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महिला दिवस पर बोलीं भाजपा जिला अध्‍यक्ष, हम पार्षद पतियों, एमएलए पतियों का बहिष्‍कार करते हैं

पानीपत में जिला अध्‍यक्ष डा.अर्चना गुप्‍ता के ऐलान का पार्षद पतियों ने किया विरोध। अर्चना गुप्‍ता को ही कह दिया इनको क्या पता चुनावी राजनीति क्या होती है। जब चुनाव में जीतकर आएंगी तब यह बात कहें। जनता ने पार्षद पतियों को जनप्रतिनिधि बनाया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 03:53 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 03:53 PM (IST)
महिला दिवस पर बोलीं भाजपा जिला अध्‍यक्ष, हम पार्षद पतियों, एमएलए पतियों का बहिष्‍कार करते हैं
एसडीवीएम में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आरती ङ्क्षसगला को पुरस्कृत करती सांसद सुनीता दुग्गल।

पानीपत [रवि धवन] । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक एक दिन पहले रविवार को भाजपा महिला मोर्चा ने महिलाओं को सम्मानित किया। भाजपा की जिला अध्यक्ष डा.अर्चना गुप्ता ने जोश में आकर मंच से ही कह दिया, हम पार्षद पतियों, सरपंच पतियों, एमएलए पतियों का बहिष्कार करते हैं।हालांकि वह शायद ये भूल गईं कि उनके ही नगर निगम में 26 के 26 पार्षद भाजपाई हैं। इनमें 11 महिला पार्षद हैं। दो महिला पार्षदों शकुंतला गर्ग और अंजली शर्मा को छोड़कर सभी पार्षदों के पति या ससुर ही सक्रिय रहते हैं। उनकी ही पार्टी के पार्षद पति, ससुर बैठकों में पहुंचते हैं। निगम में काम करवाते हैं। दैनिक जागरण ने अर्चना गुप्ता के मंचीय ऐलान के बाद पार्षद पतियों से बात की तो उन्होंने दो टूक कहा, अर्चना गुप्ता कौन होती हैं ऐसा कहने वालीं। उन्हें चुनावी राजनीति का तो पता नहीं। जब खुद चुनकर आएंगी, तब ऐसा कहने की अधिकारी होंगी।पहले पढ़िए, अर्चना ने क्या कहा

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डा.अर्चना गुप्ता ने मंच से कहा, महिला अगर पार्षद बनी है तो हमें पार्षद पति नहीं चाहिए। सीट हमारी सरकार ने रिजर्व की है तो वहां पर पार्षद पति नहीं चाहिए, सरपंच पति नहीं चाहिए। हम पार्षद पतियों का, सरपंच पतियों का एमएलए पतियों का बहिष्‍कार करते हैं।जहां पर महिला को चुना गया है, हमें वहां पर महिला ही चाहिए। ग्रामीण आंचल से बहुत सी महिलाएं सामने बैठी हैं, आगे चुनाव की तैयारी करनी है, आपको आगे रहना है। पतियों को पीछे रखना है। अंतराष्‍ट्रीय महिला दिवस मनाने का फायदा तभी है, जब सशक्‍तीकरण की केवल बातें न रह जाएं। धरातल पर भी महिला सशक्‍तीकरण हो।

अब पढ़िए, उनके बयान पर पार्षद पतियों की क्या राय

1- बहिष्कार नहीं होना चाहिए  : अशोक नारंग
वार्ड नौ से पार्षद हैं मीनाक्षी नारंग। उनके पति अशोक नारंग पूर्व पार्षद हैं। उनका कहना है कि पत्नी मीनाक्षी वार्ड में सक्रिय रहती हैं। जहां तक जिला अध्यक्ष के बयान की बात है, उन्हें ये बात नहीं कहनी चाहिए थी। उनका घर सेक्टर 12 में है, शोरूम वार्ड में है। वह वार्ड संभालते हैं। मीनाक्षी भी कार्यालय का काम देखती हैं। वार्ड ही हमारा परिवार है।
2- इन्हें क्या पता, चुनावी राजनीति क्या होती है
वार्ड आठ से पार्षद हैं चंचल सहगल। इनके पति हैं विजय सहगल। विजय कहते हैं, उनकी पत्नी कार्यालय में रहती हैं। डा.अर्चना गुप्ता को क्या मालूम चुनाव की राजनीति क्या होती है। इन्हें तो जिला अध्यक्ष बने ही ताजा-ताजा छह महीने हुए हैं। हम तो तब भी सक्रिय थे, जब पार्षद नहीं थे। विधायक और मंत्री के साथ रहने से कुछ नहीं होता। इनको इस तरह नहीं कहना चाहिए था।
3- यह जिला अध्यक्ष की निजी राय है : रामकुमार सैनी
वार्ड 11 की पार्षद हैं कोमल सैनी। इनके ससुर रामकुमार सैनी ने फोन उठाया। वह पूर्व पार्षद हैं। अर्चना गुप्ता के बयान पर कहा कि यह जिला अध्यक्ष की निजी राय हो सकती है। जनता का काम होना चाहिए। उनकी बहू बैठक में जाती है। बेटा साथ होता है लेकिन पक्ष नहीं रखता।
4- मैडम ने हमें कभी बैठक में नहीं बुलाया : छाबड़ा
वार्ड 15 की पार्षद हैं सुमन छाबड़ा। इनके पति हैं अशोक छाबड़ा। छाबड़ा कहते हैं, जनता ने उन्हें चुनकर जनप्रतिनिधि बनाया है। जब मैडम चुनकर आएं, तब बात करें। डा.अर्चना गुप्ता ने कभी हमें बैठक में नहीं बुलाया। हम बिना बुलाए तो नहीं जाते। उनकी पत्नी वार्ड में सक्रिय रहती हैं।
5- पति के कारण भी तो वोट मिले होंगे : जसमेर
वार्ड 17 की पार्षद हैं प्रमोद देवी। उनके पति जसमेर का कहना है कि हम नहीं मानते कि डा.अर्चना गुप्ता ने ऐसा कहा होगा। वैसे, पति के कारण भी तो वोट मिले होंगे। बैठक में जरूर जाते हैं लेकिन बात उनकी पत्नी ही रखती है। वार्ड को संभालती हैं।
6- बहिष्कार तो नहीं होना चाहिए : निशा
वार्ड 19 की पार्षद हैं निशा। इनके पति राजेंद्र कहते हैं, इन दिनों पत्नी की तबीयत खराब है। वैसे समान्य तौर पर पत्नी सक्रिय रहती हैं। पति का बहिष्कार तो नहीं होना चाहिए।
7- पत्नी संभालती हैं वार्ड : राजपाल
वार्ड 24 की पार्षद मंजीत कौर के पति राजपाल का कहना है कि उनकी पत्नी पूरा वार्ड देखती हैं। वह तो विधायक महीपाल ढांडा के साथ रहते हैं। जहां तक बहिष्कार की बात है, वो नहीं होना चाहिए।

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