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    Hanuman janmotsav 2022: कैथल का अंजनी टीला मंदिर, जहां मन मांगी मुराद होती है पूरी

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 16 Apr 2022 07:25 AM (IST)

    Hanuman Jayanti 2022 कैथल का अंजनी टीला मंदिर। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार मंदिर सतयुग से ही यहां स्थित है। यहां पहले एक विशाल टीला होता था। एक मान्यता ...और पढ़ें

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    Hanuman Jayanti News: कैथल स्थित अंजनी टीला।

    कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल को भगवान हनुमान जी की जन्मस्थली माना जाता है। इसका प्राचीन नाम कपिस्थल है। कपिस्थल के राजा भगवान हनुमान के पिता केसरी रहे हैं। बता दें कि शहर के पार्क रोड पर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर भी है। यह मंदिर मां अंजनी के टीले के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान हनुमान की माता अंजनी को समर्पित यह टीला जिले के मुख्य ऐतिहासिक स्थानों में से एक माना जाता है। यह मंदिर शहर के बीचों-बीच स्थित है। यहां हर मंगलवार को पूजा पाठ करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगाता है। 

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    मंदिर के पुजारी पंडित बाबूराम शर्मा ने बताया कि ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार मंदिर सतयुग से ही स्थित है। यहां पहले एक विशाल टीला होता था। एक मान्यता यह भी है कि यहां पर माता अंजनी का निवास था और हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस कारण इसे अंजनी का टीला कहा जाता है। कपि के राजा होने की वजह से हनुमान जी के पिता केसरी को कपिराज कहा जाता था। बाद में माता अंजनी के टीले के पास रिहायशी क्षेत्र में तब्दील हो गया और यह टीला विलुप्त हो गया। श्रद्धालु हर मंगलवार को मंदिर में पूजा-अर्चना के तहत हनुमान चालीसा व बजरंग बाण से भगवान हनुमान की स्तुति करते हैं।

    मंदिर में पूजा करने से मिलता मनवांछित फल

    पुजारी बाबूराम ने बताया कि माता अंजनी टीला हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मन वांछित फल मिलता है। श्रद्धालुओं की तरफ उसे दिए गए दान से मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। वर्ष में किसी एक निश्चित दिन आने की बजाय श्रद्धालु किसी भी मंगलवार को यहां पूजा पाठ के लिए आते हैं।

    भगवान हनुमान से जुड़े इतिहास के कारण दशहरा पर्व पर निकाली जाती है दंडवत यात्रा

    कैथल के भगवान हनुमान से इतिहास जुड़ने के कारण इसकी ऐतिहासिक मान्यता और अधिक बढ़ जाती है। क्याेंकि यहां पर दशहरा पर्व पर 25 से अधिक समितियों की तरफ से दंडवत यात्रा निकाली जाती है। इस दंडवत यात्रा के तहत दशहरा पर्व से 21 से 41 दिन पहले ही युवा ब्रह्मचार्य का पालन करते है। इस दौरान वह बिना नमक के और एक समय ही खाना खाते हैं। सुबह व शाम के समय नित समय पर भगवान हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं। हनुमान जन्मोत्सव के तहत शनिवार शहर के विभिन्न हनुमान मंदिरों में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें रामचरित मानस और रामायण का पाठ आयोजित किया जाएगा और विशाल भंडारे लगाएं जाएंगे।