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    अंबाला एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा पर सख्ती, अब नहीं ले पाएंगे उड़ते हुए प्लेन की फोटो और वीडियो

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jul 2022 04:58 PM (IST)

    अंबाला एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा को लेकर सख्ती की गई है। डीसी विक्रम सिंह ने वीडियोग्राफी फोटोग्राफी व ड्रोन उड़ाने पर एयरफोर्स स्टेशन के आसपास सात किलोमीटर के एरिया में ये रोक लगा दी गई है। धूलकोट गरनाला बरनाला और पंजोखरा तक में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी प्रतिबंद्धित है।

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    अंबाला एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा को लेकर उठाए कड़े कदम।

    पानीपत/अंबाला, [उमेश भार्गव]। अंबाला एयरफोर्स और एयरबेस की सुरक्षा में सेंध लगाई जा रही है। यह सेंध एयरफोर्स स्टेशन से सटे घरों व अन्य भवनों से लगाई जा रही है। स्थिति इतनी गंभीर है कि जिला प्रशासन द्वारा एयरफोर्स स्टेशन के 7 किलोमीटर एरिया में ड्राेन और पतंगबाजी उड़ाने तक पर रोक लगाई है लेकिन न तो पंतगबाजी रूक पाई न ही ड्रोन।

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    हैरत की बात यह है कि अभी भी एयरफोर्स स्टेशन के एयरबेस से उड़ान भरते हुए विमानों की वीडियो बनाई जा रही है और फोटो खींची जा रही हैं। लिहाजा एक बार फिर जिला मजिस्ट्रेट एवं डीसी विक्रम सिंह ने एयरफोर्स स्टेशन के दायरे में आने वाले एक दर्जनभर से ज्यादा एरिया में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। इस बार यह तक तय किया गया है कि धूलकोट, गरनाला, बरनाला और पंजोखरा तक में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी प्रतिबंद्धित है।

    अफसर सोते रहे और एयरफोर्स स्टेशन के साथ ही निर्माण होता रहा

    एयरफोर्स से स्टेशन के साथ ही सैकड़ों मकान, दुकान और आलिशान भवन बना दिए गए। बलदेव नगर की गांधी कालोनी ही नहीं बल्कि शाखा ग्राउंड और सुभाष नगर के अलावा गांव धूलकोट, बरनाला और धनकौर में भी हजारों ऐसे मकान हैं जोकि एयरफोर्स स्टेशन की सीमा के साथ सटे हैं।

    करीब एक हजार से ज्यादा मकान और दुकान ऐसे हैं जोकि एयरफोर्स स्टेशन की सीमा से महज 5 फुट दूरी पर ही बसे हैं। जबकि व‌र्क्स ऑफ डिफेंस एक्ट 1903 के तहत एयरफोर्स स्टेशन के 100 मीटर दायरे में कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। जबकि अंबाला में इन तीन गांव और बलदेव नगर एरिया में हजारों दुकान, मकान और फैक्ट्रियां तक बना दी गई।

    27 जून को हुआ था विमान क्षतिग्रस्त

    एयरफोर्स स्टेशन से 27 जून 2019 को रनवे से उड़ान भरने के बाद पक्षी से टकराए जगुआर के क्षतिग्रस्त की घटना के बाद एयरफोर्स के अधिकारियों ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। इसके बाद 4 जुलाई को एयरफोर्स स्टेशन में इस मामले पर जिला प्रशासन के साथ फोर्स के अधिकारियों ने बैठक की। इसमें साफतौर पर इन आशियानों को हटाने पर सहमति बनी। लेकिन इसके लिए तीनों गांवों व तीनों कालोनियों के प्रतिनिधियों, निगम आयुक्त, एसडीएम और एसपी के प्रतिनिधियों की एक कमेटी का गठन किया गया। इसके बाद सर्वे करवाया जाना था कि 100 मीटर दायरे में कितने मकान और दुकान हैं।

    इसी सर्वे के बाद आगे की कार्रवाई तय होनी थी लेकिन आजतक न तो सर्वे करवाया गया न ही कोई कार्रवाई हुई। यही कारण है कि अभी भी अंबाला एयरफोर्स की सुरक्षा में जगह-जगह छेद हैं। बलदेव नगर का बहुत सा एरिया एयरफोर्स स्टेशन की दीवार के साथ सटा है। इस पर आसानी से चढ़कर एयरफोर्स पर निगरानी की जा सकती है। इतना ही नहीं एयरफोर्स स्टेशन की दीवार से करीब 2 फुट की दूरी पर ही बलदेव नगर के मकान भी बने हुए हैं। इनसे भी एयरफोर्स के जहाजों का खतरा है।

    मकान से एयरफोर्स के जहाजों को खतरा

    क्योंकि मकानों पर पक्षी आ जाते हैं। अकसर घरों की छतों पर इनके लिए दाना डाल दिया जाता है या फिर वेस्ट खाना भी डाल दिया जाता है जोकि एयरफोर्स के जहाजों के लिए खतरा है। इन बातों को देखते हुए कबूतर या अन्य पक्षी पालन पर भी इन एरिया में रोक लगाई गई है लेकिन यह रोक अभी तक केवल कागजों तक ही सिमटी है।

    हाईकोर्ट भी कर चुका है सख्त टिप्पणी

    मोहाली और फरीदाबाद एयरफोर्स स्टेशन से सटे मकानों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। इस केस में रक्षा मंत्रालय ने हाईकोर्ट को दिए हलफनामे में कहा था कि 100 मीटर दायरे में बने मकानों को हटाने के लिए डीसी अधिकृत होंगे। लेकिन इसके बावजूद अंबाला में इन आदेशों का कोई असर नहीं हुआ।

    सेना नगर की ट्रांसपोर्ट भी एयरफोर्स के लिए खतरनाक

    बता दें कि सेना नगर की ट्रांसपोर्टर एयरफोर्स स्टेशन की दीवार के साथ सटी है। कुछ ट्रांसपोर्टर ने तो एयरफोर्स स्टेशन की दीवार पर ही अवैध निर्माण कर लिया है। एयरफोर्स स्टेशन की दीवार से इनके भवन की दीवार की ऊंचाई भी ज्यादा है। इस पर खड़े होकर आसानी से एयरफोर्स की गतिविधियां ट्रेस की जा सकती हैं। इतना ही नहीं यह ट्रांसपोर्टर न केवल हरियाणा बल्कि जम्मू, दिल्ली, हिमाचल व अन्य राज्यों के ट्रांसपोर्टर यहां आते हैं।