विक्रांत का नया अवतार...देखकर गदगद हुए नौसेना के पूर्व कमांडर विजय गौड़, बताया- दोनों में जमीन आसमान का फर्क
पूराने आइएनएस विक्रांत पर वरिष्ठ मौसम अधिकारी व समुंद्र ज्ञान विशेषज्ञ के पद पर तैनात रहे पूर्व कमांडर विजय गौड़ विक्रांत का नया अवतार को देखकर कुरुक्षेत्र वापस लौटे। उन्होंने कहा पहले सैकेंड हैंड खरीदकर देश की सुरक्षा में तैनात किया गया था अपने यहां तैयार आइएनएस विक्रांत अत्याधुनिक है।
कुरुक्षेत्र, विनीश गौड़। आइएनएस विक्रांत के नए अवतार को देखकर कुरुक्षेत्र वापस लौटे नौसेना के पूर्व कमांडर विजय गौड़ गदगद हैं। उन्होंने पुराने आइएनएस विक्रांत और नए आइएनएस विक्रांत दोनों में जमीन आसमान का फर्क बताया और कहा कि पुराना आइएनएस विक्रांत 1961 में सैकेंड हैंड खरीदकर देश की सुरक्षा में तैनात किया गया था, लेकिन स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत देश के गौरव का प्रतीक है।
यह विक्रांत का नया अवतार ही तो है, जो युद्ध की स्थिति में एक हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूर तक मार करेगा। वर्ष 1983, 84 और 85 में आइएनएस विक्रांत पर वरिष्ठ मौसम अधिकारी व समुंद्र ज्ञान विशेषज्ञ के पद पर तैनात रहे पूर्व कमांडर विजय गौड़ को भारतीय नौसेना की ओर से विशेष तौर पर दो सितंबर कार्यक्रम के लिए न्यौता भेजा गया था। कोचीन शिपयार्ड में स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत पर आयोजित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम में वे भी शामिल हुए।
कार्यक्रम से शामिल होने पर उन्हें नौसेना की ओर से आइएनएस विक्रांत का एक माडल भी गिफ्ट किया गया। गौर हो कि पूर्व कमांडर विजय गौड़ सर्विस सिलेक्शन बोर्ड में ढाई वर्ष तक नौसेना और थल सेना के आफिसरों के चयन बोर्ड में सदस्य भी रहे। सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक भी रहे हैं।
रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर किया गया सम्मान, पूरा एक दिन बिताया आइएनएस विक्रांत पर
75 साल के पूर्व कमांडर विजय गौड़ ने बताया कि उन्हें एक दिन पहले आने का न्यौता मिला था, जिसके बाद वे एक सितंबर को ही अरनाकुलम टाउन में पहुंच गए थे, जहां नौसेना की ओर से उन्हें सम्मान दिया गया। कोमोडोर विद्याधर हरके जो आइएनएस विक्रांत के कैप्टन हैं उन्होंने उनका स्वागत किया। पूरा एक दिन उन्होंने विक्रांत पर बिताया।
विजय गौड़ ने बताया कि पुराना विक्रांत जहां 28 हजार टन का था वहीं नए विक्रांत का वजन 43 हजार टन का है। इसमें लगी तारों को अगर जोड़ा जाए तो कोची से काशी तक पहुंच जाएगी। उन्होंने बताया कि आइएनएस विक्रांत की मारक क्षमता चारों दिशाओं में एक हजार किलोमीटर दूरी तक है। विक्रांत में लगे हर उपकरण अत्याधुनिक है, जो देश में ही तैयार हुए हैं। यह न केवल देश वासियों बल्कि सेना के लिए भी गौरवमयी बात है। युद्ध के समय हमें क्या-क्या चाहिए आइएनएस विक्रांत को वही सोचकर बनाया गया है।
पुराने विक्रांत को करवाया गया था राइनोवेट, नया नौसेना की जरूरत के हिसाब से किया गया तैयार
पूर्व कमांडर विजय गौड़ ने कहा कि उन्होंने आइएनएस विक्रांत पर 1983 से 85 तक कार्य किया और नए आइएनएस विक्रांत को भी अपनी आंखों से देख लिया। उन्होंने कहा कि पुराने आइएनएस को तो भारत ने अपने मुताबिक राइनोवेट करवाया था, लेकिन नए आइएनएस में हर वो चीज है, जिसकी भारतीय नौसेना को जरूर है। हर तरीके से नया विक्रांत परफेक्ट है। मुझे खुशी है कि इन दोनों के इतिहास का मैं साक्षी हूं।
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