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    पानीपत में एम्‍स की टीम, ट्रेकोमा ट्राइकियासिस का सर्वे आज से, जानिये क्‍या है बीमारी

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 09 Oct 2021 07:53 AM (IST)

    पानीपत में आज से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्‍ली की टीम सर्वे करेगी। ट्रेकोमा ट्राइकियासिस के सर्वे के लिए टीम पानीपत में सर्वे करेगी। छह टीमें आज फील्ड में उतरेंगी। एम्स दिल्ली की ओर से सर्वे में आशा वर्कर्स देंगी योगदान।

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    पानीपत में दिल्‍ली एम्‍स की टीम सर्वे करेगी।

    पानीपत, जागरण संवाददाता। ट्रेकोमा ट्राइकियासिस(15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में नेत्र संक्रमण) का सर्वे करने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) दिल्ली की टीम पानीपत पहुंच गई हैं। पांच दिनों में 30 कलस्टर में 2500 सक 3000 लोगों का चेकअप होगा। अब तक प्रदेश के आठ जिले कवर किए हैं, ट्रेकोमा ट्राइकियासिस के 12 केस (मरीजों को रोग की जानकारी थी) मिले हैं।

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    सर्वे का नेतृत्व एम्स आरपी सेंटर के पब्लिक हेल्थ कंसल्टेंट डा. अमित भारद्वाज और नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. प्रवीण वशिष्ठ करेंगे। डिप्टी सिविल सर्जन, पानीपत डा. शशि गर्ग ने दैनिक जागरण को जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि चार से आठ अक्टूबर तक जिला करनाल का सर्वे हुआ है। वहां भी 30 ही कलस्टर बनाए गए थे। नौ से 13 अक्टूबर तक छह सदस्यीय टीम पानीपत में रहेगी। सर्वे में आशा वर्कर्स मदद करेंगी। सर्वे रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपी जानी है। आशंकित मरीज की जांच करेंगी, उसी समय दवा भी दी जाएगी। आशा वर्कर्स को ट्रेकोमा संबंधी ट्रेनिंग दी गई है। सर्वे में ड्यूटी करने वाली हर आशा को प्रत्येक दिन 250 रुपये भत्ता भी मिलेगा।

    डा. गर्ग के मुताबिक 30 कलस्टर में अदियाना, बराना, फरीदपुर, गांजबड़, खेड़ी नांगल (दो), वार्ड-8, वार्ड-9, वार्ड-13 में दो, वार्ड-19, वार्ड-22, वार्ड-23 में दो, वार्ड-25, वार्ड-27, वार्ड-1 तरफ मखदूम में पांच, वार्ड-1 तरफ राजपूतान में तीन, वार्ड-1 सिकंदरपुर में दो, कवि, शेरा, शोधापुर और वैसर शामिल हैं।

    इन जिलों का हो चुका सर्वे 

    डा. अमित भारद्वाज ने बताया कि ट्रेकोमा ट्राइकियासिस(टीटी) के प्रति एक हजार आबादी पर मात्र दो केस मिलते हैं। हरियाणा में यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, पलवल में सर्वे हो चुका है, इनमें 12 केस मिले हैं। ये ऐसे केस हैं, जिनमें मरीजों को बीमारी के विषय में जानकारी थी।

    एक्टिव ट्रेकोमा से मुक्त भारत 

    भारत आठ दिसंबर वर्ष-2017 में एक्टिव ट्रेकोमा से मुक्त हो चुका है। दो साल से नौ साल की आयु में मिलने वाले केसों को एक्टिव की श्रेणी में रखा जाता है।

    यह होता है ट्रेकोमा 

    गंदगी वाले वातावरण में रहने से क्लेमाइडिया ट्रेकोमेटीस नामक बैक्टीरिया से ट्रेकोमा ट्राइकियासिस होता है। संक्रमण से पलक पर सूजन और एक परत बन जाती है। परत मोटी होने पर पलक अंदर की ओर मुड जाती हैं। बार-बार घर्षण होने से कार्निया को नुकसान पहुंचता है। समय से इलाज न किया जाए तो अंधेपन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके बाद कार्निया प्रत्यारोपण ही विकल्प है।