सड़क हादसे में पिता की मौत, चाचा का मिला सहारा, अब बन गया नेशनल कुश्ती चैंपियन
पानीपत के पहलवान साहिल जागलान के संघर्ष की कहानी हम सब के लिए एक प्रेरणा है। कुश्ती सीखने की शुरुआत भर ही की थी तो पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई। इसके बाद साहिल को चाचा का साथ मिला और वह नेशनल चैंपियन बन गया।

पानीपत, जागरण संवाददाता। अंडर-17 (कैडेट) नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में इसराना के 92 किलोग्राम के पहलवान साहिल जागलान ने चार पहलवानों को हराकर स्वर्ण पदक जीता। यह प्रतियोगिता 15 से 17 अप्रैल तक झारखंड के रांची में हुई। साहिल ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उनके पिता जसमेर भी कुश्ती करते थे। पिता का सड़क हादसे में देहांत हो गया था। इसके बाद चाचा मीनू ने पूरा सहयोग किया। वह छह साल से कुश्ती का अभ्यास कर रहा है। इस दौरान उन्होंने राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण पदक और नेशनल में एक स्वर्ण व कांस्य पदक जीता है।
साहिल विश्व सब जूनियर कुश्ती प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व भी कर चुका है। वह इसराना स्थित हनुमान व्यायामशाला में कोच सोनू के पास अभ्यास करता है। कोच ने उसका लेग अटैक करने और विरोध पहलवान को थका कर हराने की अभ्यास कराया। वह रोज तीन घंटे अभ्यास करता है। लेग अटैक दांव का 200 बार अभ्यास करता है। साहिल की इस सफलता पर जिला कुश्ती एसोसिएशन के प्रधान कर्ण सिंह पूनिया, सचिव धर्मवीर दिवाना और पूर्व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच व एसोसिएशन के तकनीकी सलाहकार प्रेम सिंह आंतिल ने बधाई दी है।
एशियन व विश्व कुश्ती चैंपियनशिप की तैयारी कराई जा रही है
साहिल के कोच सोनू ने बताया कि साहिल नियमित कुश्ती का अभ्यास करता है। जो भी तकनीक बताई जाती है, उस पर अमल करता है। उसकी तकनीक में सुधार कराया जाएगा। इसके अलावा फिसनेट पर भी जोर दिया जा रहा है। आगे आने वाली खेल इंडिया प्रयिगोगिता, कैडेट एशियन व विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लिए साहिल की तैयारी कराई जा रही है। साहिल को अपने वजन से ज्यादा के पहलवानों के साथ भी मुकाबले कराए जा रहे हैं।
ये है डाइट
कोच सोनू के अनुसार साहिल एक दिन में तीन लीटर दूध पीता है। मक्खन, दाल, फल व पांच चपाती का सेवन करता है। तले हुए खाद्य पदार्थ से परहेज रखता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।