भगवान की भक्ति ही हमारी आत्मा की खुराक : चित्र-विचित्र
वृंदावन से आए चित्र-विचित्र महाराज ने कहा कि भगवान की भक्ति ही हमारी आत्मा की खुराक है। प्रत्येक जीव का उद्देश्य भगवान को प्राप्त करना है। चित्र-विचित्र महाराज देवी मंदिर में श्रीराधा कृष्णा परिवार सेवा समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भक्तमाल कथा के दूसरे दिन भक्त खुशयाली बाई की कथा सुना रहे थे।
जागरण संवाददाता, पानीपत : वृंदावन से आए चित्र-विचित्र महाराज ने कहा कि भगवान की भक्ति ही हमारी आत्मा की खुराक है। प्रत्येक जीव का उद्देश्य भगवान को प्राप्त करना है। चित्र-विचित्र महाराज देवी मंदिर में श्रीराधा कृष्णा परिवार सेवा समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भक्तमाल कथा के दूसरे दिन भक्त खुशयाली बाई की कथा सुना रहे थे।
उन्होंने कहा कि संसार में आने पर जीव भूल बैठा है कि उसका जन्म किस उद्देश्य को लेकर हुआ है। भक्तों की स्थिति ऐसी है जैसे कीचड़ में कमल रहता है। उसी तरह वैष्णव जन इस संसार के भौतिक लोगों के साथ रहते हुए भी प्रभाव से परे रहते हैं। भक्त संकट में हमेशा खुश रहते हैं। वह कभी निराश नहीं होते। भगवान भी अपने भक्त की परीक्षा लेते हैं। और कष्ट होने पर भगवान को ज्यादा से ज्यादा याद किया जाता है। भक्त के जीवन का सबसे बड़ा कष्ट ही ये है कि भगवान को न भूल जाए। इसी तरह भगवान की परीक्षा में पास होकर प्रभु को भक्त प्राप्त कर लेता है। सतगुरु भक्त को भगवान से मिलाते हैं। खुशयाली को गुरु ने अपनाया। उसे मानसी सेवा दी गई। मानसी सेवा भी भक्ति के मार्ग में बड़ी सेवा होती है। मन से ही ध्यान लगता है।
कथा के मध्य में चित्र-विचित्र महाराज ने 'भजन दासी हूं तेरी राधे सेवा में साथ रख लो। राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी. की प्रस्तुति दी। भजनों पर पंडाल में मौजूद लोग नाचते गाते रहे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से उद्योगपति मुकेश बंसल, संजय अग्रवाल, रमेश जांगड़ा, संजय सिंह, श्रीनिवास वत्स, मनोज जैन, विकास शर्मा, सुभाष कंसल, राकेश कुमार, सुरेंद्र सिंह मौजूद रहे। ---महावीर--------


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