Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के लिए सजा यमुनानगर का देवी भवन मंदिर, वर्षों पुराना है मंदिर का इतिहास
Chaitra Navratri 2022 चेत्र नवरात्र के लिए यमुनानगर के जगाधरी देवी भवन मंदिर सज चुका है। मंदिर का इतिहास वर्षों पूराना है। प्रारंभिक दौर में भवन का निर्माण एक किले के रूप में हुआ था। हमेशा से देवी भवन मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है।

जगाधरी(यमुनानगर), संवाद सहयोगी। यमुनानगर के जगाधरी का देवी भवन मंदिर नवरात्र में आस्था का केंद्र जाता है। यहां क्षेत्र के ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के श्रद्धालु में मंदिर में विराजमान माता मनसा देवी के चरणों में नतमस्तक होने आते है। मंदिर में शिव परिवार और श्रीकृष्ण-राधा की मूर्ति भी विराजमान है। मंदिर के पुजारी पंडित अतुल शास्त्री के मुताबिक वर्ष 1797 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था, जो 1803 में पूरा हुआ। मंदिर के निर्माण में बूड़िया रियासत के वजीर जवाहर मल खत्री का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
ऐसा बताया जाता है कि प्रारंभिक दौर में भवन का निर्माण एक किले के रूप में हुआ था। अंग्रेज भवन पर कब्जा लेने अवश्य आए थे, लेकिन मंदिर की भव्यता और लोगों की आस्था ने उनके कदम रोक दिए और अंग्रेज बिना कब्जा लिए ही लौट गए थे। इस बारे में जब वजीर जवाहर मल खत्री को भनक लगी और उन्होंने रातोंरात इस भवन को माता के मंदिर का रूप दे दिया। उस दिन के बाद मंदिर के प्रति आस्था दिनोंदिन बढ़ती चली गई। उस दिन के बाद मंदिर में नियमित रूप से पूजा अर्चना हुई और न केवल आसपास के बल्कि दूर दराज के लोग भी यहां नतमस्तक होने लगे। पंडित अतुल शास्त्री के मुताबिक सैंकडों श्रदधालुओं की मंदिर के प्रति गहन आस्था है। मंदिर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात का वह विशेष ख्याल रखते हैं।
अष्टमी व नौवीं को लगता है मेला
अतुल शास्त्री बताते हैं कि मंदिर में वर्ष में दो बार मेला लगता है। अष्टमी व नौवीं के दिन मंदिर में श्रदधालुओं को माता के दर्शन के लिए लाइनों में व्यवस्था की जाती है। प्रांगण में शिव परिवार, राधा कृष्ण और काली माता की प्रतिमा भी विराजमान है और इनके प्रति भी लोगों की गहन आस्था है। मान्यता है कि माता मनसा देवी के चरणों में सच्चे दिल से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। लोग दूर-दराज से यहां अपनी सूखना उतारने के लिए आते हैं।
सातवीं पीढ़ी कर रही सेवा
इस प्राचीन मंदिर में सातवीं पीढ़ी सेवा कर रही है। पहली पीढ़ी में स्वर्गीय अनंत राम, दूसरी में पंडित बिहारी लाल, तीसरी में पंडित पूर्णानंद, चौथी में पंडित जेष्ठा राम, पांचवीं में पंडित भगवती चरण छठी में पंडित राजकुमार और सातवीं में पं. अतुल शास्त्री मंदिर में नियमित रूप से पूजा अर्चना कर रहे हैं। अतुल शास्त्री ने बताया कि नवरात्र में दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं और मां के आशीर्वाद से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
घट स्थापना के लिए सुबह छह बजकर 10 मिनट पर शुरू होगा शुभ मुहूर्त
दो अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र के साथ ही हिंदू नववर्ष की शुरूआत भी हो जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक दो अप्रैल को घटस्थापना व मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की अराधना की जाएगी। बिलासपुर सैनी मौहल्ला के पंडित मेघनाथ शर्मा के मुताबिक घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर 10 मिनट पर शुरू होगा, जो आठ बजकर 31 मिनट तक रहेगा। दोपहर में 12 बजे से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक घट स्थापित किया जा सकता है।
इन तारीखों को है सर्वार्थ सिद्धि योग
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रों में अमृत सिदिध योग व सर्वार्थ सिदिध योग भी बन रहा है। इन दोनों योग की वजह से इस बार नवरात्रों का विशेष महत्व बढ गया है। उन्होंने बताया कि नवरात्रों के दौरान तीन, पांच, छह, नौ व दस अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग है। शास्त्रों में मान्यता है कि इस योग में जो भी कार्य किए जाते हैं, उसमें सफलता मिलती है। इस बार नवरात्रों में कष्टों को दूर करने के लिए रवि योग का भी संगोग बन रहा है। इस योग पूजा अर्चना करने से अक्षत पुण्य का फल मिलता है। वहीं सभी कष्टों को दूर करने में भी यह योग कारगर सिद्ध होता है।
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