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पानीपत में फिर धरने पर किसान, इस बार टोल प्‍लाजा फ्री कराने की मुहिम

पानीपत में किसान धरने में बैठ गए है। पानीपत के आठ गांवों के लोगों ने धरना दिया। प्रशासन को देंगे कुछ दिन का समय। इसके बाद पक्का धरना लगाया जाएगा। स्थानीय निवासियों से टोल नहीं वसूला जाए। पुल का इस्तेमाल नहीं करते तो टोल क्यों।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 12:39 PM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 12:39 PM (IST)
पानीपत में टोल प्‍लाजा पर धरना देते किसान।

पानीपत, जागरण संवाददाता। हरियाणा में कृषि कानूनों के विरोध में बैठे किसानों का धरना समाप्त हुए कुछ दिन ही बीते थे, पानीपत में किसान एक बार फिर से धरने पर बैठ गए। इस बार मुद्दा केवल किसानों का ही नहीं, शहर के लोगों का भी है। टोल नाके पर धरना देते हुए गांव के लोगों ने कहा कि यहां पर स्थानीय निवासियों से टोल नहीं लिया जाना चाहिए। टोल तो उन्हीं से वसूला जाना चाहिए, जो फ्लाईओवर का इस्तेमाल करते हैं। पानीपत शहर के लोग फ्लाईओवर का इस्तेमाल नहीं करते। इसके बावजूद स्थानीय निवासियों ने 35 रुपये का टोल टैक्स लिया जाता है

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इन गांवों के लोग पहुंचे

टोल नाके के आसपास के गांव धरना देने पहुंचे। निजामपुर, बाबरपुर मंडी, बाबरपुर, शिमला मौलाना, गांजबड़, रजापुर बड़ौली, कचरौली के लोग पहुंचे। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन को समय दिया जाएगा। इंतजार किया जाएगा। इसके बाद पक्का धरना दिया जाएगा। फिलहाल डीसी को ज्ञापन देंगे। लिखित में आश्वासन मिलेगा तो पीछे हटेंगे।

डाहर, मुरथल, बसताड़ा का उदाहरण दिया

डाहर, मुरथल, बसताड़ा में स्थानीय निवासियों से टोल नहीं वसूला जाता। इनके आधार कार्ड देखकर ही लोगों को रवाना किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि तीस किलोमीटर के एरिया में रहने वाले लोगों से टोल नहीं लिया जाना चाहिए। वे दस रुपये भी क्यों दें। वैसे भी अब उनका पास भी नहीं बनाया जा रहा।

बना था चुनावी मुद्दा

बता दें कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में टोल चुनावी मुद्दा था। नेताओं ने वादा किया था कि टोल को फ्री कराया जाएगा। संसद में सांसद संजय भाटिया ने आवाज भी उठाई। लेकिन नियम व शर्तों का हवाला देकर कंपनी ने टोल फ्री नहीं होने दिया। अब स्थानीय किसानों ने मुद्दा उठाया है। इंटरनेट मीडिया पर भी आवाज उठी है कि यहां पर टोल नाका फ्री होना चाहिए। आधार कार्ड दिखाने वाले स्थानीय निवासियों ने टोल न लिया जाए।


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