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    Panipat: गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में भी गोल्ड जीतने का किया दावा, हरियाणवी बोली प्रमोट करने की शुरू की पहल

    By Vinod KumarEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Sun, 26 Nov 2023 10:57 PM (IST)

    स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में ट्रैक्टर पर सवार होकर भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में भी गोल्ड जीतने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गोल्ड जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दूंगा। इसके साथ ही पैतृक गांव खंडरा पहुंचे नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी बोली को प्रमोट करने की पहल की। साथ ही कहा कि दूसरी भाषाएं सीखनी चाहिए लेकिन अपनी बोली नहीं छोड़नी चाहिए।

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    गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में भी गोल्ड जीतने का किया दावा।

    संवाद सहयोगी, मतलौडा(पानीपत)। शनिवार को गांव में एक कार्यक्रम के दौरान जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने कहा कि पेरिस ओलिंपिक के लिये पहले ही क्वालिफाई कर चुका हूं। देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने को एड़ी-चोटी का जोर लगा दूंगा। सप्ताह भर से गांव में हूं। एक सप्ताह में ही लगभग छह किलो वजन बढ़ गया है। मां और चाचा सुबह उसे मक्खन के साथ खाना देते हैं। जल्दी ही ट्रैक पर जाकर वजन कम कर लूंगा। पेरिस ओलिंपिक के लिए बाहर तैयारी करनी है।

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    हरियाणवी बोली को देश-विदेश में मान सम्मान दिलवाने और अपनी बोली पर गर्व महसूस करने सहित अन्य मुद्दों पर खुलकर बातचीत की है। संस्कृति पब्लिक स्कूल ऊंटला में नीरज चोपड़ा चाचा सुरेंद्र चोपड़ा के साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर कार्यक्रम में पहुंचे।

    विदेश में हरियाणवी बोलने में करते हिचकिचाहट

    नीरज चोपड़ा ने उपस्थित लोगों को हाथ जोड़कर राम-राम करते हुए कहा कि हरियाणा के लोगों ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का देश-विदेश में लोहा मनवाया है, लेकिन हरियाणवी बोली बोलने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। यह सही नहीं है। हर व्यक्ति को अपनी मातृ बोली के अलावा दूसरी भाषाएं एवं बोलियां सीखनी चाहिए, लेकिन अपनी बोली कभी नहीं छोड़नी चाहिए। मैं हरियाणवी बोली को देश-विदेश में खुलकर बोलता हूं। किसी भी व्यक्ति को अपनी बोली व संस्कृति कभी नहीं छोड़नी चाहिए। अपनी मातृभाषा के साथ ही मातृ बोली को भी जरूर अपनाना चाहिए।

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    अपनी बोली में लगता अपनापन

    नीरज चोपडा ने कहा कि हमें अपनी बोली में अपनापन लगता है। इसे बोलने में कभी शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। पहले मेरी अंग्रेजी कमजोर थी, लेकिन अब बहुत सुधार है। कभी भी अपनी बोली नहीं छोड़ी है। मुंबई में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में पूछा गया था कि आप इंग्लिश या हिंदी किस भाषा में बात करोगे। तो मैंने जवाब दिया कि मैं तो हरियाणवी में बात करूंगा। वहां पर हरियाणवी बोलकर बड़ा मजा आया। अपनी बोली पर सदैव गर्व करना चाहिये और उसको बेहिचक बोलना चाहिए।

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