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    ये हैं करनाल की वो पांच जगह, जहां आपको जरूर जाना चाहिए, खासियत जानकर रह जाएंगे हैरान

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 16 Jul 2022 05:19 PM (IST)

    स्मार्ट सिटी बनने के साथ ही करनाल काफी बदल गया है। करनाल में टूरिज्म के लिहाज से भी आपार संभावनाएं हैं। करनाल की प्रमुख जगहों की बात करें तो करनाल में पांच जगह ऐसी है जहां आप जरूर जाना चहेंगे।

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    स्मार्ट सिटी करनाल में घूमने लायक पांच जगह।

    पानीपत/करनाल, जागरण संवाददाता। कर्ण नगरी से स्मार्ट सिटी बनने के सफर में करनाल की शक्ल-ओ-सूरत में अब खासा बदलाव आ गया है। यहां सड़कों के चौड़ीकरण से लेकर सुचारू प्रकाश व्यवस्था जैसे कार्य तो कराए ही गए हैं वहीं कर्ण लेक से लेकर शहर भर के पार्कों के सुंदरीकरण की कवायद ने भी यहां की रौनक में चार-चांद लगा दिए हैं। आप भी बदलते करनाल के इन नजारों का आनंद उठा सकते हैं। तो आइए, शुरू करते हैं सिलसिलेवार ढंग से इन स्थानों का सफर...

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    मन मोहती कर्ण लेक

    यूं तो करनाल में कई सुंदर व मनोहारी स्थल हैं लेकिन कर्ण लेक की गिनती इनमें सबसे रमणीय पिकनिक स्पाट के रूप में की जाती है। करीब सात करोड़ रुपये की लागत से इस लेक के सुंदरीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। यहां नौका विहार, कैफे और अन्य आकर्षण सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं। लेक में स्वच्छ जल के लिए भाखड़ा चैनल नहर से अब एक क्यूसिक से बढ़ाकर तीन क्यूसिक पानी छोड़ने की योजना है ताकि यहां पानी की कोई कमी न रहे। इसके लिए दो नलकूप भी लगेंगे।

    आईलैंड यानि टापू बनेगा। पर्यटक स्कल्पचर वाक करेंगे, जिसमें उन्हें महाभारत जैसी थीम पर लगी मूर्तियाें को देखकर इतिहास से सीधे साक्षात्कार का अनूठा अवसर मिल सकेगा। लेक के अंदर ही संगीतमयी फव्वारा लगेगा। किनारे पर व्यू डेक बनेंगे। नए स्वरूप से पर्यटक आकर्षित होंगे तो स्थानीय व बाहरी दस्तकार यहां अपना सामान भी बेच सकेंगे। इससे उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे और विभाग के लिए आय के स्रोत भी बढ़ेंगे। लेक के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कार्य जोड़े जाएंगे।

    सबसे बड़े पार्कों में होती गिनती

    करनाल के सेक्टर-आठ स्थित अटल पार्क की गिनती हरियाणा के सबसे बड़े पार्कों में होती है। जीटी रोड से सटे और करीब 55 एकड़ में फैले पार्क में ओपन-एयर जिम, तालाब, फव्वारे के अलावा एक खूबसूरत झील भी है, जहां आप खूब मौज-मस्ती कर सकते हैं। करनाल में यह जगह परिवारों और सैलानियों में भी लोकप्रिय है। लोगों में यह एक पिकनिक स्पाट के रूप में भी प्रसिद्ध है तो यहां हर दिन सुबह और शाम कई योग कक्षाएं भी लगती हैं। पार्क की खूबसूरती और हरियाली यकीनन मन मोहने वाली है।

    नए गेट से प्रवेश पर सुखद अनुभूति

    शहर के आठ प्रवेश स्थलों पर विशाल गेट बनाए जा रहे हैं। इनमें बलड़ी बाईपास पर श्रीमदभगवद्गीता के नाम से विशाल गेट बन चुका है। नमस्ते चौक पर राजा कर्ण के नाम से गेट बना है। करनाल-मेरठ रोड पर हाईवे के निकट पंडित दीनदयाल उपाध्याय और करनाल-इंद्री रोड पर श्री आत्म मनोहर जैन मुनि के नाम से गेट बने हैं। इस गेट के पास जैन मुनि के नाम पर आराधना मंदिर स्थापित है। काछवा रोड पर युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के नाम से भव्य गेट का निर्माण होगा।

    करनाल-कैथल रोड पर श्री गुरुनानक द्वार बन रहा है

    करनाल-कैथल रोड पर श्री गुरुनानक द्वार बन रहा है। करनाल-कुंजपुरा रोड पर मां सरस्वती के नाम पर गेट बनेगा। करनाल-मूनक रोड पर महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक और करनाल की बेटी कल्पना चावला के नाम से गेट बनेगा। जाहिर है कि अपने गौरवशाली अतीत का सफर कराने वाले इन प्रवेश द्वारों से आप अपने बच्चों को बहुपयोगी जानकारी भी दिला सकते हैं।

    बेहद आकर्षक है रिवर फ्रंट

    करनाल में पश्चिमी यमुना नहर के किनारे को रिवर फ्रंट का रूप मिलेगा तो यह स्थल देखने वाले दंग रह जाएंगे। करीब एक किलोमीटर लंबे इस स्थल पर वाई-फाई, जोगिंग स्टेशन व लेजर पार्क जैसे आकर्षण होंगे। योगा डेस्क, वॉकिग स्ट्रीट के साथ पार्क होगा। बोटिग की सुविधा लुभाएगी। बच्चों के लिए मनोरंजन जोन बनेगा। खाने-पीने के लिए वेंडर जोन, फेंसिग और लाइट की सुविधा होगी। महाभारत की थीम पर मूर्तियां उकेरी जाएंगी। प्रोजेक्ट में साबरमती रिवर फ्रंट से भी आइडिया लिए जाएंगे।

    आस्था का केंद्र है सीतामाई मंदिर

    मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन चरित्र में माता सीता का विशिष्ट महत्व है। इसीलिए उनके नाम का स्मरण भी भक्त श्रीराम के नाम से पूर्व करते हैं। रामायण के इसी प्रेरक पात्र माता सीता के प्रति इसी अनन्य आस्था का प्रतीक है करनाल से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध सीतामाई मंदिर। मान्यता है कि रामायण काल में सीता माता यहीं धरती में समाई थीं। जनश्रुति है कि 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम के आदेश पर लक्ष्मण ने सीता को जिस जंगल में छोड़ा था, उसका नाम लाड़वन था।

    इस घने जंगल की पश्चिम दिशा में महर्षि वाल्मीकि आश्रम अवस्थित था, जहां सीता अपने वनवास के दौरान रह रही थीं। ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर सीता भूमि में समा गई थीं, उसी जगह सीतामाई मंदिर निर्मित किया गया है। कालांतर में इसी कारण यहां स्थित गांव का नाम भी सीतामाई रखा गया। इस मन्दिर का नाम इतिहास में सीतामठ भी उल्लिखित है। पर्व त्योेहारों पर यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं।