Good News : बच्चे के दिल में है अगर छेद तो फ्री होगी सर्जरी, पर ये शर्त जरूरी
बच्चे के दिल में छेद होने से उसकी सर्जरी में लाखों रुपये का खर्च आता है। इस वजह से कई गरीब माता पिता इस सर्जरी को नहीं करा पाते। लेकिन अब ऐसा नही होगा। अब इसकी सर्जरी फ्री में होगी। बस कुछ शर्त जरूरी हैं।
पानीपत, जेएनएन। शून्य से अठारह साल के बच्चे-किशोर के दिल में छेद है। सरकारी स्कूल में अध्यनरत है या 134-ए के तहत निजी स्कूल में फीस माफ है। किसी चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआइ) में रह रहा तो ऐसे बच्चों की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत निश्शुल्क सर्जरी कराई जाती है।
आरबीएसके के जिला नोडल अधिकारी डा. ललित वर्मा ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि स्कूल हेल्थ टीमें विद्यालयों में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य जांचती थी, तब दिल में छेद वाले बच्चों को चिन्हित किया जाता था। कोरोना महामारी में स्कूल एक्टिविटी बंद हैं। किसी अभिभावक के बच्चे को ऐसी कोई दिक्कत है तो वह सिविल अस्पताल या नजदीकी सरकारी फैसिलिटी केंद्र में पहुंचकर, लाभ प्राप्त कर सकता है। दिल में छेद के अलावा दूसरी दिक्कत है तो भी इलाज फ्री मुहैया कराया जाता है। उन्होंने बताया कि गर्भ में पल रहे शिशु के दिल में छेद का अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से पता चल जाता है।
डा. वर्मा के मुताबिक दिल के छेद की सर्जरी महंगी है, एक से तीन लाख रुपये तक का खर्च आता है। हर साल 40-50 बच्चों की सर्जरी फ्री कराई जाती है। इस साल भी पांच बच्चे चिन्हित हो चुके हैं। बच्चों के कटे होंठ-चिपके तालू की सर्जरी भी निशुल्क करायी जाती है।
छह फैसिलिटी केंद्रों में टीमें मौजूद
डा. वर्मा के मुताबिक सिविल अस्पताल सहित समालखा, सिवाह, बापौली, नौल्था और मतलौडा के सरकारी अस्पताल में आरबीएसके की टीमें बैठती हैं। अभिभावक बच्चा और उसकी मेडिकल हिस्ट्री लेकर वहां पहुंचें, ताकि योजना का लाभ मिल सके।
रोग के लक्षण
-बच्चे का रंग नीला पड़ जाता है।
-नाखून और होंठ भी नीले पड़ जाते हैं।
-सांस लेने में दिक्कत होती है।
-शिशु को दूध पीने में दिक्कत आती है।
-पसीना आना, वजन कम और थकान।
बच्चों के दिल में छेद का कारण
-ज्यादातर केस जन्मजात सामने आए।
-गर्भवती महिला को रुबैला-खसरा होना।
-कुछ मेडिसन का दुष्प्रभाव।
-गर्भवती महिला द्वारा शराब का सेवन।
-गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, कोकीन सेवन।
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