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    ई-मंडी के माध्यम से पानीपत में धान का कारोबार शुरू

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 09 Sep 2017 03:01 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, पानीपत : अनाज मंडी में दो वर्षो से ई-मंडी की कवायद चल रही है। पिछले वर्ष ई-

    ई-मंडी के माध्यम से पानीपत में धान का कारोबार शुरू

    जागरण संवाददाता, पानीपत :

    अनाज मंडी में दो वर्षो से ई-मंडी की कवायद चल रही है। पिछले वर्ष ई-मंडी शुरू कर दी गई लेकिन आढ़तियों के विरोध के कारण ई-मंडी का काम रोक दिया गया। इस वर्ष फिर से ई-मंडी शुरू की गई है। धान का सीजन शुरू हो चुका है। अब तक ई-मंडी के माध्यम से 1977 क्विंटल धान बिका है।

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    ई-मंडी के लिए ऑक्शन हॉल, लैब स्थापित किए गए हैं। लैब में फसल की नमी की जांच होती है। वहीं ई-ऑक्शन हॉल में ऑन लाइन फसल की बिड लगाने का काम होता है।

    कैसे करती है ई-मंडी कार्य

    सर्वप्रथम किसान जैसे ही मंडी में अपनी फसल लेकर पहुंचेगा, उसको गेट पास मिलेगा। किसान फसल को लेकर संबंधित आढ़ती के पास जाएगा। वहां से उसकी फसल का सैंपल लैब में जाएगा, जहां उसका टेस्ट किया जाएगा। टेस्ट के बाद ऑनलाइन बिड डाली जाएगी। इसके लिए आढ़ती को रजिस्ट्रेशन नंबर दिया गया है। बिड में ढेरी अर्थात लोट नंबर दर्ज किया जाएगा। फसल की पूरी डिटेल बिड के लिए डाली जाएगी, जिसके मुताबिक ट्रेडर्स बिड लगा सकेगा। इसके लिए ट्रेडर्स का रजिस्ट्रेशन भी जरूरी होता है। ट्रेडर्स अपने मोबाइल फोन से भी बिड लगा सकता है। जिसकी अधिक बिड होगी, उसके नाम ही ढेरी (लॉट) छोड़ा जाएगा। बिड के बाद बिड डिक्लेयर की जाएगी। उसके बाद सेल एग्रीमेंट बनाया जाएगा। ट्रेडर्स की आइडी पर इन्वायस नंबर जाएगी। ट्रेडर्स ऑन लाइन पेमेंट करेगा। पेमेंट किसान के खाते में जाएगी। ई चालान के माध्यम से भुगतान होगा। कमिशन आढ़ती के खाते में जाएगा। एचआरडी तथा मार्केट फीस मार्केट कमेटी के खाते में जाएगी। सभी आढ़तियों को ऑन लाइन ट्रेडिंग के लिए पासवर्ड उपलब्ध करवाए गए हैं।

    प्रशिक्षण ले रहे कमेटी के अधिकारी : इन दिनों ई-मंडी का साफ्टवेयर उपलब्ध करवाने वाली कंपनी नागाअर्जुन एनएफसीएल के मंडी एनालिस्ट राजेंद्र सिंह मार्केट कमेटी के अधिकारियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

    24 घंटे में मिलते हैं किसान को पैसे : अजमेर मलिक

    मार्केट कमेटी के चेयरमैन अजमेर मलिक ने बताया कि ई-मंडी प्रणाली से किसानों को 24 घंटे में भुगतान मिलता है। यह योजना किसानों की हित में है। पैसा किसान के खाते में सीधा जाता है। उसका माल चोरी होने कम कीमत लगने का भय नहीं रहता। ई-बिड पर अधिक ग्राहक खरीदने वाले मिलते हैं। मलिक ने बताया की आढ़ती इसका विरोध कर रहे हैं। उनकी अपनी समस्या हैं जिन्हें हल किया जा रहा है। किसानों को इसका फायदा समझाया जा रहा है।

    कुछ आढ़तियों का कहना है कि एक ही मशीन है सीजन में नमी जानने के लिए परेशानी आएगी। इसीलिए अधिक मशीन लगाई जाए।

    किसान मोर्चा के जिला प्रधान नरेंद्र बिंझौल का कहना है कि इन कमियों के कारण आढ़ती जता रहे विरोध

    - स्टाफ कम है। इसके लिए 15-20 कर्मचारियों की जरूरत है। जबकि 6-7 ही उपलब्ध करवाए गए हैं

    -लैब में एक ही मशीन जिससे नमी की जांच होती है

    -आढ़तियों को डर कहीं उनका पुराना भुगतान न मिले

    दो वर्षो में ई-मंडी का कारोबार

    पिछले वर्ष चार लाख क्विंटल धान ई-मंडी के माध्यम से बेचा गया। इस वर्ष अब तक 1977 क्विंटल धान ई-मंडी के माध्यम से बेचा जा चुका है।