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    पानीपत के समालखा के लिए अच्‍छी खबर, मनाना 33 केवीए का होगा जीर्णोद्धार, बिजली कट नहीं लगेंगे

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 28 Dec 2021 09:48 AM (IST)

    पानीपत के समालखा के लोगों के लिए राहत भरी खबर है। समालखा के मनाना में 33 केवीए के पावर हाउस का जीर्णोद्धार होगा। इससे लाइन ब्रेकडाउन सहित अघोषित कटों से मिलेगी मुक्ति मिलेगा लाभ। 80 लाख के बजट को स्‍वीकृति के लिए भेजा।

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    पानीपत में पावर हाउस का जीर्णोद्धार होगा।

    पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत के समालखा ब्‍लाक के लिए अच्‍छी खबर है। 220 केवीए से छदिया पावर हाउस को जाने वाली लाइन को लगभग संवार दिया गया है। जर्जर तारों को बदला गया है। 70 की जगह 150 एमएम दक्षता की नई तारें लगाई गई हैं। अब मनाना 33 केवीए लाइन को उच्च गुणवत्ता की तारों से संवारने के लिए 80 लाख का बजट तैयार कर स्वीकृति के लिए उच्चाधिकारियों के पास भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलते ही काम शुरू किया जाएगा। अगले माह तक इसके शुरू होने की उम्मीद है।

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    220 केवीए पावर हाउस से छदिया और मनाना की अलग-अलग लाइन गई है, जिसकी दूरी 8 किमी के करीब है। दोनों लाइनों में दर्जन के करीब रेलवे ट्रैक और सड़कों की क्रासिंग है, जहां अंडर ग्राउंड केबल अंदर से गई हुई है। लाइनों के बीच में भी अलग-अलग गुणवत्ता और दक्षता की बिजली तारें लगी हैं, जिससे सप्लाई में हमेशा दिक्कत आती है। आंधी और तूफान के समय लाइन ब्रेकडाउन हो जाती है।

    काम प्रभावित होते हैं

    उपभोक्ताओं के साथ कर्मचारियों की भी फजीहत होती है। खेतों से गुजरने के कारण पूरी लाइन का पेट्रोलिंग करना कठिन होता है। उपभोक्ताओं के काम प्रभावित होते हैं। फसल सीजन में तो किसान धरना प्रदर्शन पर उतर आते हैं। पुराने जर्जर तारों की जगह अधिक क्षमता के नई तारों के लगने से सभी को इसका लाभ मिलेगा। निगम अधिकारियों की परेशानी भी कम होगी। लाइन लास में बचत होगी।

    एक की जगह अलग-अलग खंभों से जाएगी लाइन

    समालखा 220 केवीए से दोनों लाइनें करीब 100 मीटर तक एक साथ बिजली खंभों पर गई है, जिससे इंडक्शन का खतरा बना रहता है। फाल्ट आने पर कर्मचारियों को लाइन की मरम्मत के समय दोनों का परमिट लेना पड़ता है। एक के फाल्ट से दूसरी लाइन भी प्रभावित हो जाती है। आधा दर्जन से अधिक गांवों की सप्लाई घंटों बंद रखनी पड़ती है। मनाना पावर हाउस के निर्माण के समय से ही इसे अलग करने की मांग चल रही थी, लेकिन संसाधन के अभाव में इसे अलग नहीं किया जा रहा था।