पानीपत: धूल के गुबार के बीच सांस लेने को मजबूर हुए लोग, एलर्जी और सांस की बीमारी ने बढ़ाई परेशानी
पानीपत शहर में धूल प्रदूषण गंभीर समस्या बन गया है। टूटी सड़कों और अधूरे निर्माण कार्यों के कारण हवा में धूल की मात्रा बढ़ गई है। नगर निगम द्वारा पानी का छिड़काव नियमित रूप से न होने के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। धूल के कारण लोगों को आंखों में जलन, एलर्जी और सांस लेने में तकलीफ हो रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।

पानी छिड़काव बंद होने से धूल की चादर से गुजरने को मजबूर हो रहे लोग (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, पानीपत। शहर इन दिनों गंभीर धूल प्रदूषण की चपेट में है। मुख्य बाजारों से लेकर कालोनियों तक हर जगह हवा में उड़ती धूल लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। टूटी सड़कों और आधे-अधूरे पड़े निर्माण कार्यों के कारण सड़कें धूल का गुबार छोड़ रही हैं।
लोगों का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह में धूल प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है। नगर निगम की ओर से सड़कों पर पानी का नियमित छिड़काव नहीं किया जा रहा है, जिससे धूल नियंत्रण के प्रयास विफल साबित हो रहे हैं।
कई जगहों पर सड़क मरम्मत का काम महीनों से लंबित पड़ा है, जिसके कारण प्रभावित क्षेत्रों में हवा लगातार भारी धूल से भरी रहती है। राहगीरों का कहना है कि सड़क पर पैदल चलना और बाइक चलाना तक मुश्किल हो गया है।
स्कूल जाने वाले बच्चों को सुबह-शाम इस धूल भरी हवा से गुजरना पड़ता है, जिससे उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
दुकानें, घर और वाहनों पर धूल की मोटी परत रोजाना चढ़ जाती है। सुबह और शाम के समय हालात और भी खराब हो जाते हैं, जब वाहनों की बढ़ती आवाजाही से धूल का घना बादल उठने लगता है।
सड़कों पर उड़ रही धूल ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। शहर के कई इलाकों में धूलकणों की मात्रा बढ़ने से आंखों में जलन, एलर्जी, खांसी और सांस फूलने की शिकायतें तेजी से सामने आ रही हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता के कारण ओपीडी में सांस व त्वचा संबंधी रोगियों की संख्या बढ़ गई है। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे अधिक असर देखा जा रहा है। विशेषज्ञों ने लोगों को मास्क पहनने और बाहर कम समय बिताने की सलाह दी है।

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