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    हरियाणा के इस शहर में अंग्रेजों के जमाने का स्‍कूल, 158 साल पहले खोला गया था इंग्लिश मीडियम का

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 01 Jul 2021 02:44 PM (IST)

    हरियाणा के कैथल में अंग्रेजों ने 158 साल पहले अंग्रेजी स्कूला खोला था। कम वेतन पर भारत में बाबू मिले इस स्वार्थ से खोले गए थे अंग्रेजी स्कूल। स्कूल में वर्ष 1917 का आज भी लगा हुआ है पत्थर।

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    कैथल में है अंग्रेजों के जमाने का स्‍कूल।

    कैथल, जागरण संवाददाता। अंग्रेजों ने 158 साल पहले वर्ष 1863 में पहला अंग्रेजी स्कूल कैथल में खोला था। कैथल उस समय करनाल जिले का हिस्सा था। अंग्रेजी स्कूल खोलने के पीछे अंग्रेजों का स्वार्थ था की स्कूल खोलने से दो फायदे होंगे। अंग्रेजी बाबू हैं उनका खर्च काफी ज्यादा पड़ता था। इसलिए यहां स्कूल खोलकर भारतीय लोगों को अंग्रेजी सिखाते हुए क्लर्क बनाना था। यहां के लोग जब अंग्रेजी सीख जाएंगे तो वह क्लर्क बनकर यहां के लोगों से अपने आप को श्रेष्ठ समझेंगे। इसलिए लोग आपस में एक दूसरे से दूरी बनाए रखेंगे, जिसका फायदा अंग्रेजी हुकुमत को होगा।

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    स्कूल के सामने ही प्राचीन भाई उदय सिंह का किला

    इस सरकारी स्कूल के सामने ही भाई उदय सिंह का प्राचीन किला है। वहीं स्कूल के बिल्कुल पीछे ऐतिहासिक बावड़ी भी है। प्राचीन समय में दिल्ली से लाहौर जाने का जो राष्ट्रीय राजमार्ग था, उसका कैथल केंद्र बिंदू था। आते-जाते समय मुसाफिर यहां बावड़ी पर रूकने के बाद यहां का पानी पीकर आराम करते हुए आगामी यात्रा शुरू करते थे।

    Kaithal School

    अब भी चल रहा है यह सरकारी स्कूल, 6 से 12वीं कक्षा तक होती है पढ़ाई

    इतिहासकार प्रवीण कुमार ने बताया कि शहर के बीचों-बीच स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय प्राचीन जमाने का है। इस समय स्कूल काफी विकसित हो चुका है। अब 6 से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी यहां पढ़ रहे हैं। जिले का सबसे बड़ा यह सरकारी स्कूल है। इस स्कूल को अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1863 में खोला था। वर्ष 1856 में अंग्रेजों ने एक फैसला लिया था कि क्यों न भारत में अंग्रेजी स्कूल खोले जाएं, लेकिन उस समय विद्रोह के चलते यह कार्य सिरे नहीं चढ़ पाया। वर्ष 1863 तक अंग्रेज विद्रोह को दबाने में सफल रहे। इसके बाद स्कूल खोलने का कार्य शुरू किया। करनाल जिले का पहला अंग्रेजी स्कूल कैथल में खोला गया था। उन्होंने बताया कि स्कूल में जो इमली का पेड़ लगा है वह वर्षो पुराना है। इस पेड़ पर वर्ष 1917 का एक पत्थर भी लगाया हुआ है, जो इतिहास को ब्यां कर रहा है।