Shiv Jayanti: पानीपत में छत्रपति शिवाजी का नाता, हरियाणा के गांव-गांव वीरता के किस्से
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती हैं। हरियाणा के पानीपत से छत्रपति शिवाजी महाराज का विशेष नाता था। हरियाणा के गांव-गांव में प्रतिमा लगेगी। करनाल के गांव दादूपुर से होगी शुरुआत रोड़ मराठों ने की पहल।

पानीपत, जागरण संवाददाता। हरियाणा के गांव-गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमाएं लगेंगी। शुरुआत हो रही है करनाल के गांव दादूपुर से। यहां पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगा दी गई है। छत्रपति शिवाजी की जयंती पर शनिवार को इसका अनावरण होगा। इसके साथ ही रोड़ मराठों ने संकल्प लिया है कि हर साल किसी न किसी गांव में प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। अगले वर्ष घोड़े पर बैठे महाराज की प्रतिमा को गांव के मुख्य द्वार पर लगाया जाएगा।
दरअसल, रोड़ समाज के लोग खुद को मराठों से जोड़ते हैं। इनका कहना है कि पानीपत की 1761 की लड़ाई में जो मराठे बच गए थे, वे गांवों में छिपे। बाद में यही रोड़ कहलाए। महाराष्ट्र से उनका सीधा संबंध हैं। उनकी जातियां उनसे मिलती हैं। अब तो रोटी-बेटी का नाता भी जोड़ने लगे हैं। हरियाणा के पानीपत से कुरुक्षेत्र के बीच के गांवों में रोड़ समाज के लोग रहते हैं। हालांकि अब रोजगार व व्यवसाय के कारण देशभर में फैल गए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज वेलफेयर संघ के महासचिव जगबीर बांभरहेड़ी ने जागरण को बताया कि उन्होंने अपने गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगवाई थी। तब सोचा था कि हरियाणा भर में यह अभियान चले। वर्ष 2022 से विधिवत रूप से इसकी शुरुआत कर रहे हैं। स्वामी गणेशानंद महाराज और हाई कोर्ट के एडवोकेट राजसाहेब पाटिल मुख्य अतिथ होंगे।
काला अंब में हर वर्ष करते नमन
काला अंब वही ऐतिहासिक स्थल है, जहां पर पानीपत की तीसरी लड़ाई लड़ी गई। यहां हर वर्ष 14 जनवरी को महाराष्ट्र से मराठे पहुंचते हैं। धरती को नमन करते हैं। रोड़ मराठे भी यहां कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। पानीपत की इस धरती को हार की नहीं, शौर्य का प्रतीक मानते हैं। कहते हैं कि मराठों से जंग के बाद अब्दाली जीता नहीं, बल्कि हारा था। वह लौटकर हिंदुस्तान नहीं आया। क्योंकि उसे मालूम था कि मराठे फिर एकजुट होंगे और उसे खत्म कर देंगे।
तालिबान ने नाम रखा पानीपत, इस पर रोष
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने अपनी एक नई सेना की टुकड़ी का नाम पानीपत रखा है। उसका मानना है कि अफगानी अहमद शाह अब्दाली ने जंग जीती थी, वो उसकी जीत का प्रतीक है। जबकि मराठों का कहना है कि तालिबान ने घटिया सोच प्रदर्शित की है। तालबानी कुछ घंटे भी भारतीय सेना के सामने टिक नहीं सकते। पानीपत नाम रख देने से कोई शूरवीर नहीं हो जाता।
- SANDEEP SINGH (@flickersingh) 19 Feb 2022
- Geetanjali Mishra (@geetanjali.mishra.official) 19 Feb 2022
- Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) 19 Feb 2022
- Madan Kaushik (@madankaushikbjp) 19 Feb 2022
- Manohar Lal (@manoharlalbjp) 19 Feb 2022
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