Tariff War: चीन को बड़ा झटका, अमेरिकी खरीदारों ने पानीपत को दिए 5 हजार करोड़ के ऑर्डर; पाकिस्तान भी पिछड़ा
अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर ने पानीपत के निर्यातकों के लिए सुनहरा मौका खोल दिया है। चीन पर अमेरिकी टैरिफ के कारण चीनी उत्पादों की कीमतें बढ़ गई हैं जिससे अमेरिकी खरीदार अब पानीपत से सामान मंगवा रहे हैं। नोएडा में आयोजित इंडियन हैंडीक्राफ्ट-गिफ्ट फेयर में पानीपत के निर्यातकों को अमेरिकी खरीदारों से 5000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं। उम्मीद है कि सितंबर तक 5000 करोड़ रुपये के और ऑर्डर मिलेंगे।

संदीप सिंह, पानीपत। अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर टेक्टसटाइल नगरी पानीपत के लिए एक अवसर बन गया है। चीन ने अमेरिका पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाया तो अमेरिका ने चीन पर 245 प्रतिशत डंपिंग ड्यूटी लगा इसका जवाब दिया था।
अमेरिका में चीन के कंबल, बेडशीट, बाथमेट, तौलिया व कारपेट की लगभग ढाई गुना कीमत बढ़ने के बाद भारत के उत्पादों से महंगे हो गए हैं। जो अमेरिकी आर्डर चीन को मिलते थे वह पानीपत शिफ्ट हो रहे हैं।
नोएडा में 16 से 19 अप्रैल तक चले इंडियन हैंडीक्राफ्ट-गिफ्ट फेयर में अमेरिका से लगभग एक हजार खरीदार पहुंचे। यहां उन्होंने पानीपत के निर्यातकों को लगभग पांच हजार करोड़ के आर्डर दिए हैं। सितंबर तक पांच हजार करोड़ और ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
पानीपत के निर्यातकों में खुशी
अब अमेरिका में पानीपत का निर्यात 9,600 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में 15 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है। विश्वभर में निर्यात 30,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। इससे पानीपत के निर्यातक बेहद खुश हैं। निर्यातकों ने अमेरिकी खरीदारों को दिल्ली में मीटिंग के लिए भी बुलाया है, ताकि निर्यात का आंकड़ा और बढ़ सके।
इंडियन हैंडीक्राफ्ट-गिफ्ट फेयर साल में दो बार सितंबर व अप्रैल में ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में आयोजित होता है। यह फेयर दुनिया का सबसे बड़ा हैंडीक्राफ्ट और उपहार फेयर है। यह फेयर भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र को दुनिया भर में दिखाता है।
इस फेयर में भारतीय हस्तशिल्प की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने, और डिजाइनों में इनोवेशन लाने का मकसद होता है। इस फेयर में 105 देशों के 3,500 खरीदार पहुंचे थे। पानीपत के निर्यातकों को सर्वाधिक अमेरिकी आर्डर मिले हैं।
अमेरिका में चीन के उत्पाद 40 प्रतिशत सस्ते थे
अमेरिका में चीन के मिंक कंबल, बेडशीट, तौलिये, बाथमेट, कारपेट व सोफे कवर के दाम पानीपत की अपेक्षा में 40 प्रतिशत तक कम थे। अमेरिका के बायर पानीपत से ज्यादा चीन को आर्डर देते थे। पानीपत के निर्यातकों को आर्डर लेने के लिए काफी मशक्कत भी करनी पड़ती थी। अमेरिकी खरीदार अपनी शर्तों पर पानीपत को आर्डर देते थे। टैरिफ वार के बाद चीन के लगभग 50 प्रतिशत आर्डर पानीपत शिफ्ट हुए हैं।
पानीपत से वियतनाम, बांग्लादेश व पाकिस्तान पिछड़े
पानीपत के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चीन, वियतनाम, बांग्लादेश व पाकिस्तान हैं। चीन टैरिफ के कारण पिछड़ गया है। यह सभी देश पानीपत के सामने अमेरिका में कमजोर ही रहेंगे। नोएडा प्रदर्शनी में भी यह देश आर्डर लेने में सफल नहीं रहे।
इजिप्ट व तुर्किए बने रहेंगे चुनौती
इजिप्ट व तुर्किए की दूरी अमेरिकी से भारत की अपेक्षा बहुत कम है। इन पर टैरिफ भी नहीं लगाया गया है। इन देशों में उत्पाद मशीनों से बनते हैं। यह देश पानीपत से कई गुना तेजी से उत्पादन करते हैं। दोनों देश एक माह में अमेरिका में सामान की डिलीवरी कर देते हैं। दोनों देशों के उत्पाद पानीपत के उत्पाद से 15-20 प्रतिशत कम सस्ते हैं। पानीपत को अमेरिका में माल भेजने में तीन माह तक का वक्त लगता है।
चीन भी अमेरिका को छोड़ भारत में तलाश रहा विकल्प
चीन व अमेरिका में तनातनी बनी हुई है। इसलिए दोनों देश अपनी मंडी बदलना चाहते हैं। चीन से अमेरिका में टेक्सटाइल के अलावा इलेक्ट्रोनिक उत्पाद भी जाते हैं। अब चीन भी अमेरिका के बजाय भारत में अपने इलेक्ट्रोनिक उत्पादों का निर्यात बढ़ाना चाहता है और भारत के खरीदारों को ज्यादा छूट भी दे रहा है।
अब पानीपत का सालाना निर्यात 16 हजार करोड़ से बढ़कर 30 हजार करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। अमेरिका में निर्यात दोगुना होगा। अमेरिकी खरीदार ने चीन से मुंह मोड़ लिया है। जो आर्डर चीन को मिलते थे। वह पानीपत को मिले हैं। अब एक-दो देश ही हमारे लिए चुनौती होंगे।
-विनोद धमीजा, निर्यातक एवं चेयरमैन, चैंबर आफ कामर्स पानीपत।र
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