पानीपत में प्रदर्शित होगा तिरंगे को रिसाइकिल करने वाला देश का पहला वैज्ञानिक मॉडल, IIT दिल्ली की तकनीक से विकसित
पानीपत में तिरंगे को रिसाइकिल करने वाला देश का पहला वैज्ञानिक मॉडल प्रदर्शित किया जाएगा। आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित यह तकनीक तिरंगे का सम्मानपूर्वक निपटान सुनिश्चित करेगी। इस मॉडल का उद्देश्य लोगों को तिरंगे के महत्व के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है। यह पहल झंडे के उचित निपटान के लिए एक वैज्ञानिक समाधान प्रदान करती है।

IIT दिल्ली की तकनीक पर तैयार किया गया मॉडल।
जागरण संवाददाता, पानीपत। देश में पहली बार राष्ट्रीय ध्वजों के सम्मानजनक तरीके से रिसाइकिल करने के लिए विकसित वैज्ञानिक मॉडल शुक्रवार को पानीपत में प्रदर्शित किया जाएगा। यह मॉडल आईआईटी दिल्ली की तकनीक से तैयार किया गया है और इसे नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल्स मिशन द्वारा गीता सरोवर पार्टिको में आयोजित चिंतन शिविर में लांच किया जाएगा।
वस्त्र मंत्रालय के अनुसार, यह भारत का पहला संरचित, वैज्ञानिक और गरिमापूर्ण माडल होगा, जिसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के लिए पानीपत को चुना गया है। पीएचडी चैंबर आफ कामर्स के निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि रिसाइकि¨लग एक प्रक्रिया है, लेकिन जब बात राष्ट्रीय ध्वज की आती है, तो यह राष्ट्रीयता से जुड़ जाती है।
सावधानियों का किया जाएगा पालन
इस प्रक्रिया में सभी प्रकार की विशेष सावधानियां और नियमों का पालन किया जाएगा। पानीपत को देश का सबसे बड़ा टेक्सटाइल हब माना जाता है। यहां टेक्निकल टेक्सटाइल और रिसाइकि¨लग उद्योग बेहद मजबूत है, जहां धागा निर्माण, फैब्रिक प्रोसे¨सग और फाइबर रिकवरी से जुड़े हजारों यूनिट काम कर रहे हैं।
यही कारण है कि वस्त्र मंत्रालय ने राष्ट्रीय ध्वज रिसाइकि¨लग माडल की पहली प्रस्तुति के लिए पानीपत को उपयुक्त माना है। अधिकारियों का कहना है कि यह माडल न केवल सम्मानजनक तरीके से रिसाइकिल ध्वजों को संभालेगा, बल्कि औद्योगिक स्तर पर लागू होने पर पानीपत इसके लिए प्रमुख केंद्र बन सकता है।
विशेष कार्यक्रम में एनटीटीएम के मिशन निदेशक अशोक मल्होत्रा, सेवज नीसिम फाउंडेशन के संस्थापक मेजर जनरल असीम कोहली, आइआइटी दिल्ली के प्रो. बिपिन कुमार, विज्ञानी जेके गुप्ता सहित कई विशेषज्ञ भाग लेंगे।
क्या है यह वैज्ञानिक मॉडल
आइआइटी दिल्ली द्वारा विकसित इस प्रक्रिया में इस्तेमाल हो चुके राष्ट्रीय ध्वज, जिन्हें प्रोटोकाल के कारण फाड़ा, जलाया या फेंका नहीं जा सकता, को वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस किया जाएगा। इसमें ध्वज के कपड़े की संरचना और गरिमा को सुरक्षित रखना, रंग और फाइबर को नियंत्रित तरीके से अलग करना, और बिना किसी अपमान के इसे दूसरे उपयोगी टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स में परिवर्तित करना शामिल है।
यह माडल पानीपत की इंडस्ट्री के लिए नई राहें खोल सकता है। यहां पहले से मौजूद रिसाइकि¨लग इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण पानीपत राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी शहर बन सकता है।
राकेश कुमार, निदेशक, पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स।

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