नीरज चोपड़ा से सीखे जीत के गुर, फिर उनके गांव खंडरा के भाई-बहन बन गए जैवलिन चैंपियन
नीरज चोपड़ा ने ओलिंपिक में पदक जीतकर गांव खंडरा का मान बढ़ाया। अब नीरज चोपड़ा से ही गुर सीखकर उसी गांव के खिलाड़ी जैवलिन में नाम कर रहे हैं। उनके गांव की दीपिका और भाई युवराज भाला फेंक में बने चैंपियन।

पानीपत, जागरण संवाददाता। टोक्यो ओलिंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा का गांव है खंडरा। पहले यहां पर भाला फेंक खेल को युवक व युवती नहीं जानते थे। नीरज का भी गांव के युवकों ने मजाक उड़ाया था कि यह भी कोई खेल है। नीरज ने कामयाबी मिली तो तंज कसने वाले युवक ही उनके मुरीद हो गए।
गांव में भी भाला फेंक खेल के प्रति बच्चों में रुझान बढ़ा है। अब 50 से ज्यादा बच्चे भाला फेंक का अभ्यास करते हैं। इस गांव की दीपिका ने नीरज चोपड़ा से भाला फेंकने के गुर सीखे और सफलता हासिल की। सात अगस्त को करनाल के कर्ण स्टेडियम में हुई प्रथम नीरज चोपड़ा ओपन राज्य स्तरीय जैवलिन थ्रो में दीपिका ने अंडर-20 में कांस्य पदक जीता। इससे पहले हुई जिला स्तरीय जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में दीपिका बेस्ट जैवलिन थ्रोअर चुनी गईं। 2021 में हुई राज्य स्तरीय जैवलिन थ्रो चैंपियनशिप में भी दीपिका कांस्य पदक जीत चुकी है।
दीपिका ने दैनिक जागरण को बताया कि बड़े भाई नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में देश का नाम रोशन किया है। भाई से ही प्रेरित होकर उन्होंने भाला फेंक का अभ्यास किया और कामयाबी भी मिली। अब उसका छोटा भाई युवराज चोपड़ा भी जिला स्तरीय जैवलिन थ्रो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुका है। मां सुषमा और किसान पिता पवन चोपड़ा को बेटी दीपिका व बेटे युवराज की सफलता पर नाज है।
प्रतिभावान थ्रोअर हैं दीपिका और युवराज
नीरज चोपड़ा को प्रारंभिक में ट्रेनिंग दे चुके जैवलिन थ्रो के कोच जितेंद्र जागलान खंडरा गांव स्थित संस्कृति पब्लिक स्कूल की एथलेटिक्स नर्सरी के कोच हैं। जितेंद्र ने बताया कि दीपिका और उनका भाई युवराज प्रतिभावान जैवलिन थ्रोअर हैं। जो तकनीक सिखाई जाती है उसे दोनों जल्द ही सीख लेते हैं। दोनों पदक भी जीत रहे हैं। उन दोनों को अभ्यास करते देख अन्य खिलाड़ी भी उनसे सीखते हैं। भविष्य में खंडरा गांव के और भी कई खिलाड़ी भाला फेंक खेल में पदक जीतेंगे।
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