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    हरियाणा सरसों के ज्यादा भाव मिलने से किसानों के खिले चेहरे, सात गुना अधिक फसल मंडी पहुंची

    By Naveen DalalEdited By:
    Updated: Thu, 31 Mar 2022 04:54 PM (IST)

    जींद में सरकारी भाव से अधिक सरसों के भाव प्राइवेट बोली पर किसानों को मिलने से किसानों के चेहरे खिले नजर आ रहे है। मार्केट कमेटी में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 36 हजार 580 क्विंटल सरसों की फसल आ चुकी है।

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    जींद मंडी में सरकारी रेट से अधिक बिक रही सरसों।

    उचाना(जींद), संवाद सूत्र। कपास, सरसों के भावों में प्राइवेट बोली पर तेजी का दौर जारी है। कपास के भाव 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं, तो सरसों के भाव बुधवार को 5887 रुपये से 6687 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे। कपास का सीजन लगभग समाप्त होने को है, जबकि सरसों की फसल का सीजन अभी चल रहा है। सरसों के भाव किसानों को आने वाले दिनों में बढऩे की उम्मीद है।

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    सरकारी खरीद से प्राइवेट बोली में अधिक रेट मिल रहा

    किसान सुभाष, विनोद, बलजीत ने कहा कि सरसों के भाव सीजन की शुरूआत से ही किसानों को सरकारी रेट से अधिक मिल रहे हैं। सरकारी भाव 5050 रुपये प्रति क्विंटल है। प्राइवेट बोली पर सरसों का भाव 6841 रुपये तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों में भाव बढऩे की उम्मीद है। मार्केट कमेटी सचिव नरेंद्र कुंडू ने बताया कि कपास 11 हजार, सरसों 6841 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे।

    किसानों के चेहरे खिले

    सरकारी भाव से अधिक सरसों के भाव प्राइवेट बोली पर किसानों को मिलने से किसानों के चेहरे खिले नजर आ रहे है। मार्केट कमेटी में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 36 हजार 580 क्विंटल सरसों की फसल आ चुकी है। बीते साल अब तक 5581 क्विंटल सरसों मंडी आई थी। इस साल अब तक 30 हजार से अधिक क्विंटल सरसों मंडी आ चुकी है।

    सरसों की फसल मंडी में आते ही बिक जाती है

    किसान रामकुमार, प्रताप, सुरेंद्र, बलवान ने कहा कि सरसों के भाव इस बार सीजन की शुरूआत से ही किसानों को सरकारी भाव से अधिक मिल रहे है। सरसों की फसल मंडी में आते ही बिक जाने से किसान घर वापिसी उसी दिन चले जाते है। सरसों की फसल इस बार किसानों के लिए फायदेमंद रही है। इस फसल पर खर्चा भी कम होता है। मार्केट कमेटी सचिव नरेंद्र कुंडू ने बताया कि इस बार बीते साल की अपेक्षा 30 हजार क्विंटल से अधिक सरसों की फसल मंडी आई है। किसानों को किसी तरह की परेशानी सरसों की फसल को बेचने में किसानों को नहीं आने दी जा रही है।