काेरोना दिखा रहा दारुण दृश्य: बेटे के शव से लिपटकर रो न सका पिता, अर्थी को चार कंधे भी न मिले
काेराेना से आहत करनेवाले दृश्य सामने आ रहे हैं। काेराेना से मारे गए लाेगों की अर्थी को चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे। परिजन सदा के लिए छोड़ गए अपनों को अंतिम विदाई नहीं दे पा रहे।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। कोरोना दारुण दृश्य दिखा रहा है। पिता के सामने बेटे की मौत। शव उठाने को चार कंधे भी न मिले। बेबस पिता एक बार बेटे से लिपटकर रो न सका और एंबुलेंस में बेटे के शव को अंतिम संस्कार के लिए जाता देखता रहा। दूरी जरूरी थी, लेकिन एक पिता के लिए यह असहनीय थी। वह बिलख-बिलखकर कहता रहा, पैसे ले लो, बेटे को उठा लो, अर्थी को बस चार कंधे दे दो। आखिरकार पीपीई किट पहनकर पिता और बड़े भाई ने अंतिम संस्कार किया।
पानीपत के सेक्टर 13-17 के 28 वर्षीय युवक की मौत हो गई। शव से दूरी के लिए पुलिस और अस्पताल स्टाफ का पहरा था। चिता से 10 मीटर दूर शव वाहन खड़ा किया। उससे 100 मीटर दूर पुलिसकर्मी और अस्पताल स्टाफ रहा। किसी से मदद नहीं मिलने पर पिता ने बड़े बेटे के साथ मिलकर शव को उतारा। दोनों ने शव को उठाया और चिता पर रखा। भाई ने मुखाग्नि दी।
भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए
खौफ इतना था कि शव वाहन के अंदर नहीं जाने दिया। इसके बाद डॉक्टरों ने पिता को किट पहनाई। उन्होंने ही शव को नीचे उतारा। एसआइ ने भी दूर से बयान देने की नसीहत दी। रोते हुए पिता बोले, भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए। अंतिम बार बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाया। भय के कारण कोई रिश्तेदार तक नहीं पहुंचा।
अंतिम संस्कार के लिए मुश्किल से माना पंडित
प्रत्यक्षदर्शी जनसेवा दल के सचिव चमन गुलाटी ने बताया कि सेक्टर 13-17 में युवक के घर के बाहर शव वाहन खड़ा था। इसमें युवक का शव था। कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका से मौत होने की भनक लगने पर श्मशान के पंडित ने कहा कि उनके पास शव वाहन नहीं है। गुलाटी वाहन चलाकर सामान्य अस्पताल गए, वहां से श्मशानघाट गए। पंडित ने संस्कार कराने से इन्कार किया। उसने समझाया और पंडित को किट पहनाई। तभी वह माने। तीन ही किट थी। डॉक्टर ने पिता और पुत्र को किट पहनने के लिए कहा।
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बुजुर्ग के अंतिम संस्कार में परिवार भी नहीं हो सका शामिल
अंबाला। यहां के एक बुजुर्ग की कोरोना से चंडीगए़ पीजीआइ में मौत हो गई। चंडीगढ़ में ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। कोरोना ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि स्वजन संस्कार में शामिल ही नहीं हो पाए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने परिवार के सभी सदस्यों को कवारंटाइन कर दिया। शव के अंतिम दर्शन तक नहीं कर सके।
चंडीगढ़ में बुजुर्ग का बेटा ही मौजूद रहा, जहां उसने शव हासिल करने की सारी प्रक्रियाएं पूरी कीं। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 से हुई मौत के मामले में शव को लेकर भी पूरी तरह से सावधानी बरती जाती है। शव को प्रशिक्षित कर्मचारी ही पैक करते हैं, जबकि शव को सैनिटाइज भी किया जाता है। श्मशान या कब्रिस्तान में प्रशिक्षण कर्मचारियों के साथ शव भेजा जाता है, जबकि अंतिम दर्शनों को भी एडवाइजरी डाक्टर ही तय करते हैं।
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