हाफ रही शुगर मिल, खेतों में खड़ा एक लाख क्विंटल गन्ना, किसान पर तिहरी मार
सरकार फसल विविधिकरण पर जो दे रही है। किसानों ने गन्ना उगाया तो गले की फांस बन गया।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सरकार फसल विविधिकरण पर जो दे रही है। किसानों ने गन्ना उगाया तो यही उनके गले की फांस बन गया। मई का महीना बीत चुका है, लेकिन अभी भी करीब एक लाख क्विंटल गन्ना खेतों में खड़ा है। शुगर मिल से पर्ची नहीं मिल रही है। किसान पर तिहरी मार पड़ रही है। एक तो गर्मी में छिलाई की मजदूरी महंगी हो गई है। दूसरा गन्ने का वजन कम हो रहा है। तीसरे पहली फसल लेट कटेगी तो अगली फसल का फुटाव कम होगा यानि अगली बार उत्पादन भी घटेगा। मजदूर मिलते भी है तो उन्होंने प्रति क्विंटल 10 से 20 रुपये बढ़ा दिए हैं। पिछले दो दिन से ब्वायलर की ट्यूब लीक होने से शुगर मिल बंद रही।
भारतीय किसान यूनियन के प्रधान सुरेश दहिया का कहना है कि शुगर मिल किसानों का सारा गन्ना ले और दो महीने की पेमेंट भी जल्द जारी करे।
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जींद व महम ने गन्ना लेने से किया इन्कार
15 मई को किसानों गन्ने की पर्ची न मिलने पर शुगर मिल को बंद कराकर रोष जताया था। तब मिल के एमडी बीर ¨सह ने उन्हें आश्वासन दिया था कि एक-एक लाख क्विंटल गन्ना जींद व महम शुगर मिल लेंगी। बाकी पानीपत शुगर मिल लेगी। महम और जींद शुगर मिल ने सिर्फ 30-30 हजार क्विंटल गन्ना लिया है। दोनों मिलें बंद हो चुकी हैं। इससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।
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भारतीय किसान यूनियन के प्रधान सुरेश दहिया का कहना है कि शुगर मिल किसानों का सारा गन्ना ले और दो महीने की पेमेंट भी जल्द जारी करे। बता दें कि प्रदेश की पलवल, सोनीपत, गोहाना, रोहतक, महम, जींद और असंध शुगर मिल बंद हो चुकी हैं। अभी पानीपत, कैथल और शाहबाद शुगर मिल ही चालू हैं। अब शाहबाद शुगर मिल 50 हजार क्विंटल गन्ना लेगी। 70 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई पानीपत शुगर मिल करेगी।
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गन्ने की फसल घाटे का सौदा बन गई
नवादा आर गांव के किसान तामिन ने बताया कि उसने धान व गेहूं की फसल छोड़ गन्ने की फसल की काश्त की। करीब पांच एकड़ गन्ने की फसल जल गई। शुगर मिल ने पर्ची समय पर नहीं दी। चार एकड़ गन्ना अभी बचा है। अब गन्ने की खेती उसके लिए घाटे का सौदा बन चुकी है।
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मजदूर गन्ना छिलाई के ले रहे ज्यादा रुपये
धनसौली के किसान जोरा ¨सह ने बताया कि उसकी अभी भी दो एकड़ गन्ने की फसल बची है। पर्ची समय पर नहीं मिल रही। पहले मजदूर 28 से 30 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने की छिलाई के लेते थे। अब 40 रुपये से ज्यादा ले रहे हैं। गन्ना सूख रहा है। इससे प्रति एकड़ 100 ¨क्वटल गन्ना कम निकल रहा है।
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बूढ़ी मशीनरी बार-बार दे जाती है जवाब
वर्ष 1956-57 में शुगर मिल स्थापित हुई थी। अब मशीनरी पुरानी हो चुकी है। इसी वजह से क्षमता से कम पेराई हो रही है। मशीन बार-बार खराब हो जाती है। मशीन से आठ घंटे में 12 हजार ¨क्वटल गन्ने की पेराई होती है। पानीपत में करीब 35 लाख ¨क्वटल गन्ने की फसल की गई। मिल ने 30.65 लाख ¨क्वटल गन्ने की बां¨डग की। इसमें से 28 लाख क्विंटल से ज्यादा की पेराई हो चुकी है। 2017 में शुगर मिल 15 मई को बंद हो गई थी और 27 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी। इस बार शुगर मिल 10 नवंबर को चालू हुई और अभी तक गन्ने की पेराई की जा रही है। संभावना है मिल 6 जून तक चलेगी।
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किसानों का गन्ना लिया जाएगा
मिल के एमडी बीर सिंह का कहना है कि प्रयास रहेगा कि किसानों का सारा गन्ना लिया जाएगा। कुछ गन्ना बीज का भी रहेगा। मिल की मशीन पुरानी है और पेराई क्षमता कम है। इसी वजह से गन्ने को लेने में दिक्कत हो रही है। किसानों की अप्रैल व मई की पेमेंट बची है। इसे जल्द ही दे दिया जाएगा। अभी गन्ने की रिकवरी 10 प्रतिशत है। जो गर्मी की वजह से घटी है।