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    एक तरफ राइस मिलर्स की हड़ताल, दूसरी तरफ बारिश की मार; किसानों को धान में लग सकता है 180 करोड़ का फटका

    By Jagran NewsEdited By: Gurpreet Cheema
    Updated: Wed, 18 Oct 2023 04:05 PM (IST)

    हरियाणा के किसानों पर संकट मंडराया हुआ है। चावल निर्यातकों व मिल मालिकों की हड़ताल व बेमौसमी बारिश से किसानों को नुकसान हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार किसानों को करीब 180 करोड़ रुपये का फटका लगने की संभावना है।

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    चावल निर्यातकों व मिल मालिकों की हड़ताल व बेमौसमी बारिश से किसानों को नुकसान

    जागरण टीम, पानीपत। चावल निर्यातकों व मिल मालिकों की हड़ताल व बेमौसमी बारिश ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। किसानों का व्यापक नुकसान हुआ (Haryana Farmers Loss) है। एक अनुमान के अनुसार, किसानों को करीब 180 करोड़ रुपये का फटका लगने की संभावना है। खेतों में फसल बिछी पड़ी है।

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    मंडियों में तीन दिनों से पड़ा धान बारिश से पीले से काला पड़ने लगा है। बड़ी बात यह है कि अभी दूर-दूर तक हड़ताल खुलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। धान का कटोरा कहे जाने वो यमुनानगर, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल व पानीपत में करीब 16 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर बासमती और पीआर धान की खेती की गई है।

    हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने बताया कि केंद्र सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1200 डालर प्रति मीट्रिक टन कर दिया। दूसरे देशों से बहुत कम है। इस कारण उन्हें विदेश में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक हुई थी।

    तब उन्होंने आश्वासन दिया था की एमईपी को 850 डालर प्रति मीट्रिक टन करने का आश्वासन दिया था। इसी बीच मिलरों ने धान महंगा खरीद लिया। एमईपी कम नहीं किया गया तो उन्हें नुकसान होगा। एमईपी कम कराने के लिए ही हड़ताल की गई है। छाबड़ा ने बताया कि हमारी मांगें पूरी कराने को लेकर मुरथल में बैठक हुई। इसमें कोई निर्णय नहीं हुआ। मांगें जायज हैं। सरकार मांगों को जल्द पूरा करें, ताकि मंडियों में बारीक धान की खरीद सुचारू रूप से हो सके।

    इस वर्षा से किसान को प्रति एकड़ 5 से 15 हजार रुपये का नुकसान हुआ है। सरकार मुआवजा दे।

    राकेश बैंस, किसान नेता

    पानीपत की मंडी में वर्षा के पानी से खराब हुई धान की फसल को दिखाता।

    साहब सिंह, किसान

    सिरसा में 700 रुपये प्रति क्विंटल भाव गिरा

    सिरसा की मंडियों में आम दिनों में 15 हजार क्विंटल धान पहुंच रही थी। सोमवार को 10 हजार 578 क्विंटल तो मंगलवार को 8051 क्विंटल धान ही मंडी में पहुंची। जो फसल पहले 3600 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी वहीं अब 2900 से तीन हजार रुपये तक खरीदी जा रही है। फतेहाबाद में बासमती 1509 धान के मूल्य में भी कमी आई है। पहले 3700 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका, वहीं अब 3100 रुपये तक खरीदी जा रही है।

    बारिश से खराब हुई बासमती की फसल

    खेतों में तेज हवा और वर्षा-ओलावृष्टि से बासमती यानि बारीक धान की फसल बिछ गई। अब मजदूर इसकी कटाई करेंगे तो करीब एक क्विंटल धान प्रति एकड़ खेत में ही काटते समय झड़ जाएगा। इसकी कीमत 4000 रुपये है। हड़ताल खुलने के बाद 100 रुपये प्रति क्विंटल भाव गिरने की आशंका आढ़ती जता रहे हैं। इसके अलावा पराली के दाम भी 1500 से 1800 रुपये प्रति एकड़ गिर गए हैं। इस तरह किसान का करीब पांच से सात हजार रुपये प्रति एकड़ नुकसान होने की पूरी आशंका है।

    धान में प्रति एकड़ लागत धान की खेती में 22 हजार से 25 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आता है। इसमें बीज, रोपाई, जुताई, सिंचाई, कीटनाशक, उर्वरक और कटाई शामिल हैं। इस बार खड़ी की कटाई की मजदूरी 6500 रुपये प्रति एकड़ था। अब फसल बिछ जाने के कारण एक हजार रुपये प्रति एकड़ मजदूरों ने बढ़ा दिए हैं। यहां भी किसान को नुकसान होगा। वर्षा से पहले भाव-उत्पादन अच्छा अभी तक मंडियों में बारीक धान की 1509, 1692, मुच्छल, सरबती, 1847 किस्में मंडी में बिक चुकी हैं।

    इस बार कंबाइन से कटा धान तीन हजार प्रति क्विंटल से 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका। वहीं हाथ से कटाई-झड़ाई का धान 3300 से 3800 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक चुका है। उत्पादन भी पिछले वर्ष की अपेक्षा 15 प्रतिशत अधिक उत्पादन हुआ है।

    धान की ढेरियों को सुखाने के लिए जगह नहीं 

    यानि एक एकड़ में 25 से तीन क्विंटल धान का उत्पादन हो रहा है। भीगा धान हुआ काला मंडियों में वर्षा में धान भीग गया। मंगलवार को तेज धूप भी नहीं निकली। धान की ढेरियों को फैलाकर सुखाने के लिए मंडियों में जगह भी नहीं बची। धान का रंग काला पड़ गया है।

    किसानों को डर है कि अब इसे बहुत कम भाव में खरीदा जाएगा। पानीपत मंडी में आए किसान अमरीश ने बताया कि मुसीबत की इस घड़ी में कोई सुनने वाला नहीं। धान की फसल में हर बार मच्छरी, गर्दन तोड़ और शीथ ब्लाइट की बीमारी किसान को परेशान करती थी। इस बार धान में इन बीमारियों का प्रकोप नहीं हुआ।