Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रथम विश्व युद्ध में पूर्वी अफ्रीका में जींद की सेना की बदौलत जीते थे अंग्रेज, दूसरे विश्व युद्ध में भी दिखाया था जलवा

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 09 Jul 2021 03:52 PM (IST)

    हरियाणा के इतिहासकार स्व. रामशरण युयुत्सु की किताब के अंश। प्रथम विश्व युद्ध में पूर्वी अफ्रीका में जींद की सेना की बदौलत अंग्रेज जीते थे। दूसरे अफगान ...और पढ़ें

    Hero Image
    इतिहासकार स्व. रामशरण युयुत्सु की किताब में जींद से जुड़ी यादें।

    जींद, जागरण संवाददाता। सन 1857 में अफगानों व ब्रिटिश सरकार के बीच युद्ध में महाराज जींद ने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया। सैनिक सेवाओं के लिए महाराजा जींद ने सरदार जगत सिंह व सरदार रतन सिंह सिबिया को चांदी का मेडल दिया। ब्रिटिश सरकार ने जब मिश्र पर आक्रमण किया तो महाराजा जींद ने ब्रिटिश सरकार की मदद की। अंग्रेजी सेना ने लाहौर में राजकुमारों के लिए चीफ कालेज बनवाने की घोषणा की, तो उस समय महाराजा जींद ने उनकी इच्छानुसार धन दिया। वर्ष 1880 में जब दूसरा अफगान युद्ध हुआ, तो राजा रघुवीर सिंह ने बेटे सरकार की सेना, धन और अन्य सामान से सहायता की। इसके प्रतिफल में ब्रिटिश सरकार ने रघुवीर सिंह को राजा-ए-राजगान की उपाधि से सम्मानित किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साढ़े तीन साल पूर्वी अफ्रीका में रही थी जींद की सेना

    इतिहासकार स्व. रामशरण युयुत्सु ने अपनी किताब युग-युगांतर में जींद के संघर्ष में विदेशी भूमि पर जींद के सैनिक सहयोग पर काफी विस्तार से जानकारी दी है। युयुत्सु के अनुसार सन 1914 से 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध के बीच में जींद की सेना पूर्वी अफ्रीका में साढ़े तीन साल रही। उन्हीं की बहादुरी से अंग्रेज इस युद्ध में विजय बने थे। प्रथम विश्वयुद्ध में इंपीरियल सर्विस रेजीमेंट के 8673 जवानों ने ईस्ट अफ्रीका के मैदानों में साढ़े तीन साल सेवा की और इस अवसर पर बहुत सी विशेष बहादुरियां प्राप्त की। महाराज जींद की ओर से 24 लाख के लगभग अलयात और लगभग साढ़े 11 लाख के ऋण रियासत में इकट्ठे किए गए।

    प्रथम विश्व युद्ध के समय जींद को व्यवस्थित रखने के लिए अंग्रेज सरकार ने विश्वसनीय साधन राजाओं के सुपुर्द कर दिए। पश्चिम अफ्रीका के युद्ध में भेजी गई सैनिक सहायता के लिए भी ब्रिटिश सरकार ने महाराजा का दिल से बहुत धन्यवाद किया।

    जींद के इन सैनिकों को मिला विशेष सम्मान

    दूसरे विश्व युद्ध में जींद के सूरवीरों ने सम्मानपूर्वक भागीदारी की। यहां के वीर सैनिकों ने दुश्मन के दांत खट्टे करने में सदैव इतिहास को गौरवान्वित किया। इन सम्मानित वीरों में सिंधवी खेड़ा गांव के लेफ्टिनेंट कर्नल शोभा चंद को वीरता के लिए क्रास मेडल मिला। नरवाना के लांस नायक किरपाल सिंह को भारतीय सम्मान सेवा मेडल इटली मिला। सुदकैन कलां के सिपाही शेर सिंह को सेना मेडल, दरियावाला गांव के हवलदार शिवलाल को सेना मेडल से सम्मानित किया गया। दूसरे विश्व युद्ध में जींद की रियासती सरकार ने वार रिलीफ फंड स्थापित किया, जिसमें साधारण जनता ने भी चंदा दिया। डिफेंस टैक्स यानि युद्ध कर और नेशनल सेविंग स्कीम यानि राष्ट्रीय बचत योजना में भारत सरकार ने भी रुपया लगाया गया। रियासत में, रियासत की ओर से फौज में कुल 12611 रंगरूट भर्ती किए गए। लेबर यूनिटों में भी लगभग 843 व्यक्ति भर्ती किए गए।