ईंट के भाव में हो सकता है उछाल, हरियाणा में इस बार ठंडी रहेगी भट्ठों की चिमनी
हरियाणा में इस बार ईंट भट्ठों की चिमनी ठंडी रहेगी। भट्ठा एसोसिएशन ने केंद्रीय संगठन के आह्वान पर किया ईंट न पकवाने का ऐलान किया है। कोयला के दामों और जीएसटी दर में कटौती करने तक देश भर में बंद रहेंगे भट्ठे।

कलायत (कैथल), संवाद सहयोगी। हरियाणा ईंट भट्ठा यूनियन ने केंद्रीय संगठन के आह्वान पर देश भर में इस बार भट्ठों पर ईंट न पकाने का ऐलान किया है। कोयला के दामों और जीएसटी में भारी वृद्धि को लेकर यह निर्णय लिया गया है। इस फैसले को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए हरियाणा भट्ठा एसोसिएशन की बैठक नेशनल हाइवे स्थित गांव कैलरम में हुई। इसकी अध्यक्षता एसोसिएशन प्रांतीय अध्यक्ष अजीत यादव ने की।
संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि हरियाणा में करीब तीन हजार भट्ठे हैं। इनमें एनसीआर में करीब दो हजार और शेष भट्ठे नान एनसीआर में हैं। न्यायालय के निर्णय अनुसार एनसीआर में पहले ही र्इंट भट्ठे बंद हैं। जबकि कोयला के दामों और जीएसटी में हुई भारी वृद्धि के कारण अब भट्ठे चला पाना संभव नहीं। वर्ष 2020 में कोयला के दाम 6500 रुपए टन थे जो वर्तमान में 22 हजार रुपये को पार गए हैं। इसी तरह पांच प्रतिशत जीएसटी अब 12 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इन हालातों महंगाई की मार ने ईंट भट्ठा संचालकों की कमर तोड़ कर रख दी है। जब तक सरकार कोयला भाव और जीएसटी की दर में कटौती नहीं करती तब तक राज्य में ईंट भट्ठे बंद रहेंगे।
सितंबर से जून तक चलता है सीजन
भट्ठों पर ईंट तैयार करने का सीजन वर्ष में सितंबर से जून तक चलता है। सितंबर के आगाज के साथ ही भट्ठा यूनियन हड़ताल पर चली गई है। ऐसे में न केवल ईंटों के भावों में वृद्धि होगी बल्कि इसका अभाव भी लोगों को खलेगा।
घर के चूल्हे हो रहे ठंडे
भट्ठा एसोसिएशन जिला कैथल प्रधान राम प्रसाद बंसल ने बताया कि एनसीआर में 14 व नान एनसीआर में 18 जिले शामिल हैं। इन सभी जिलों में कभी तीन हजार ईंट भट्ठे चलते थे। इनके माध्यम से अनगिनत लोगों के परिवारों के घर का चूल्हा जलता था। लेकिन जिस प्रकार इस व्यवसाय पर संकट के बादल छाए हैं उससे मजदूर परिवारों और इस उद्योग से जुड़े लोगों को आफत की मार झेलनी पड़ रही है।
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