Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बच्चा कमजोर तो बरतें सावधानी, पसलियां चलने लगे तो निमोनिया का संकेत

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 22 Dec 2021 02:54 PM (IST)

    सर्दियों में शिशुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चा अधिक कमजोर है वजन औसत से कम है तो उसे मां का दूध अवश्य मिलना चाहिए। इसके अलावा बच्चे के खून की जांच जरूर कराएं ताकि हिमोग्लोबिन के स्तर अन्य किसी बीमारी का पता चल सके।

    Hero Image
    शिशु की सर्दी से रक्षा करता है मां का दूध और उसका आंचल।

    पानीपत, जागरण संवाददाता। ठंडी हवा के साथ तापमान गिरता जा रहा है। कड़कड़ाती सर्दी जैसे हालात बनने लगे हैं। ऐसे में शिशुओं-बच्चों की देखभाल अधिक करनी पड़ती है। साथ में बता दें कि मां का दूध और उसके आंचल की गरमाहट शिशु की सर्दी व उससे होने वाली तमाम बीमारियों से रक्षा करती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिविल अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डा. निहारिका ने जागरण को यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि धूप का नहीं निकलना शिशुओं-बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। उचित देखभाल करने से उन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है। लापरवाही बरती तो नवजात शिशु को ठंड लग सकती है। वह खांसी-जुकाम-बुखार के साथ निमोनिया से ग्रस्त हो सकते हैं। शिशुओं को  गर्म कमरे में रखें, पर्याप्त कपड़े पहनाएं। मां समय से बच्चे को अपना दूध पिलाएं। इस दौरान भी बच्चे को कपड़े से ढककर रखें। इसे ही कंगारू मदर केयर प्रक्रिया कहते हैं। शिशु को मां के शरीर से गर्मी मिलती है। इस ऊर्जा से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। सर्दी लगने पर यदि शिशु की श्वास तेज हो जाए, पसलियां चलने लगे तो यह निमोनिया का संकेत है। बेहतर होगा कि तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ से चेकअप कराएं।

    डा. निहारिका के मुताबिक सर्दी के मौसम में छह माह ये कम उम्र के शिशु के हाथ-पैर, पेट और तलवे को छूकर देखते रहना चाहिए। ठंड महसूस हो तो तुरंत मालिश करें, इससे उसके शरीर में गर्मी आ जाएगी। बच्चा बोतल से दूध पीता है तो गर्म करके ही पिलाएं।

    बच्चा कमजोर तो बरतें अधिक सावधानी

    बच्चा अधिक कमजोर है, वजन औसत से कम है तो उसे मां का दूध अवश्य मिलना चाहिए। इसके अलावा बच्चे के खून की जांच जरूर कराएं, ताकि हिमोग्लोबिन के स्तर, अन्य किसी बीमारी का पता चल सके। बच्चे को गोद में लेते समय सावधानी बरतें ताकि उसकी गर्दन में झटका न लगे। गर्दन में झटका लगने से मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है।

    यह भी रखें ध्यान

    -शिशु को भूखा न रहने दें।

    -गुनगुना पानी ही पिलाएं।

    -गुनगुने पानी से ही नहलाएं।

    -बच्चे को धूप में जरूर लिटाएं।

    -बाडी मसाज आयल से मालिश करें।

    -लाड-प्यार में ठंडी चीजें न खिलाएं।