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Ayushman Bharat: पानीपत में न्यूनतम वेतनमान नहीं मिलने से आयुष्मान मित्रों को आर्थिक तंगी, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनदेखी

सरकार कहती कि आयुष्मान मित्रों से बतौर वालियंटर काम लिया जा रहा है। इस योजना का जो भी मरीज भर्ती होगा उसका भुगतान अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के खाते में किया जाएगा। इसी कमाई से आयुष्मान मित्र को उनके वेतन व प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 09:31 AM (IST)
Ayushman Bharat: पानीपत में न्यूनतम वेतनमान नहीं मिलने से आयुष्मान मित्रों को आर्थिक तंगी, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनदेखी
आयुष्मान मित्र परिचितों व रिश्तेदारों के कर्जदार होकर रहे गए

जागरण संवाददाता, पानीपत। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में बतौर वालियंटर कार्य कर रहे आयुष्मान मित्र आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। इनका कहना कि केंद्र सरकार की ओर से न्यूनतम वेतनमान देने की गाइडलाइन वर्ष-2020 में जारी हो चुकी है। इसके बावजूद मात्र 5000 रुपये प्रति माह मानदेय ही दिया जा रहा है।

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आठ-दस घंटे लिया जाता है काम

सिविल अस्पताल में छह आयुष्मान मित्र विकास, तहसीन फातिमा, संजीव, संजीत व गीता हैं।प्रदीप ने बताया कि योजना 23 सितंबर को 2018 को देशभर में शुरू हुई। पहले माह से ही 5000 रुपये मासिक मानदेय, 50 रुपये प्रति केस (भर्ती मरीज के इलाज खर्च का क्लेम फाइनल होने पर) भत्ता मिल रहा है। गत वर्ष केंद्र सरकार की गाइडलाइन आई थी, उनमें राज्य का न्यूनतम वेतन व इंसेंटिव देने की जानकारी अपडेट कर दी गई। इसके बावजूद प्रदेश सरकार न्यूनतम वेतन प्रदान नहीं कर रही है। आठ-दस घंटे काम लिया जाता है, अवकाश भी नहीं मिलता। कोरोना महामारी में भी मित्रों ने बेहतर कार्य किया है। अब परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है। आर्थिक तंगी से अधिकांश आयुष्मान मित्र परिचितों व रिश्तेदारों के कर्जदार होकर रहे गए हैं।

सरकारी अस्पतालों में 250 से अधिक मित्र

आयुष्मान मित्रों की संख्या बल की बात करें तो सरकारी अस्पतालों में 250 के पार हो सकती है। पैनल वाले निजी अस्पतालों में भी आयुष्मान मित्र रखने के नेशनल हेल्थ एजेंसी ने आदेश दिए थे।

आयुष्मान मित्रों का तर्क

सरकार कहती कि आयुष्मान मित्रों से बतौर वालियंटर काम लिया जा रहा है। इस योजना का जो भी मरीज भर्ती होगा, उसका भुगतान अस्पताल के आरकेएस (रोगी कल्याण समिति) के खाते में किया जाएगा। इसी कमाई से आयुष्मान मित्र को उनके वेतन व प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। इनका तर्क है कि बतौर वालियंटर तो तीन-चार घंटे काम लिया जाना चाहिए, पूरे दिन नहीं।

इनको बता चुके अपना दर्द

सांसद संजय भाटिया, शहर विधायक प्रमोद विज, श्रमायुक्त और सिविल सर्जन को अपना दर्द आयुष्मान मित्र बता चुके हैं। न्यूनतम वेतन की मांग का ज्ञापन सौंप चुके हैं। आरोप है कि आश्वासन तो सभी से मिला, सही पटल तक आवाज नहीं पहुंचाई गई है।


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