यहां भी हो सकता है अमृतसर जैसा ट्रेन हादसा, पर इन्हें नहीं पड़ता फर्क
अमृतसर में ट्रेन हादसे में 61 लोगों की जान गई। बावजूद कई लोग अभी भी ट्रैक के किनारे बसे हैं। आखिर उन्हें मौत से क्या भय नहीं है। पढिय़े दैनिक जागरण की पड़ताल पर आधारित खबर...।
एनएन, पानीपत: अमृतसर में दशहरे के दिन ट्रेन हादसे में 61 लोगों ने जान गवां दी। सौ से ज्यादा लोग घायल हैं। हादसा ट्रैक के किनारे दशहरे के आयोजन की वजह से हुआ। ट्रैक के किनारे किसी भी तरह की लापरवाही हादसे का सबब बन सकती है। बावजूद कई ऐसे शहर हैं, जहां लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनकी जिंदगी मौत की दहलीज पर टिकी रहती है। दैनिक जागरण की विशेष रिपोर्ट...।
पानीपत में छठ पूजा पर रेल लाइनों के साथ निकलने वाले ड्रेन व रजवाहों पर हर साल पूजा होती है। हजारों की संख्या में पूर्वांचल के लोग एकजुट होते हैं। पूजन के साथ आतिशबाजी का भी नजारा देखने को मिलता है। बाबरपुर पुलिया और रिफाइनरी गेट संवेदनशील इलाकों में शामिल है। नहर किनारे बने इन गेटों पर छठ पूजा के दौरान काफी भीड़ होती है। पूजन महोत्सव होने के कारण इन्हें रोका भी नहीं जा सकता।
विशेष व्यवस्था ही एकमात्र उपाय
स्टेशन अधीक्षक धीरज कपूर ने बताया कि स्थानीय इलाकों में बाबरपुर पुलिया और रिफाइनरी गेट संवेदनशील इलाकों में शामिल है। इस दौरान ट्रेनों के लोको पायलट को इस बारे में खास ध्यान रखने के निर्देश दिए जाएंगे। वहीं असंध रोड पुल के नीचे पटरियों के पास से हर समय लोग गुजरते रहते हैं। इन्हें भी रोकने वाला कोई नहीं होता। जबकि यहां पर आए दिन हादसे होते रहते हैं।
अधिकारियों को सहयोग की अपेक्षा
यमुनानगर में नियम तोड़कर यात्री ट्रैक पार करते हर समय देखे जा सकते हैं।्र स्टेशन मास्टर कहते हैं कि यात्री सहयोग नहीं करते। रोके जाने पर अभद्रता करते हैं। नियम मनवाने के लिए आरपीएफ तैनात रहती है। उसके बाद भी लोग ट्रैक के बीच से निकलते हैं।