आजादी से पहले यमुनानगर की छछरौली कलसिया रियासत की थी राजधानी, तहसील बनने के बाद फिर से बढ़ा दर्जा
यमुनानगर के लोगों को छछरौली को उपमंडल बनाए जाने से बरसों पुराना तोहफा उन्हें वापस मिला है क्योंकि कभी छछरौली कलसिया रियासत की राजधानी हुआ करता था। रियासतें भंग होने के बाद छछरौली केवल मात्र गांव रह गया। जिससे खुशी की लहर है।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। आजादी से पहले छछरौली कलसिया रियासत की राजधानी थी। सरदार गुरबख्श सिंह ने साल 1760 ई में यहां रियासत स्थापित की थी। पंजाब व उत्तर प्रदेश के 435 वर्ग किलोमीटर में तक रियासत फैली हुई थी। रियासत के अधीन दो सौ के करीब गांव व कई शहर थे। डेराबसी रियासत की तहसील थी। उस समय अदालत, खजाना, म्युनिसिपल दफ्तर स्थानीय किले में ही होता था। इसकी गवाही किला आज भी दे रहा है। इस रियासत को सरदार सरकार के नाम से जाना जाता था।
1908 में इसके सरदारों को राजा का दर्जा मिला। बाद में इसको राजा रवि शेर सिंह कलसिया के नाम से जाना जाने लगा। रियासतें भंग होने के बाद छछरौली का वजूद कम हो गया था। अब उपमंडल बनने से क्षेत्र की लोगों को लाभ होगा। उनको प्रशासनिक कार्यों के लिए लंबा रास्ता तय नहीं करना होगा। उपमंडल स्तर के कार्य घर के पास ही हो जाएंगे। स्थानीय लोग काफी समय से उपमंडल बनाने की मांग कर रहे थे।
वर्ष 2008 में जब बिलासपुर को उपमंडल का दर्जा दिया गया था, तब भी स्थानीय लोगों ने इसका विरोध जताया था। उनका तर्क था कि छछरौली कलसिया की राजधानी रही है। इसको उपमंडल का दर्जा मिलना चाहिए। हर बार चुनाव में भी यह मुद्दा पूरा उठाता था। अब साढौरा क्षेत्र के लोग नाराज है।
पांच साल पहले प्रतापनगर बनी उपतहसील
छछरौली तहसील में 157 गांव थे। 2017 में छछरौली तहसील के 60 गांवों को अलग कर प्रतापनगर को उपतहसील का दर्जा दिया गया। जिससे छछरौली तहसील में 97 गांव रह गए। 2018 में डारपुर व जाटोवाला की ग्रामीणों की मांग पर छछरौली तहसील में जोड़ा गया था, ताकि ग्रामीणों को आने जाने में दिक्कत न आए। इस उपमंडल की आबादी दो साल से अधिक है। 1981 को छछरौली को तहसील का दर्जा मिला था। फिलहाल यमुनानगर में छछरौली, जगाधरी, रादौर व बिलासपुर सहित चार उपमंडल हो गए है। जगाधरी को उपमंडल 1966 बिलासपुर को अगस्त 2008 और छह साल पहले रादौर को उपमंडल का दर्जा मिला।
उत्साहित है पूर्व सरपंच
पूर्व सरपंच राजेश गोयल का कहना है कि छछरौली को उपमंडल बनाए जाने से बरसों पुराना तोहफा उन्हें वापस मिला है क्योंकि कभी छछरौली कलसिया रियासत की राजधानी हुआ करता था। रियासतें भंग होने के बाद छछरौली केवल मात्र गांव रह गया। वहीं पूर्व सरपंच जगमोहन जग्गी का कहना है कि उन्हें छछरौली का पहला सरपंच होने का गौरव प्राप्त है। उस समय छछरौली को विधानसभा का भी दर्जा मिला हुआ था, मगर समय के साथ छछरौली विधानसभा का खिताब भी छीन लिया गया और यह केवल मात्र एक ब्लाक बनकर रह गया। उपमंडल बनाए जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी।
सीएम तक पहुंचाई थी मांग
भाजपा नेता गुलशन अरोड़ा का कहना है कि वह और उनके स्वर्गीय पिता ओमप्रकाश अरोड़ा ने छछरौली को उपमंडल का दर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिले। इसकी औपचारिता पूरी करवाई। जब शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के मेहनत से छछरौली को उपमंडल का दर्जा मिला। यह खुशी की बात है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।