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नए उद्योगों को बड़ी राहत, बायोमास ईधन प्रयोग करने पर मिलेगी अनुमति

बायोमास ईंधन जलाने वाले उद्योगों को अनुमति मिलेगी। एनसीआर में लगने वाले नए उद्योगों को पहले पीएनजी गैस एलपीजी के प्रयोग करने पर ही लगाने के एनओसी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिल रही। एनसीआर में पानीपत शामिल है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 09:28 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 09:28 PM (IST)
नए उद्योगों को बड़ी राहत, बायोमास ईधन प्रयोग करने पर मिलेगी अनुमति

जागरण संवाददाता, पानीपत : बायोमास ईंधन जलाने वाले उद्योगों को अनुमति मिलेगी। एनसीआर में लगने वाले नए उद्योगों को पहले पीएनजी गैस, एलपीजी के प्रयोग करने पर ही लगाने के एनओसी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिल रही। एनसीआर में पानीपत शामिल है। एनसीआर के बहुत से क्षेत्र में पीएनजी की आपूर्ति नहीं हो रही है। ऐसे में नए उद्योग नहीं आ रहे थे। पानीपत में कई उद्योग पाइपलाइन में है। अब इन उद्योगों को बायोमास ईंधन के प्रयोग पर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनओसी जारी करेगा।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए 27 नवंबर 2020 को उन्हीं उद्योगों की एनसीआर में लगाने की अनुमति देने के निर्देश जारी किए थे जो पीएनजी, सीएनजी गैस, एलपीजी का प्रयोग करेंगे। कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट 16 पैरे में दो पेज की रिपोर्ट जारी की है। औद्योगिक एसोसिएशन, फेडरेशन की चल रही थी मांग

शीर्ष कोर्ट ने भी पीएनजी गैस पर उद्योगों को चलाने के आदेश दिए थे। पानीपत सहित एनसीआर के इंडस्ट्री एसोसिएशन फेडरेशन, और व्यक्तिगत रूप से उद्यमियों ने कमीशन को अपील की थी कि पीएनजी के साथ बायोमास फ्यूल को जोड़ा जाए। इससे वायु प्रदूषण नहीं होता। बायोमास में धान का छिलका, ब्रिक्टस, उपले शामिल होते हैं। बायोमास ईंधन प्रयोग करने पर देंगे एनओसी

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कमलजीत सिंह ने बताया कि नए दिशा निर्देशों के अनुसार अब उन उद्योगों को लगाने की अनुमति दी जाएगी, जो बायोमास फ्यूल पर चलने के लिए तैयार होंगे। अब तक सिर्फ उन्हीं नए उद्योगों को लगाने की अनुमति थी जो पीएनजी, सीएनजी अथवा एलपीजी गैस को फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल करते थे। बायोमास फ्यूल की उपलब्धता कम, रेट बढ़ रहे

पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने बताया कि राहत तो मिली है, लेकिन बायोमास फ्यूल की उपलब्धता कम है। कम होने के कारण डिमांड बढ़ने से भाव भी बढ़ते जा रहे हैं। उद्योगों को बचाने के लिए अलग से कोई स्थायी व्यवस्था करने की जरूरत है।


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