हरियाणा के यमुनानगर में स्थापित है अनूठा मंदिर, जहां पूजे जाते हैं अमर बलिदानी
हरियाणा के यमुनानगर के गांव गुमथला राव में महान बलिदानियों का मंदिर अनूूूूठा मंदिर स्थापित है। लोगों की आस्था को देख राज्य सरकार अब एक एकड़ भूमि देकर भवन को विस्तार दे रही।
पानीपत/यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। हरियाणा के गांव गुमथला राव स्थित इंकलाब मंदिर में रौनक बढ़ गई है। 2001 में ग्र्रामीणों द्वारा निर्मित इस अनूठे मंदिर में उन महान बलिदानियों की मूर्तियां और चित्र सुशोभित हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में प्राणों की आहुति दी। लोग सुबह-शाम श्रद्धाभाव से इनकी पूजा करते हैं। यमुनानगर जिले के इस गांव की पहचान ही अब इस मंदिर से होती है। आमजन की आस्था को देख अब राज्य सरकार एक एकड़ भूमि देकर भवन को विस्तार देने में सहयोग कर रही है।
भगत सिंह, राजगुरु, उधम सिंह, लाला लाजपत राय की प्रतिमाओं के अलावा भारत माता की भी भव्य प्रतिमा मंदिर में स्थापित है। वहीं, चंद्रशेखर आजाद, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, अश्फाक उल्ला खां जैसी विभूतियों की प्रतिमाएं भी बनकर तैयार हैं, जो शीघ्र ही स्थापित होने जा रही हैं। मंदिर में 150 से अधिक अमर बलिदानियों के हस्तनिर्मित (चित्र) भी शोभायमान हैं। साथ ही, इनका परिचय और इतिहास भी दिया गया है। न केवल विशेष अवसर पर, वरन प्रतिदिन सुबह-शाम नियमित रूप से मंदिर में पूजा की जाती है।
मंदिर की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले स्थानीय निवासी एडवोकेट वरयाम सिंह बताते हैं कि उन्होंने मित्रों संग मिलकर पांच दिसंबर 2001 को शहीद भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित कर इस मंदिर की रूपरेखा को जमीनी आकार दिया था। उसके बाद एक-एक कर अन्य प्रतिमाएं स्थापित की गईं, यह सिलसिला अब भी जारी है। अनेक बलिदानियों के पोर्टेट तैयार कर मंदिर में रखे गए, उनके बारे में, उनके योगदान के बारे में संक्षिप्त परिचय भी साथ में दिया गया। प्रयास है कि सभी की प्रतिमाएं एक-एक कर स्थापित की जाएं। मंदिर के प्रति आमजन की आस्था को देखते हुए अब सरकार भी इसमें सहायता कर रही है। एक एकड़ भूमि देने के अलावा भवन को विस्तार देने का काम कर रही है।
मंदिर में सुबह-शाम बलिदानियों की पूजा तो होती ही है, साथ ही इनकी जयंती और बलिदान दिवस भी श्रद्धा सहित मनाए जाते हैं। बलिदानियों की देशभक्ति, बहादुरी और शौर्य की गाथा का गुणगान किया जाता है, ताकि भावी पीढ़ी इससे प्रेरणा ले सके। क्षेत्र के सभी स्कूलों के बच्चे भी यहां प्राय: आते हैं और बड़ी ही रुचि से बलिदानियों की गाथा को पढ़ उन्हेंं नमन करते हैं।
बलिदानियों के वंशज भी आते हैं
1857 की क्रांति का बिगुल फूंकने वाले अमर बलिदानी मंगल सिंह पांडेय के पांचवीं पीढ़ी के वंशज देवी दयाल पांडेय सहित अन्य बलिदानियों के वंशज भी प्राय: इस मंदिर में पूजन को आते हैं। जिले के रादौर क्षेत्र निवासी पांडेय ने दैनिक जागरण से कहा, इस मंदिर में पहुंचकर मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। शहीदों की सच्ची सेवा और श्रद्धांजलि यही है कि हम सभी राष्ट्रहित के लिए सदैव समर्पित भाव से कार्य करते चलें। शहीद उधम सिंह के वंशज खुशीनंद भी यहां आते हैं। पिछली बार जब वह यहां पहुंचे तो शहीदों के प्रति आमजन की ऐसी श्रद्धा को देख रो पड़े थे।
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