काटन व काटन यार्न के भाव नई ऊंचाई पर, कपड़े के दाम भी उछले
स्थानीय मार्केट और निर्यात के तौर पर मांग बढ़ने से काटन एवं काटन यार्न के भाव नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। यदि भाव और बढ़ते हैं तो मांग प्रभावित होने की आशंका है। कारोबारियों का कहना है कि काटन का पर्याप्त स्टाक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार काटन (रुई) के भाव को प्रभावित कर रहा है।

जागरण संवाददाता, पानीपत : स्थानीय मार्केट और निर्यात के तौर पर मांग बढ़ने से काटन एवं काटन यार्न के भाव नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। यदि भाव और बढ़ते हैं तो मांग प्रभावित होने की आशंका है। कारोबारियों का कहना है कि काटन का पर्याप्त स्टाक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार काटन (रुई) के भाव को प्रभावित कर रहा है।
वर्तमान सीजन यानी वर्ष 2021-22 की शुरुआत 73.20 लाख गांठ कपास के कैरी फारवर्ड स्टाक के साथ हुई थी। कुल उत्पादन 362.18 लाख गांठ होने का अनुमान है और खपत 338 लाख गांठ की है। काटन के भाव को अंतरराष्ट्रीय बाजार भी प्रभावित करता है। सरकार भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए 31 मार्च 2024 तक अपेरल गारमेंट और मेड अप्स के निर्यात पर राज्य एवं केंद्रीय करों तथा लेवियों की छूट को जारी रखने का अनुमोदन कर चुकी है। इस सीजन में काटन के भाव 9500 से 10000 रुपये प्रति क्विटल के बीच चल रहे हैं। काटन यार्न कारोबारी धनराज बंसल का कहना है कि इतने ऊंचे भाव पहली बार हुए हैं। दिसंबर 2021 को छोड़कर वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान काटन यार्न में लगातार तेजी आई है। भाव ऊंचाई को छूते जा रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना करें तो काटन यार्न के भाव 35 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। घरेलू मार्केट की मांग बढ़ रही है। इसके साथ ही पिछली छमाही में काटन यार्न का निर्यात 47 प्रतिशत बढ़ा है।
जवाहर क्लाथ मार्केट के कपड़ा व्यवसायी दर्शन बवेजा का कहना है कि काटन और काटन यार्न के दाम बढ़ने से कपड़े में तेजी चल रही है। हाल में सात प्रतिशत तक रेट बढ़े हैं। इसका असर यह हो रहा है कि दुकानदारों के लिए लागत बढ़ती जा रही है। हैंडलूम निर्यात को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए काटन यार्न के निर्यात पर अंकुश लगे। यहां के उद्योगों को पहले यार्न उपलब्ध करवाने के बाद सरप्लस यार्न ही निर्यात किया जाए।
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