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चौधर को लेकर भाकियू में बने अलग-अलग गुट, इस वजह से टिकैत, गुणी और चढ़ूनी में फूट

भारतीय किसान यूनियन में गुटबाजी अब खुलकर सामने आ गई है। किसान आंदोलन के बाद से चौधर के लिए किसान नेता राकेश टिकैत गुरनाम सिंह चढ़ूनी और गुणी प्रकाश के बीच फूट पड़ चुकी है। अब गुणी प्रकाश ने राकेश टिकैत और चढ़ूनी की गिरफ्तारी की मांग कर रहे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 03:13 PM (IST)
चौधर को लेकर भाकियू में बने अलग-अलग गुट, इस वजह से टिकैत, गुणी और चढ़ूनी में फूट
किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, गुणी प्रकाश।

कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन की गुटबाजी सामने आ गई। घोर विरोधी मान और चढ़ूनी गुट कभी एक थे। उनमें विचारधारा को लेकर लड़ाई की लंबी कहानी है। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने अपने-अपने गुट बनाने शुरू कर दिए। फिलहाल राष्ट्र स्तर पर टिकैत और मान गुट प्रमुख हैं। गुरनाम सिंह चढ़ूनी की यूनियन फिलहाल प्रदेश स्तर पर रजिस्टर्ड है।

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जानकारों के अनुसार भारतीय किसान यूनियन का मांगेराम मलिक, भूपेंद्र सिंह मान और रामफल कंडेला ने 1971 में गठन किया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत जुड़े। 1992 में दिल्ली वोट क्लब में किसी बात को लेकर फूट पड़ गई। इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत अलग हो गए।

ये दो गुट हावी

राष्ट्रीय स्तर पर भाकियू की टिकैत और मान गुट की दो यूनियन हैं। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने 2012-13 में प्रदेश में गन्ना आंदोलन के दौरान अपनी अलग यूनियन गठित की थी। वे तीनों कृषि कानूनों के विरोध में लगातार आगे आ रहे हैं। अब मान गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद भूपेंद्र सिंह मान हैं और इस गुट के प्रदेशाध्यक्ष गुणी प्रकाश हैं। वे चढ़ूनी का लगातार विरोध कर रहे हैं। गुणी प्रकाश ने गुरनाम सिंह चढ़ूनी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मोर्चा तक खोल रखा है।

मान गुट सरकार का हितैषी

भाकियू चढ़ूनी गुट के प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया कि तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। प्रदेश ही नहीं देश के कई बड़े शिक्षाविद तक इनको गलत मानते हैं। देश का किसान इन कानूनों का विरोध कर रहा है और पिछले कई माह से दिल्ली बार्डर पर आंदोलनरत हैं। सरकार बैठकें केवल दिखावे के लिए थी। अब तक कई सौ किसानों की मौत आंदोलन के दौरान हो चुकी है। सरकार को किसानों की बिल्कुल भी हमदर्दी नहीं है। प्रदेश में एक गुट के कुछ किसान उनको विरोध कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी तक की मांग कर रहे हैं। यह सब सरकार के इशारे में आंदोलन को कमजोर करने की रणनीति है। इस गुट का प्रदेश में कोई जनाधार भी नहीं है। उनका फोकस किसान आंदोलन है और अब संसद कूच को सफल बनाया जा रहा है।

चढूनी किसान के नाम पर कर रहे राजनीति

भाकियू मान गुट के प्रदेश महासचिव प्रवीण मथाना ने बताया कि गुरनाम सिंह चढूनी एक व्यापारी के साथ राजनीति सोच का व्यक्ति है। उनकी पत्नी कुरुक्षेत्र लोकसभा से चुनाव लड़ चुकी हैं। वे किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। उनका पहले मिशन हरियाणा था और अब मिशन पंजाब है। इन्हीं के चलते उनको संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले दिनों बर्खास्त तक कर दिया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान ने 1993 में किसानों के हक के लिए सबसे पहले ज्ञापन सौंपा था और किसानों को अपने खाद्यान्नों को स्टोर करने का कानून बनाने की मांग उठाई थी। तीनों कृषि कानूनों में स्टोर करने की परमिशन दी गई है। इसमें अन्य चीज भी शामिल हैं। किसान खाद्यान्न को स्टोर करेगा तो निश्चित रूप से उसका रेट भी वह अपने हिसाब से लगाएगा। इससे किसानों में खुशहाली आएगी, लेकिन कुछ व्यापारी सोच के लोग इनको सिरे नहीं चढ़ने देते। प्रदेशाध्यक्ष गुणी प्रकाश ने गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत को गिरफ्तार कराने का फैसला लिया है। वे इसके लिए लगातार संघर्ष करेंगे।

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