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    प्लाईवुड फैक्ट्रियों में यूरिया का काला कारोबार, सैंपलों की जांच में हुआ बड़ा खुलासा, केस दर्ज

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 20 Jul 2022 04:52 PM (IST)

    यमुनानगर में प्लाईवुड फैक्ट्रियों में कृषि योग्य यूरिया का प्रयोग हो रहा है। यूरिया के काले कारोबार का सैंपलों की जांच में खुलासा हुआ है। टेक्नीकल ग्रेड की बोरी में कृषि यूरिया मिला है। इस मामले में नीलगिरी वुड क्राफ्ट पर केस दर्ज किया गया है।

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    प्लाईवुड फैक्ट्रियों में हो रहा कृषि योग्य यूरिया का प्रयोग।

    यमुनानगर, जागरण संवाददाता। प्लाईवुड फैक्ट्रियों में कृषि योग्य यूरिया का प्रयोग किया जा रहा है। मई माह में केंद्र व राज्य सरकार की टीमों के रेड के दौरान फैक्ट्रियों से सैंपल लिए गए। इनमें से जोडियो स्थित नीलगिरी वुड क्राफ्ट से लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट फेल आई है। यहां से लिए गए यूरिया के सैंपल में नीम आयल कंटेंट मिला है। जिससे पुष्टि हो रही है कि यह कृषि योग्य यूरिया था। इस मामले में अब कृषि विभाग के गुण नियंत्रक बाल मुकंद की ओर से फर्कपुर थाना में नीलगिरी वुड क्राफ्ट के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई है। 

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    सब्सिडी वाले यूरिया का कमर्शियल प्रयोग

    फर्कपुर थाना पुलिस को दी शिकायत में गुण नियंत्रक बाल मुकंद ने बताया कि फैक्ट्रियों में कृषि योग्य यूरिया का प्रयोग रोकने के लिए 20 मई को रेड की गई थी। रेड के दौरान नीलगिरी वुड क्राफ्ट से तीन खुले हुए टेक्नीकल ग्रेड यूरिया के बैग मिले थे। इसमें से यूरिया का नमूना लेकर जांच के लिए सेंट्रल फर्टिलाइजर लेबोरेटरी फरीदाबाद में जांच के लिए भिजवाया गया। अब इसकी रिपोर्ट आई है। जिसमें टेक्नीकल ग्रेड यूरिया में नीम आयल कंटेंट मिला है। जिससे पुष्टि होती है कि यह कृषि योग्य यूरिया है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी मिलती है। इसे कमर्शियल में प्रयोग नहीं किया जा सकता। सैंपल के फेल आने के बाद इस बात पर भी मोहर लग गई है कि टेक्नीकल ग्रेड की बोरी के अंदर कृषि योग्य यूरिया डालकर प्रयोग किया जा रहा है। जिससे सामने से यह नजर न आ सके।

    केंद्र व राज्य सरकार की टीमों ने की थी रेड

    कृषि योग्य यूरिया का कमर्शियल में अवैध रूप से प्रयोग किया जा रहा है, क्योंकि कमर्शियल यूरिया काफी महंगा पड़ता है। अधिकतर प्लाईवुड फैक्ट्रियों में इसका प्रयोग किया जाता है। वहां पर ग्लू बनाया जाता है। लगातार इस तरह की शिकायतें भी किसान नेताओं के माध्यम से सरकार तक पहुंच रही थी। जिस पर 20 मई 2022 को हरियाणा सहित देश के अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, केरल, गुजरात में केंद्र व राज्य सरकार की टीमों ने रेड की थी। यमुनानगर में छह टीमों ने प्लाईवुड फैक्ट्रियों में रेड की। इन फैक्ट्रियों से यूरिया के सैंपल लिए गए और बिलाें की जांच की गई।

    तीन फैक्ट्री संचलाकों के खिलाफ दर्ज हुआ केस

    हालांकि इस रेड के विरोध में ही व्यापारी व श्रमिक सड़कों पर उतर आए थे और जाम भी लगाया था। बाद में प्रशासनिक अफसरों के साथ प्लाईवुड व्यापारियों की बैठक हुई। जिसमें भी कोई हल नहीं निकल सका था। उस समय टीम का सहयोग न करने पर तीन फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था। जिसमें ईएमएम डीइइ प्लाईवुड इंडस्ट्रीज जोडिया फर्कपुर, श्री बालाजी इंडस्ट्री जोडिया फर्कपुर व युनाइटेड प्लाईवुड साबापुर में जांच में सहयोग नहीं करने पर केस दर्ज कराया गया था। जबकि औद्योगिक क्षेत्र स्थित गलोब पैनल इंडस्ट्रीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नीलगिरी प्लाईवुड जोडिया फर्कपुर व राधा कृष्ण प्लाई एंड बोर्ड इंडस्ट्रीज बाड़ी माजरा में मिले स्टाक के प्रयोग व बिक्री पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया गया था।