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धान की फसल में मंडरा रहा खतरा, दिखे ये लक्षण तो बरतें सावधानी, कृषि विशेषज्ञ की मानें सलाह

हरियाणा में बारिश की वजह से धान की फसल को फायदा हुआ है। हालांकि ज्‍यादा पानी भरने की वजह से कई जगह फसलों में नुकसान भी है। फसलों में जिंक की कमी हो गई जिससे फसलों में बकानी रोक का भी असर दिख रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 08:19 AM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 08:19 AM (IST)
धान की फसल में मंडरा रहा खतरा, दिखे ये लक्षण तो बरतें सावधानी, कृषि विशेषज्ञ की मानें सलाह
धान की फसल की जांच करते कृषि विशेषज्ञ। जागरण

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। पिछले करीब डेढ माह से भर अच्छी वर्षा होने पर खेतों में खड़ी फसल लहलहा रही है। धान की रोपाई को करीब डेढ़ माह होने के बाद फसल में कई जगहों पर जिंक की कमी के साथ-साथ बकानी रोग भी दिखने लगा है। कृषि विशेषज्ञों ने जिला भर के सभी खंडों में कई गांवों का दौरा कर फसलों में कमी दिखने पर किसानों को जागरूक करते हुए फसल उचित देखभाल को लेकर हिदायत दी हैं।

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जिला भर में एक लाख 18 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जाती है। इसमें से करीब एक लाख 12 हजार हेक्टेयर में धान की फसल खड़ी है। पिछले दिनों ही चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र की टीम ने जिला भर के सभी खंडों में कई गांवों का दौरा किया। कृषि विशेषज्ञों ने गांव बलाही, दबखेड़ी, ज्योतिसर, गांव सलपानी कलां, दिवाना, बीबीपुर कलां, यारी, संघौर, धुराला व बपदी का दौरा किया। कृषि विशेषज्ञों ने खेतों में पहुंच फसल को देखा व किसानों को फसल में दिखाई दे रहे लक्षणों के बारे में बारीकी से बताया।

कई जगह फसलों में दिखी जिंक की कमी

कई गांवों में धान की फसलों में पत्तों पर लाल दिखे हैं। इन लाल धब्बों के साथ पत्तों में कुछ कमजोरी आ जाती है। इन्हें आसानी से तोड़ा जा सकता है। ऐसे में यह पौधे सामान्य से कमजोर ही दिखाई देते हैं। किसान को चाहिए कि वह फसल में इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर उचित उपचार करे। इसके लिए प्रति एकड़ में 500 ग्राम जिंक सल्फेट के साथ 2.5 किलोग्राम यूरिया का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर पांच-पांच दिन के अंतराल दो बार स्प्रे करें। इसके साथ ही कई जगह फसलों पर बकानी रोग का भी प्रभाव दिखा है। इस रोग में फसल का तना सामान्य पौधों से तेजी बढ़ता है। इस रोग से ग्रस्त पौधे पतले, पीले व स्वस्थ पौधों के मुकाबले लंबे हो जाते हैं। इन पौधों में तने के नीचे की तरफ कपास जैसी सफेद रंग की फफूंद देखी जा सकती है। इस रोग क इलाज बीजोपचार है। पौधों के प्रभावित होने पर इन्हें खेत से बाहर निकाल दें, ताकि अन्य पौधों तक नुकसान न हो।

इन विशेषज्ञों ने किया दौरा

चौधरी चरण सिंह कृषि विवि हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डा. प्रद्युम्मन भटनागर, जिला विस्तार विशेषज्ञ पौधा रोग डा. फतेह सिंह, जिला विस्तार विशेषज्ञ सस्य विज्ञान डा. सरिता रानी ने फसलों का दौरा कर किसानों को हिदायत दी।


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