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दर्दनाक: कैसी हो मां पूछकर नहर में कूद गया घर का इकलौता सहारा Panipat News

पश्चिमी यमुना नहर में एक युवक ने छलांग लगा दी। उसके साथ उसका भांजा भी वहां पर मौजूद था। जब तक वह कुछ समझ पाता युवक नहर में दिखाई देना बंद कर दिया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 09:15 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 10:55 AM (IST)
दर्दनाक: कैसी हो मां पूछकर नहर में कूद गया घर का इकलौता सहारा Panipat News
दर्दनाक: कैसी हो मां पूछकर नहर में कूद गया घर का इकलौता सहारा Panipat News

पानीपत/करनाल, जेएनएन। रामनगर के एक युवक ने मां को फोन कर पूछा, कैसी हो और पश्चिमी यमुना नहर में छलांग लगा दी। नहर किनारे पहुंचे युवक के साथ उसका भांजा भी था, जिसने घर पर सूचना दी। आनन-फानन में परिजन नहर किनारे पहुंचे, लेकिन युवक का सुराग नहीं लगा। 

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23 वर्षीय विशाल मल्होत्रा अपनी नई अपाचे मोटरसाइकिल पर सवार होकर घर से करीब एक किलोमीटर दूर बाईपास पर नहर किनारे पहुंचा। उसने साथ में भांजे कर्ण को भी घूमने जाने की बात कहते हुए बाइक पर बैठा लिया। वे काछवा पुल से करीब आधा किलोमीटर दूर पहुंचे। यहां बाइक खड़ी कर विशाल ने पहले मां और फिर पत्नी से बात की। इसके बाद उसने मोबाइल नहर में फेंक दिया तो खुद भी कूद गया। बाद में मौके पर पहुंचे परिजन नहर की ओर देखते रहे, लेकिन देर रात तक सुराग नहीं लग पाया। 

बचाने के लिए ऑटो चालक ने फेंका रस्सा, नहीं पकड़ा
विशाल के भांजे कर्ण ने बताया कि घटना के दौरान एक ऑटो जा रहा था। चालक ने विशाल को डूबते देखा तो उसने ऑटो से रस्सा लेकर नहर में फेंका, लेकिन उसने पकड़ा नहीं। इसके कुछ ही क्षणों के बाद वह दिखाई देना ही बंद हो गया। इसके बाद ऑटो चालक भी वहां से चला गया।

 vishal

तीन साल पहले हुई थी पिता की मौत, सेल लगाकर चलाता था घर
विशाल अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। करीब तीन साल पहले उसके पिता की मौत हो गई थी।  उसका डेढ़ वर्ष का बेटा भी है। परिवार उसी के सहारे था और वह सेल लगाकर गारमेंटस की अस्थायी दुकान लगाता था। बेटे के नहर में कूद जाने की सूचना पर पहुंचने पर मां चिल्ला-चिल्ला कर रोती रही और कहा कि वह ऐसा कदम उठाएगा, उन्हें आभास नहीं था। घर में भी सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। नहर में कूदने से पहले भी उसने अच्छे तरीके से बातचीत की थी।

पुलिस के गिड़गिड़ाने के बावजूद तीन घंटे तक नहीं भेजे गोताखोर
विशाल ने जहां छलांग लगाई, वह घटनास्थल डीसी कार्यालय से करीब चार किलोमीटर दूरी पर है, लेकिन तीन घंटे तक भी गोताखोर नहीं पहुंचे।  परिजनों से लेकर पुलिस भी अधिकारियों की मिन्नतें करती रही, सिर्फ एक ही जवाब दिया जाता रहा कि पांच मिनट में पहुंच जाएंगे। शाम करीब पांच बजे तक भी गोताखोर नहीं पहुंचे। प्रशासन की इस नाकामी पर परिजनों में रोष भी दिखाई दिया।

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