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    हरियाणा बिजली निगम में फर्जीवाड़े की ईडी करेगी जांच, अधिकारियों से कर्मियों तक जुटा रही संपत्ति का आंकड़ा

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 27 Jun 2022 05:47 PM (IST)

    बिजली निगम फर्जीवाड़ा सामने आया। सेवानिवृत्त कर्मियों के फर्जी वाउचर बनाकर बिजली निगम में करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया। अब इस मामले की जांच ईडी करेगी। इसके लिए अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों की संपत्ति का डाटा जुटाया जा रहा है।

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    बिजली निगम में फर्जीवाड़े की जांच ईडी करेगी।

    यमुनानगर, जागरण संवाददाता। बिजली निगम फर्जीवाड़ा में अब ईडी (इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट) की भी एंट्री हो गई है। ईडी ने बिजली निगम कार्यालय से इस फर्जीवाड़ा से संबंधित रिकार्ड लिया है। इस मामले में फंसे एक्सईएन से लेकर कर्मचारियों तक की संपत्ति की भी डिटेल जुटाई जा रही है। इन कर्मचारियों की संपत्ति भी ईडी अटैच कर सकती है। बिजली निगम के एसई राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनके पास से ईडी रिकार्ड लेकर गई है। जो भी रिकार्ड उनसे मांगा गया। वह उपलब्ध करा दिया गया।

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    सेवानिवृत्त कर्मियों के फर्जी वाउचर बनाकर बिजली निगम में करोड़ों का फर्जीवाड़ा हुआ। विभाग की ओर से भी कराए गए आडिट में करीब 50 करोड़ रुपये का गबन अकेले जगाधरी डिवीजन में मिला। करीब सवा करोड़ का गबन बिलासपुर डिवीजन में सामने आया। आडिट रिपोर्ट के आधार पर एलडीसी राघव वधावन, एएलएम मनहर, डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, शैफाली, अकाउंटेंट पूजा गेरा, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जगमाल सिंह, सेवानिवृत्त एक्सईएन संजीव गुप्ता व एक्सईएन कुलवंत सिंह को फर्जीवाड़े का जिम्मेदार माना गया है।

    इन पर विभागीय कार्रवाई हुई हैं। वहीं इस मामले में जांच कर रही पानीपत की पुलिस एलडीसी राघव वधावन, एएलएम मनहर, डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, अकाउंटेंट पूजा गेरा, एक्सईएन कुलवंत सिंह, डीसी रेट के कर्मी सोनू, अतुल, सुरजीत, अनीस, पवन व अजय को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी सेवानिवृत्त एक्सईएन संजीव गुप्ता व डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जगमाल सिंह की गिरफ्तारी बाकी है। वहीं मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए एक्सईएन नीरज सिंह की केस में संलिप्ता नहीं मिली। जिस पर उसे डिस्चार्ज करा दिया गया।

    करोड़ों रुपये की हो चुकी रिकवरी 

    पानीपत की पुलिस आरोपितों से करोड़ों रुपये की रिकवरी कर चुकी है। निलंबित एक्सईएन कुलवंत सिंह से 40 लाख रुपये व राघव वधावन से 75 लाख रुपये, एक कार, 1850 ग्राम जेवरात की रिकवरी हुई है। उसने अपनी पत्नी के नाम भी एक प्लाट व दुकान खरीद रखी थी। अकाउंटेंट पूजा गेरा से 35 लाख रुपये की रिकवरी की गई है। जबकि अन्य से तीन से दस लाख रुपये तक की रिकवरी हुई है। हालांकि अब योगेश लांबा व राघव वधावन को भी जमानत मिल चुकी है।

    इस तरह से पकड़ में आया था फर्जीवाड़ा 

    यह फर्जीवाड़ा पानीपत में दर्ज केस के बाद उजागर हुआ था। समालखा निवासी टैक्सी चालक के खाते में बिजली निगम के खाते से पैसे ट्रांसफर हुए थे। मामले की जांच के दौरान पानीपत की पुलिस ने सुबूत जुटाए थे और तत्कालीन एक्सईएन बिलासपुर नीरज सिंह, डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, एलडीसी राघव वधावन, अकाउंटेंट पूजा समेत कई अन्य की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं गिरफ्तारी से पहले ही एक्सईएन नीरज सिंह ने बिलासपुर थाना में शिकायत दे दी थी। जिसमें उसने डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, एलडीसी राघव वधवा, डिप्टी सुपरिटेंडेंट राकेश नंदा व समालखा में तैनात डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा पर फर्जी वाउचरों के जरिए 63 लाख रुपये के गबन का आरोप लगाया था। यह केस दर्ज होने के बाद चक्रवर्ती शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक मामला शहर यमुनानगर थाना में एक्सईएन जगाधरी भूपेंद्र सिंह की शिकायत पर राघव वधावन व योगेश लांबा पर 21 लाख रुपये के वाउचरों के जरिए फर्जीवाड़ा करने का दर्ज हुआ है। यमुनानगर में दर्ज इन केसों में एसआइटी जांच कर रही है।