Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2021: आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती, जानिये हरियाणा से इनका संबंध
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2021 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। हरियाणा से शिवाजी महाराज का काफी गहरा संबंध हैं। यहां तो रोड़ ...और पढ़ें

पानीपत, जेएनएन। Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2021: खुद को मराठा कहने वाले रोड़ जाति के लोगों से अगर आप पूछेंगे कि कैसे दावा कर सकते हैं कि आप मराठा हो, तब वे कहते हैं- हमें छींक भी आती है तो छत्रपति शिवाजी महाराज की जय बोलते हैं। फिर इसके बाद सवाल पूछने की बारी इनकी आती है, कहते हैं- कोई और जाति का व्यक्ति क्या ऐसा कहता है। दरअसल, पानीपत से कुरुक्षेत्र के बीच रहने वाले रोड़ जाति के अधिकांश लोग खुद को रोड़ मराठा कहते हैं। महाराष्ट्र से सीधा रिश्ता जोड़ते हैं।
इनका कहना है कि पानीपत में 1761 की जंग में जो मराठा सैनिक बच गए थे, उन्होंने जंगलों में छिपकर अपनी जान बचाई। खुद को रोड़ कहने लगे। वे उन्हीं के वंशज हैं। यही रोड़ मराठा हर वर्ष 14 जनवरी को ऐतिहासिक युद्ध स्मारक काला अंब पर पहुंचते हैं। शहीदों को याद करते हैं। महाराष्ट्र से भी मराठा इनसे मिलने पहुंचते हैं। अब तो कई गांवों में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियां स्थापित होने लगी हैं। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है।
हरियाणा से छत्रपति के जुड़ाव के बारे में आपको बताते हैं। करनाल का गांव है भाम्बरहेड़ी। यहां पर रोड़ मराठा चौपाल है। इसी चौपाल में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा है। खुद को मराठा कहने वाले यहां सुबह छत्रपति की प्रतिमा के सामने सलाम करके ही निकलते हैं। यहीं के रहने वाले जगबीर मराठा कहते हैं, उन्होंने रोड़ मराठों को जोड़ने के लिए कई राज्यों में संगठन बनाया है। महाराष्ट्र जाते हैं। वहां पर कई बार उन्हें सम्मानित किया गया है। एक गांव है करनाल का बसताड़ा। यहां रहने वाले रोड़ जाति के लोगों ने महाराष्ट्र में रोटी-बेटी का नाता भी जोड़ लिया है। यहां के युवक संजय की शादी पुणे की निर्मला से हुई है। संस्कृति का मेल ऐसा हुआ कि इनकी बेटी गांव में फर्राटेदार मराठी बोलती हैं। गांव में कई घरों में छत्रपति महाराज का पोस्टर लगा हुआ देख सकते हैं।
दादूपुर में दोदाणे
पानीपत से ही 48 किलोमीटर दूर बसा है गांव दादूपुर। यहां रहने वाले लखीराम दोदाणे को देखकर आप खुद ही कह देंगे, ये मराठा ही होंगे। मूछों को तांव देते हुए लखीराम कहते हैं, हमें गर्व है कि हम मराठों के वंशज हैं। 1761 की जंग में दोदाणे गोत्र का सरदार भी आया था। उन्हीं की टोली में जो सैनिक बचे, उन्होंने करनाल के आसपास जान बचाई। उनके गांव की दीवारों पर छत्रपति के पोस्टर लगे हैं। ये सुबूत ही काफी हैं कि हम छत्रपति महाराज से कितना जुड़े हैं।
रोड़ मराठा एकता मंच के ये हैं तर्क
रोड़ मराठा एकता मंच ने इस संबंध में एक बुकलेट भी प्रकाशित कराई है। इसमें कहा है कि रोड़ों में प्रयोग होने वाले बहुत से शब्द मराठी के हैं। जैसे भैंस के लिए म्हैस, धन के लिए होण, हेर व बैठक के लिए बाड़ा, पगड़ी के लिए पटका, मीठा खाने के लिए चूरमे की जगह पूरणपोली। रोड़ों के सभी गोत्र बोदले, बालदे, झांक्ले, खोकरे, दाभड़े, लॉबड़े, ममैणे, ग्राक, टाया, तूरण, तुर्के, दोदाणे, सगवाल, जोगराण, खिच्ची, मूले, धवले आदि मराठों में पाए जाते हैं।
आज मनाएंगे जयंती
स्टौंडी गांव के सुनील ने बताया कि शुक्रवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाएंगे। भाम्बरहेड़ी गांव में शिवाजी की प्रतिमा के सामने कार्यक्रम होगा। इसके अलावा रोड़ मराठों के गांवों में छोटे-छोटे कार्यक्रम होंगे। जगबीर ने बताया कि बड़ा आयोजन करने की तैयारी थी लेकिन कोविड की वजह से अनुमति नहीं मिली।
पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।