्वरूप बनने शुरू हुए। वर्तमान में 600 से अधिक हनुमान स्वरूप बन रहे हैं। जब अग्रेंज अधिकारी के समक्ष दी परीक्षा

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    आजादी से पहले पाकिस्तान में सरहंद के पास मुस्लिम समाज के कहने पर अंग्रेज अधिकारियों ने दशहरा पर्व का अवकाश बंद कर दिया था। जिस पर हिदू समाज इकट्ठा होकर अंग्रेज अधिकारियों से मिले। उस समय अंग्रेज अधिकारी ने कहा कि हनुमान ने 400 योजन समुंद्र लांघा था। यदि तुम सरहंद के दरिया को पार करके दिखा तो तो दशहरे का अवकाश मिलेगा। उस समय एक सिद्ध पुरुष ने इस चैलेंज को स्वीकार कर लिया। उन्होंने इसके लिए एक व्यक्ति को तैयार किया। उसे बलिदान के लिए कहा गया। उस व्यक्ति को सिदूर लगाया गया। चालिस दिन के व्रत करवाए गए। सरहंद दरिया को उस व्यक्ति ने उड़कर पार किया। दूसरे किनारे पर जाने के बाद जब वह वापस लौटा तो उसके लिए शैय्या तैयार थी। शैय्या पर पहुंचने के बाद उसने प्राण त्याग दिए। इसके बाद अंग्रेज अधिकारी ने दशहरा की छुट्टी देना शुरू कर दिया। उसी समय से हनुमान स्वरूप बनने के परंपरा शुरु हुई। सुंदर कांड की चौपाई में जिक्र

    गुरु अरुणदास महाराज बताते हैं कि सुंदर कांड में जब जानकी हनुमान का मिलन होता है तो जानकी कहती हैं कि राम की सेना में ऐसा कोई है जो रावण के राक्षसों का मुकाबला कर सकेगा। इस पर हनुमान जी ने स्वर्ण का स्वरूप धरा था। सुंदर कांड में चौपाई है। कनक भूधरा कार शरीरा। उसी के मुताबिक स्वरुप धारण किया जाता है। लाल रंग सिदूर लगाया जाता है। स्वरूप की मूर्ति पर शीशे लगते है। सोने की किनारी, घोटा लगाया जाता है। सोना महंगा होने के कारण सोने के स्वरूप नहीं बनता। पानीपत का सौभाग्य है कि यहां सबसे अधिक 600 स्वरूप बनते हैं। हनुमान स्वरूप 40 दिनों तक भूमि पर शयन करते हैं, एक समय भोजन लेते हैं, ब्रह्मचार्य का पालन करते है। देव स्थान पर 40 दिन तक रहते हैं।

    हनुमान ने किया सिंह नाद

    लंका से वापसी के दौरान हनुमान ने सिंहनाद किया था जिससे राक्षससियों के गर्भपात हुए थे। हनुमान स्वरूप निकालते समय गोले (बम) इसीलिए बजाए जाते हैं। जिन-जिन घरों में हनुमान स्वरूप जाते हैं। वहां बम गोला बजाने पर नकारात्मकता नहीं रहती।