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Gangwar in Ambala: अंबाला में गैंगवार का 25 साल का इतिहास, 1996 से हुई थी शुरुआत

वीरवार को अंबाला शहर में दिनदहाड़े चार मिनट गोलियों की आवाज से अंबाला थर्रा गया। भुप्पी गैंग और लॉरेंस बिश्नोई गैंग के बीच चल रही रंजिश के चलते हुई गैंगवार में दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो घायल हो गए। 25 साल पहले दुश्मनी की शुरुआत हुई थी।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 05:54 PM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 05:54 PM (IST)
Gangwar in Ambala: अंबाला में गैंगवार का 25 साल का इतिहास, 1996 से हुई थी शुरुआत
जिस तरह सरेराह गैंगवार हुई, उससे माना जा रहा है कि दूसरा गैंग भी पलटवार कर सकता है।

अंबाला, जेएनएन। अंबाला में गैंगवार का 25 साल का इतिहास रहा है। कई बार सड़कों पर खून बहा और हत्याएं हुईं। यह वारदातें काफी चर्चा में रही है। इसकी शुरुआत साल 1996 में हुई थी, जिस पर 2009 में बॉबी हत्याकांड के बाद इस गैंगवार से राहत तो मिली, लेकिन फिर 2019 में गैंगवार फिर से शुरु हो गई। अब एक बार फिर से सड़क पर लॉरेंस गैंग ने खूनी खेल खेला है। इस बार भुप्पी राणा गैंग के दो सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया, जबकि दो को गंभीर रूप से जख्मी हो गया। जिस तरह से वीरवार को सरेराह गैंगवार हुई है, उससे माना जा रहा है कि दूसरा गैंग भी पलटवार कर सकता है। ऐसे में पुलिस अब और भी अलर्ट हो गई है।

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इस तरह से शुरु हुई थी अंबाला में गैंगवार

अंबाला में सन 1996 में शुरू हुई गैंगवार 2019 तक भी नहीं रुक सकी। इस गैंगवार में करीब दो दर्जन लोगों की हत्याओं से अंबाला की सड़कें लाल हो चुकी हैं। गैंगवार ही नहीं बल्कि गवाहों पर भी हमले हुए, जिनको मौत के घाट उतार दिया गया। खुलेआम गोलियां मारकर हत्या का सिलसिला पूर्व पार्षद राजू ढलैया की मौत से शुरू हुआ, जो अब भुप्पी राणा गैंग के दो सदस्यों प्रदीप उर्फ पंजा व राहुल की मौत तक पहुंच चुका है।

एक के बाद एक होती गई हत्याएं

सन 1996 में पूर्व पार्षद राजू ढलैया की छावनी थाने के पास हत्या कर दी गई। यह मामला गैंगस्टर रहे बॉबी से जुड़ा था। इसके बाद सन 1999 में जितेंद्र सिंह हीरा की हत्या हुई, जबकि सन 2002 में रमेश दुग्गल की भी हत्या कर दी गई। हत्याओं का सिलसिला इस कदर शुरू हुआ कि सन 2002 में ही बिंदू की भी हत्या कर दी गई। सन 2004 से लेकर राकेश बॉबी ने अंबाला शहर के राजेंद्र बॉबी की हत्या की और इसी साल रिंकू की भी हत्या कर दी। सन 2005 में देवा, बिब्बा, अनूपा, जीवन और राजकुमार की हत्या की गई। इसके बाद सन 2006 में चिड़िया की हत्या कर दी गई, जबकि सन 2009 में रॉकेश उर्फ बॉबी की बहन रितु और रमेश की भी हत्या कर दी गई। इसी दौरान गैंगस्टर राकेश उर्फ बॉबी की भी हत्या कर दी गई। दो साल बाद सन 2011 में सूर्य प्रताप की हत्या की गई। एक दूसरे से जुड़े इन मामलों में सन 2013 में पूर्व सरपंच गुरपाल सिंह और 2019 में पूर्व एसआई सतविंदर सिंह उर्फ काका की हत्या कर दी गई है।

गवाह तक अंबाला में नहीं हैं सुरक्षित

इस गैंगवार में गवाहों पर भी निशाना साधा गया है। सन 2013 में गुरदीप सिंह हत्याकांड के बाद गवाह रहे रणधीर सिंह की गोलियां मारकर हत्या की गई, जिसके बाद गुरदीप के चाचा पूर्ण चंद की भी हत्या कर दी गई। इसी तरह सेशन जज हत्याकांड के गवाह को गोली मारने के चक्कर में एक पुलिस कर्मी को हत्यारोपितों ने गोली मार दी थी, जिसकी मौत हो गई थी।

अंधाधुंध गोलियों से बचे अश्वनी ने बताया घटनाक्रम 

अंबाला में कालका चौक पर नकाबपोशों ने जिस वर्ना कार में अंधाधुंध फायरिंग की थी। उसमें मौली जागरा निवासी अश्वनी भी बैठा हुआ था। वह ड्राइवर के साथ वाली सीट पर था। इस गोलीकांड में जहां राहुल और प्रदीफ उर्फ पंजा की मौत हुई और गौरव और वह खुद घायल हो गया। पुलिस को दिये बयानोंं में अश्वनी ने बताया कि कोर्ट के बाहर आने के बाद तीन युवक दीपा गुर्जर, नन्दू व एक अन्य लड़का हमारे केश से जुड़े हैं जो पेशी पर आये थे। जिनको भी हमने अपने साथ गाड़ी में बैठा लिया था और अग्रसेन चौक पर उतार दिया था और हम सभी मौली जागरा के लिये चल दिये थे। गौरव कार को चला रहा था और मैं साथ वाली सीट पर आगे बैठा था, जबकि राहुल व प्रदीप उर्फ पंजा पीछे बैठे थे। जब हम समय करीब 12 बजे कालका चौक पर पहुंचे तो स्विफ्ट उनके कार के आगे अड़ा दी। कार में से आये लड़कों ने उनपर गोलियां चलानी शुरू कर दी। इसमें राहुल और प्रदीप उर्फ पंजा को गोलियां लगने पर मौत हो गई, जबकि मैं और गौरव घायल हो गये।

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