Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी से जुड़ीं हैं अंबाला में कई यादें, यहां तोड़ा गया थ नमक कानून
Gandhi Jayanti 2022 अंबाला में महात्मा गांधी से जुड़ी कई यादें हैं। अंबाला शहर अनाज मंडी में तोड़ा गया था नमक कानून। 62 रुपये में हुई थी नमक की बोली। अपने जीवन काल में कई बार महात्मा गांधी अंबाला आए थे।
अंबाला शहर, [उमेश भार्गव]। महात्मा गांधी की बहुत सी यादें अंबाला से भी जुड़ी हैं। इतिहासकारों की मानें तो महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में कई बार अंबाला आए थे। उन्हीं से प्रेरणा पाकर अंबाला में नमक कानून तोड़ा गया था। आज से करीब 92 वर्ष पहले 1930 में हुए नमक सत्याग्रह में अंबाला ही ही विद्यावती के नेतृत्व में काफी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।
शहर की अनाज मंडी में खारे पानी से नमक बनाकर, नमक कानून तोड़ दिया गया था। उस नमक की नीलामी उस समय की गई जो 62 रुपये में हुई थी। इस रकम को कांग्रेस फंड में जमा कराया गया था। इतिहास में कई जगह इन बातों का उल्लेख किया गया है।
कौन थीं विद्यावती
विद्यावती का जन्म वर्ष 1906 में हुआ था। भाग्यादेवी और दुनीचंद के घर हुआ था। भाग्यादेवी अंबाला के मशहूर वकील लाला दुनीचंद की पत्नी थीं। अंबाला शहर में देव समाज कॉलेज के पास डीएवी गर्ल्स स्कूल इनका घर हुआ करता था, जिसे बाद में लड़कियों की शिक्षा के लिए दान में दे दिया। गया था। इतिहासकार डा अतुल यादव की मानें तो महात्मा गांधी अंबाला आए थे। उनकी कई यादें अंबाला से जुड़ी हैं। अन्य इतिहासकारों के मुताबिक महात्मा गांधी दुनीचंद के यहां ही ठहरे थे। इस दौरान कांग्रेस ने एक चरखा चलाने की प्रतियोगिता रखी। इसमें उस समय 15 वर्षीय विद्यावती प्रथम आई थी। यहीं से उनकी आंदोलनों में रुचि बढ़ गई थी।
छावनी और शहर में जलाई थी कपड़ों की होली...
विद्यावती ने महात्मा गांधी के आह्वान पर महिलाओं-पुरुषों को साथ लेकर शहर की पुरानी अनाज मंडी के पास के चौराहे व कैंट के ग्रेस होटल के चौराहे पर विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। आजादी के आंदोलन में उनकी भागीदारी ने महिलाओं को भी हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने विदेशी कपड़े बेचने वाली दुकानों के सामने धरना भी दिया था। इन्हीं किस्सों के चलते विद्यावती कम उम्र में प्रसिद्ध हो गई थीं।
शराबबंदी के लिए निकाला था जुलूस
वर्ष 1930 में विद्यावती के नेतृत्व में 400 महिलाओं और पुरुषों ने अंबाला के बाजार में एक जुलूस निकाला था। इसके अलावा इन्होंने 10 अगस्त 1930 को प्रिजनर्स-डे मनाया था। इसमें 500 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें विद्यावती की मां भाग्यदेवी ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
भाग्यदेवी को 8 महीने बिताने पड़े थे जेल में
आजादी के आंदोलनों में सक्रिय योगदान के चलते न केवल विद्यावती बल्कि उनकी मां को भी कई बार जेल जाना पड़ा था। राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रियता का ही परिणाम था कि भाग्यदेवी ने 1937 में पंजाब असेंबली का इलेक्शन लाहौर विधानसभा क्षेत्र से न केवल लड़ा बल्कि जीत भज दर्ज करवाई।